वन माफिया से मिलीभगत का बड़ा खुलासा:बलरामपुर में रेंजर समेत तीन गिरफ्तार, खैर की लकड़ी की अंतरराज्यीय तस्करी का आरोप
बलरामपुर में वन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। बलरामपुर पुलिस और सशस्त्र सीमा बल की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए वन रेंजर रमेश पाठक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों पर अंतरराज्यीय स्तर पर खैर की लकड़ी की अवैध कटाई और तस्करी का आरोप है। जांच में सामने आया है कि रेंजर रमेश पाठक के निर्देश पर वन माफिया बड़े पैमाने पर जंगलों से खैर की कीमती लकड़ी की कटाई कर विभिन्न राज्यों में इसकी बिक्री करते थे। इस अवैध कारोबार से होने वाले मुनाफे का एक हिस्सा रेंजर को मिलता था। पुलिस ने आरोपी रेंजर की कॉल हिस्ट्री की जांच की है। जिससे कई अहम सबूत मिले हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, रेंजर काली थार गाड़ी से चलता था। क्षेत्र में उसका काफी दबदबा था। अधिकारी होने के कारण किसी को उस पर शक नहीं होता था। वन विभाग की मिलीभगत के कारण ही इतने समय तक यह अवैध धंधा फलता-फूलता रहा। पैसों का आपस में बंटवारा करते थे जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से वन माफिया के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया गया है। पुलिस अब मामले की गहन जांच कर रही है। अन्य संलिप्त लोगों की तलाश में जुटी है। पुलिस ने अब तक पूरे प्रकरण में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। अन्य लोग जो भी इसमें शामिल हैं उनकी भी जांच पड़ताल चल रही है। मामले पर पुलिस अधीक्षक बलरामपुर विकास कुमार ने जानकारी देते हुए बताया है कि आरोपियों से पूछताछ में रेंजर समेत दो अन्य लोगों ने बताया है कि यह लोग एक समूह की तरह कार्य करते थे। खैर की लकड़ी अवैध तरीके से कटान करके उसे ऊंचे दामों पर बाजारों में बेचते थे। पैसों का आपस में बंटवारा करते थे। उसे अपने शान शौकत के लिए खर्च करते थे। पुलिस ने रेंजर समेत तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

वन माफिया से मिलीभगत का बड़ा खुलासा
हाल ही में बलरामपुर में वन माफिया से मिलीभगत के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। इस मामले में रेंजर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी खैर की लकड़ी की अंतरराज्यीय तस्करी के आरोप में की गई है।
गिरफ्तारी का विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बलरामपुर में वन विभाग के एक रेंजर की संलिप्तता के साथ, अन्य दो व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया गया है। यह सभी लोग मिलकर खैर की लकड़ी की तस्करी में शामिल थे, जोकि वन संरक्षण को गंभीर खतरे में डालता है। अधिकारियों ने बताया कि यह कड़ी कार्रवाई स्थानीय वन सम्पदा की सुरक्षा के लिए की गई थी।
आरोप और तस्करी के तरीके
जांच में पता चला है कि ये अपराधी संगठनात्मक रूप से काम कर रहे थे और वे खैर की लकड़ी को विभिन्न राज्यों में तस्करी कर रहे थे। इस प्रक्रिया में, उन्होंने अधिकारियों की आँखों में धूल झोंकते हुए कई वन प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया। ऐसा प्रतीत होता है कि इस तस्करी में कुछ उच्च पदस्थ अधिकारियों की भी संलिप्तता रही है।
सरकार की कार्रवाई
सरकारी अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि इस प्रकार की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि वन सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। खैर की लकड़ी की तस्करी केवल वन्य जीवन और पारिस्थितिकी को ही नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाती है।
अंत में, यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी वन संपदा के संरक्षण के प्रति जागरूक रहें और इस प्रकार की अवैध गतिविधियों का विरोध करें। स्थानीय नागरिकों की मदद से वन माफिया के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया जा सकता है।
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