शिक्षा मंत्री बोले-वोकेशनल टीचर की हड़ताल गलत:काम पर लौटने की अपील, कम स्टूडेंट वाले स्कूल-कॉलेज मर्जर की तैयारी, शिक्षा विभाग को निर्देश
हिमाचल के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने वोकेशनल शिक्षकों की हड़ताल को गलत बताया। उन्होंने 14 दिन से हड़ताल पर बैठे वोकेशनल टीचरों से ड्यूटी जॉइन करने की अपील की है। उन्होंने कहा, वोकेशनल टीचरों के लिए जो बेहतर हो सकता था, सरकार ने वो किया है। रोहित ठाकुर ने कहा, वोकेशनल टीचरों की मांग पर सरकार ने 20 दिन की छुट्टियों का प्रावधान किया है। मगर इन्होंने हड़ताल का रास्ता अपनाया है। इस तरह का दबाव सही नहीं है। बता दें हिमाचल के 2000 से ज्यादा वोकेशनल टीचर दो सप्ताह से हड़ताल पर बैठे हुए हैं। इससे सरकारी स्कूलों में 80 हजार से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वोकेशनल टीचर कंपनी को बाहर करके उनकी सेवाएं हरियाणा की तर्ज पर शिक्षा विभाग के अधीन लाने की मांग कर रहे हैं। मगर सरकार ऐसा करने को तैयार नहीं है। सचिवालय में ली शिक्षा विभाग की मीटिंग शिक्षा मंत्री ने आज सचिवालय में एजुकेशन डिपार्टमेंट की मीटिंग ली। इसमें स्कूल-कालेज को मर्ज करने को लेकर चर्चा की गई। दरअसल, राज्य सरकार कम स्टूडेंट वाले स्कूल-कालेज को मर्ज करने जा रही है। इसके लिए शिक्षा विभाग के माध्यम से कम स्टूडेंट वाले स्कूल-कालेज की लिस्ट मांगी गई है। स्कूल-कालेज मर्जर पर कैबिनेट आखिरी फैसला लेगी सूत्र बताते हैं कि 20 से कम छात्र संख्या वाले सेकेंडरी स्कूल को साथ लगती पाठशाला में मर्ज किया जा सकता है। इसी तरह कालेज में यदि 100 से कम छात्र है तो उस सूरत में कालेज को भी साथ लगते महाविद्यालय में मर्ज किया जा सकता है। शिक्षा मंत्री ने सरकार द्वारा तय मानकों के हिसाब से स्कूल-कालेज मर्ज को लिस्ट बनाने को कहा है। इस पर आखिरी फैसला कैबिनेट मीटिंग में लिया जाएगा।

शिक्षा मंत्री बोले-वोकेशनल टीचर की हड़ताल गलत
शिक्षा मंत्री ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वोकेशनल टीचर की हड़ताल पूरी तरह से गलत है। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे जल्द से जल्द अपने काम पर लौट आएं। शिक्षा मंत्री के अनुसार, इस हड़ताल से छात्रों की शिक्षा और मूल्यांकन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। शिक्षा प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी को मिलकर आगे आना चाहिए।
कम स्टूडेंट वाले स्कूल-कॉलेज मर्जर की तैयारी
शिक्षा मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि शिक्षा विभाग कम स्टूडेंट वाले स्कूलों और कॉलेजों के मर्जर की तैयारी कर रहा है। इस कदम से शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और संसाधन-क्षम बनाने का उद्देश्य है। उनका कहना था कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
शिक्षा विभाग को निर्देश
इसके साथ ही, शिक्षा मंत्री ने शिक्षा विभाग को कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी विभागीय अधिकारी हड़ताल से प्रभावित छात्रों की समस्या को गंभीरता से लें और जल्दी से जल्दी समाधान निकालें। शिक्षा मंत्री की यह बातें शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों और छात्रों के लिए एक सकारात्मक संदेश के रूप में सामने आ रही हैं।
शिक्षा मंत्री का यह बयान, शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल काम पर लौटने की अपील करता है बल्कि शिक्षा के स्तर को बनाए रखने की भी कोशिश करता है। शिक्षा विभाग की योजनाओं को लागू करने से छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहेगा।
समाज में शिक्षा की महत्ता को देखते हुए, यह आवश्यक है कि सभी पक्ष एकजुट होकर काम करें। हड़ताल से न केवल छात्रों की पढाई प्रभावित होती है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयासों को भी बाधित करती है। इसलिए, शिक्षा मंत्री की अपील का स्वागत किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
आखिरकार, शिक्षा हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है और इसे सुरक्षित और प्रभावी बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है। शिक्षा मंत्री ने जो कदम उठाए हैं, वे छात्रों की भलाई के लिए हैं। सभी से अनुरोध है कि वे अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सतर्क रहें और एक सकारात्मक शिक्षा वातावरण बनाएँ।
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