2 साल में दोगुना हुआ डॉग बाइट का ग्राफ:कुत्तों ने बीते 5 सालों में 45,027 को काटा; 17 हजार के मुंह पर किया हमला
कानपुर में डॉग बाइट का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। कुत्ते इस कदर हिंसक होते जा रहे हैं कि अपने ही मालिक की जान ले रहे हैं। कानपुर में मंगलवार देर शाम विकास नगर में घर में पले जर्मन शेफर्ड ने 78 वर्षीय मोहनी देवी को घर में ही नोच-नोच कर मार डाला। एक बच्ची की भी हो गई थी मौत कुत्तों के हमले में मौत का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले 26 मई 2024 को भी आवारा कुत्तों ने एक बच्ची को नोंच-नोंचकर मार डाला था। जबकि एक अन्य को घायल कर दिया था। मौजूदा समय में करीब सवा लाख आवारा कुत्ते कानपुर की सड़कों पर घूम रहे हैं। दोगुना हो गया डॉग बाइट का ग्राफ शहर में कुत्तों के काटने का ग्राफ बीते 2 साल में दो गुना हो चुका है। पहली बार कुत्ते मुंह और गर्दन के आसपास ज्यादा काटने लगे हैं। इसका सर्वाधिक रिकार्ड दर्ज किया गया है। इससे अब एआरवी की एक डोज नाकाफी हो गई है। चार डोज लगाने से ही संक्रमण बच पा रहा है। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक कुत्तों ने बीते 5 साल में 45,620 लोगों को काटा जिसमें से 18,070 लोगों के मुंह और आसपास हमला किया। कानपुर के पॉश एरिया में भी कुत्तों का आतंक पॉश इलाके भी कुत्तों के आतंक से दूर नहीं हैं। तिलक नगर आर्य नगर, स्वरूप नगर, दर्शनपुरवा, रामबाग, मरियमपुर, रामकृष्ण नगर, गांधी नगर, जवाहर नगर, ईदगाह, फेथफुलगंज, छपेड़ा पुलिया, परेड चौराहा, परमट, नमक फैक्ट्री चौराहा आदि क्षेत्रों में कुत्तों का आतंक है। गर्मी बढ़ते ही कुत्तों का रखे विशेष ध्यान मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरके निरंजन ने बताया कि पारा चढ़ते ही पालतू कुत्तों में हिंसक प्रवृत्ति को रोकने हेतु लगातार कुत्तों के पीने के पानी की व्यवस्था रखें। इसके साथ ही साथ आवारा कुत्तों को भी पत्थर, डंडे आदि से न मारे, यदि सम्भव हो तो घर के बाहर पानी की नांद भी रख सकते है। घर से लेकर सड़क तक नहीं सुरक्षित हिंसक हो चुके कुत्तों को पशु चिकित्साधिकारी की देखरेख में रखा जाता है। महिला को मारने वाले कुत्ते को नगर निगम ने पकड़ लिया है। सामान्य होने पर ही उन्हें कोर्ट के नियमों के अनुसार छोड़ा जाएगा। कुत्तों को कहीं और नहीं छोड़ा जा सकता है 1. शिकायती स्थल पर अभियान चलाकर आवारा कुत्तों को पकड़कर बंध्याकरण की कार्यवाही की जाती है, इसके बाद उन्हें पकडे़ हुए स्थल पर छोड़ा जाना जरूरी है। 2. एनीमल बर्थ कन्ट्रोल 'डाग्स' रूल, 2001 के नोटिफिकेशन दिनांक 24 दिसम्बर 2001 में आवारा कुत्तों को उनके मूल स्थान से हटाना प्रतिबंधित है। 3. एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया व अन्य बनाम पीपुल फॉर एलिमिनेशन ऑफ स्ट्रे ट्राबुल्स व अन्य में पारित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 18.11.2015 के अनुपालन में नगर से आवारा कुत्तों को पकड़ कर किसी अन्य स्थान पर छोड़ना प्रतिबंधित है। शहर में बीते 1 साल में हुए कुत्तों के हमले -सरसैया घाट में पिटबुल कुत्ते ने गाय पर हमला कर दिया था। -ओ ब्लाक किदवईनगर और लाजपतनगर में विदेशी नस्ल के कुत्ते ने दो लोगों को घायल कर दिया था। -ग्वालटोली में कुत्ते ने एक स्कूल में बच्चों व शिक्षक को काट लिया था। बाद में निगम ने कुत्ता पकड़ा। -मरियमपुर में वाहन चालक पर हमला कर पिता व बच्चे को काट लिया था। -शास्त्रीनगर, पीरोड, रामबाग, सरसैया घाट समेत कई जगह कुत्ते लोगों को काट चुके हैं।

2 साल में दोगुना हुआ डॉग बाइट का ग्राफ
हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 2 सालों में डॉग बाइट के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि कुत्तों ने बीते 5 सालों में कुल 45,027 लोगों को काटा है, जिसमें से करीब 17 हजार मामलों में कुत्तों ने लोगों के मुंह पर भी हमला किया। यह आंकड़ा स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि हमें कुत्तों के नियंत्रण और प्रशिक्षण को लेकर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
डॉग बाइट की बढ़ती हुई घटनाएँ
डॉग बाइट की घटनाओं में वृद्धि का सीधा संबंध कुत्तों की नस्ल, उनके मानसिक स्वास्थ्य और मालिकों की जिम्मेदारी से है। कई बार कुत्ते उन लोगों पर हमला करते हैं जो उन्हें डराते हैं या उन्हें असुरक्षित महसूस कराते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति का व्यवहार भी डॉग बाइट के मामलों में अहम भूमिका निभाता है।
बचाव के उपाय
इस समस्या से निपटने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। शिक्षा और जागरूकता फैलाने से लोग कुत्तों से कैसे बचें, इस पर अधिक सतर्क रहेंगे। इसके अलावा, कुत्तों को सही तरीके से प्रशिक्षित करना और सख्त कानूनों का पालन करना आवश्यक है।
समाचार का प्रभाव
इस विषय पर जागरूकता बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और इस पर प्रभावी नीतियाँ बनानी चाहिए ताकि किसी को भी डॉग बाइट का शिकार न होना पड़े।
जागरूकता अभियानों, सामुदायिक चेतना और कुत्तों के सही प्रबंधन के जरिए हम इस समस्या का सामना कर सकते हैं।
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि डॉग बाइट की घटनाओं में बढ़ोतरी क्या संकेत कर रही है और इससे कैसे निपटा जा सकता है।
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