13KM लंबे कॉरिडोर से पूरी होगी झांसी की रिंग रोड:भगवंतपुरा से बिजौली तक नया रूट बनेगा, वन विभाग और सेना की एनओसी का इंतजार

झांसी में रिंग रोड की कवायद एक बार फिर से शुरू हो गई है। यहां लगभग 80 फीसदी रिंग रोड बनकर तैयार है, अब सिर्फ भगवंतपुरा से बिजौली को जोड़ा जाना है। इस हिस्से में लगभग 13 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाने का जिम्मा अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को सौंपा गया है। इसके लिए NHAI ने डीपीआर बनाने का काम शुरू कर दिया है। अगर सब कुछ तयशुदा योजना के तहत हुआ तो कुछ साल के अंदर पहली रिंग रोड बनकर तैयार हो जाएगी। अफसरों का कहना है कि इस राह की सबसे बड़ी अड़चन वन विभाग और सेना की एनओसी है। एनओसी मिलने के बाद यह काम आसानी से कराया जा सकेगा। 3 हाइवे रिंग रोड से जुड़ जाएंगे महानगर से ट्रैफिक का दबाव कम करने में रिंग रोड बेहद अहम हो जाती है। झांसी चारों ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग से घिरा है। इसके चलते यहां अलग से रिंग रोड बनाने की जरूरत नहीं है। सिर्फ भगवंतपुरा से बिजौली को जोड़ा जाना है, इसके बाद रिंग रोड पूरी हो जाएगी। हाइवे में 3 हाइवे जुड़ जाएंगे। एनएचएआई अफसरों का कहना है कि इस हिस्से के बनने से झांसी-कानपुर हाईवे, झांसी-खजुराहो हाइवे, झांसी-ललितपुर हाईवे, झांसी-शिवपुरी हाईवे और झांसी-ग्वालियर हाईवे आपस में जुड़ जाएंगे। इससे कानपुर, ललितपुर, शिवपुरी, खजुराहो और ग्वालियर की ओर आने-जाने वाले वाहन बिना महानगर में आए बाहर से निकाले जा सकेंगे। 6 साल पहले नहीं मिली थी एनओसी 2018 में कॉरिडोर के जरिए रिंग को पूरा करने की योजना बनी थी, लेकिन वन, सेना एवं जंतु अभ्यारण के होने से एनओसी नहीं मिल सकी। इसके बाद यह मामला फाइलों में अटक गया। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से संकेत मिलने के बाद एनएचएआई महकमा फिर से हरकत में आया। छतरपुर डिविजन को यह काम सौंपा गया है। इसके लिए सर्वे शुरू हो गया है। परियोजना अधिकारी (छतरपुर) देवेंद्र चापेकर ने बताया कि करीब 13-15 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर से इसे जोड़ने का प्रस्ताव है, लेकिन अभी इसकी जगह तय नहीं है। डीपीआर बनाने का काम किया जा रहा है। डीपीआर बनाकर मंजूरी के लिए इसे भेजा जाएगा। रिंग रोड बनी तो जाम से मिलेगा छुटकारा - रिंग रोड की मदद से यातायात सुगम होता है। शहर के भीतर आने-जाने वाले वाहनों को वैकल्पिक रास्ता भी मिलता है। - रिंग रोड से यात्रा में समय कम लगता है। जगह-जगह ट्रैफिक जाम की समस्या भी खत्म होती है। - रिंग रोड की बदौलत आसपास आवासीय एवं व्यावसायिक गतिविधियां तेज होती हैं।

Dec 3, 2024 - 05:15
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13KM लंबे कॉरिडोर से पूरी होगी झांसी की रिंग रोड:भगवंतपुरा से बिजौली तक नया रूट बनेगा, वन विभाग और सेना की एनओसी का इंतजार
झांसी में रिंग रोड की कवायद एक बार फिर से शुरू हो गई है। यहां लगभग 80 फीसदी रिंग रोड बनकर तैयार है, अब सिर्फ भगवंतपुरा से बिजौली को जोड़ा जाना है। इस हिस्से में लगभग 13 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बनाने का जिम्मा अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को सौंपा गया है। इसके लिए NHAI ने डीपीआर बनाने का काम शुरू कर दिया है। अगर सब कुछ तयशुदा योजना के तहत हुआ तो कुछ साल के अंदर पहली रिंग रोड बनकर तैयार हो जाएगी। अफसरों का कहना है कि इस राह की सबसे बड़ी अड़चन वन विभाग और सेना की एनओसी है। एनओसी मिलने के बाद यह काम आसानी से कराया जा सकेगा। 3 हाइवे रिंग रोड से जुड़ जाएंगे महानगर से ट्रैफिक का दबाव कम करने में रिंग रोड बेहद अहम हो जाती है। झांसी चारों ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग से घिरा है। इसके चलते यहां अलग से रिंग रोड बनाने की जरूरत नहीं है। सिर्फ भगवंतपुरा से बिजौली को जोड़ा जाना है, इसके बाद रिंग रोड पूरी हो जाएगी। हाइवे में 3 हाइवे जुड़ जाएंगे। एनएचएआई अफसरों का कहना है कि इस हिस्से के बनने से झांसी-कानपुर हाईवे, झांसी-खजुराहो हाइवे, झांसी-ललितपुर हाईवे, झांसी-शिवपुरी हाईवे और झांसी-ग्वालियर हाईवे आपस में जुड़ जाएंगे। इससे कानपुर, ललितपुर, शिवपुरी, खजुराहो और ग्वालियर की ओर आने-जाने वाले वाहन बिना महानगर में आए बाहर से निकाले जा सकेंगे। 6 साल पहले नहीं मिली थी एनओसी 2018 में कॉरिडोर के जरिए रिंग को पूरा करने की योजना बनी थी, लेकिन वन, सेना एवं जंतु अभ्यारण के होने से एनओसी नहीं मिल सकी। इसके बाद यह मामला फाइलों में अटक गया। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से संकेत मिलने के बाद एनएचएआई महकमा फिर से हरकत में आया। छतरपुर डिविजन को यह काम सौंपा गया है। इसके लिए सर्वे शुरू हो गया है। परियोजना अधिकारी (छतरपुर) देवेंद्र चापेकर ने बताया कि करीब 13-15 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर से इसे जोड़ने का प्रस्ताव है, लेकिन अभी इसकी जगह तय नहीं है। डीपीआर बनाने का काम किया जा रहा है। डीपीआर बनाकर मंजूरी के लिए इसे भेजा जाएगा। रिंग रोड बनी तो जाम से मिलेगा छुटकारा - रिंग रोड की मदद से यातायात सुगम होता है। शहर के भीतर आने-जाने वाले वाहनों को वैकल्पिक रास्ता भी मिलता है। - रिंग रोड से यात्रा में समय कम लगता है। जगह-जगह ट्रैफिक जाम की समस्या भी खत्म होती है। - रिंग रोड की बदौलत आसपास आवासीय एवं व्यावसायिक गतिविधियां तेज होती हैं।

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