2009 की चैंपियन टीम IPL से क्यों हटी:एक के खिलाफ सचिन की टी-20 सेंचुरी; दूसरी रनर-अप बनकर बाहर

IPL के 18वें सीजन की शुरुआत 22 मार्च से होने जा रही है। कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के बीच कोलकाता में ओपनिंग मैच खेला जाएगा। दोनों ही टीमें 2008 में खेले गए IPL के पहले सीजन से टूर्नामेंट का हिस्सा हैं। इस बार 10 टीमें हिस्सा लेंगी, लेकिन 18 साल के IPL इतिहास में 5 टीमें ऐसी भी रहीं, जो अब टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं हैं। इनमें से एक के खिलाफ तो सचिन तेंदुलकर ने अपना इकलौता टी-20 शतक भी लगाया है। वहीं एक टीम तो चैंपियन बनने के बावजूद टूर्नामेंट से गायब हो गई। IPL से गायब हो चुकीं 5 टीमों की स्टोरी... 1. कोच्चि टस्कर्स केरल सचिन का शतक KTK के खिलाफ आया रोंदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड कंपनी ने 2010 में 1555 करोड़ रुपए में कोच्चि टीम खरीदी। 2011 के सीजन में टीमों को 8 से बढ़ाकर 10 किया गया। कोच्चि टूर्नामेंट की 9वीं टीम थी। महेला जयवर्धने की कप्तानी में टीम के पास ब्रेंडन मैक्कुलम, रवींद्र जडेजा, मुथैया मुरलीधरन, आरपी सिंह और श्रीसंथ जैसे स्टार खिलाड़ी थे। इसके बावजूद टीम 14 में से 6 ही मैच जीत सकी और पॉइंट्स टेबल में 8वें नंबर पर रहकर प्लेऑफ में नहीं पहुंच सकी। कोच्चि ने एक ही सीजन खेला, लेकिन उनके खिलाफ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने अपने टी-20 करियर का इकलौता शतक लगा दिया। 15 अप्रैल 2011 को वानखेड़े स्टेडियम में सचिन की सेंचुरी से मुंबई इंडियंस ने 182 रन बनाए। हालांकि, ये स्कोर टीम की जीत के लिए काफी नहीं रहा, कोच्चि ने 19 ओवर में 2 ही विकेट खोकर टारगेट हासिल कर लिया। मैक्कुलम ने मैच विनिंग 81 रन बनाए। क्यों गायब हुई? फ्रेंचाइजी के मालिक BCCI की बैंक गारंटी को रिन्यू नहीं करा सके थे। 26 मार्च 2011 तक मालिक को गांरटी बैंक में सबमिट करनी थी। बोर्ड ने करीब 6 महीने इंतजार किया, लेकिन उन्हें कॉन्ट्रैक्ट के 156 करोड़ रुपए नहीं मिले। जिस कारण BCCI ने 19 सितंबर 2011 को एनुअल मीटिंग में टीम को टर्मिनेट कर दिया। टीम के सभी प्लेयर्स को ऑक्शन में उतारा गया, ताकि उनका नुकसान न हो। KTK के चेयरमैन मुकेश पटेल ने कहा था कि फ्रेंचाइजी पर BCCI का कुछ भी बकाया नहीं है। वहीं, BCCI का आरोप था कि फ्रेंचाइजी ने बोर्ड के 156 करोड़ रुपए नहीं चुकाए। जुलाई 2015 में जस्टिस आरसी लाहोटी ने फ्रेंचाइजी के हक में फैसला सुनाया। कोर्ट ने ऑर्डर दिया कि BCCI कंपनसेशन के रूप में टीम को 550 करोड़ रुपए देगा। फ्रेंचाइजी ने कंपनसेशन के बदले IPL में वापसी की मांग की, लेकिन BCCI ने टीम को फिर से एंट्री नहीं दी। 2. पुणे वॉरियर्स इंडिया क्रिस गेल का तूफानी शतक झेला सहारा इंडिया ने 2010 में पुणे बेस्ड फ्रेंचाइजी को करीब 1700 करोड़ रुपए में खरीदा। 2011 के IPL से जुड़ने वाली पुणे वॉरियर्स इंडिया 10वीं टीम रही। युवराज सिंह, सौरव गांगुली और ऐरन फिंच जैसे प्लेयर्स ने टीम की कप्तानी की। रॉबिन उथप्पा, मनीष पांडे, स्टीव स्मिथ, भुवनेश्वर कुमार और आशीष नेहरा जैसे प्लेयर्स पुणे का हिस्सा रहे। इसके बावजूद टीम 3 सीजन में 26% मैच ही जीत सकी। टीम हर बार 8वें या 9वें नंबर पर ही रही। PWI टूर्नामेंट में कोई खास कारनामा तो नहीं कर सकी, लेकिन उनके खिलाफ एक रिकॉर्ड जरूर बन गया। 23 अप्रैल 2013 को बेंगलुरु में टीम का मैच RCB से हुआ। मुकाबले में RCB के ओपनर क्रिस गेल ने महज 30 गेंद पर शतक लगा दिया। उन्होंने 66 गेंद पर 175 रन की पारी खेली, उन्होंने 13 चौके और 17 छक्के लगाए। टी-20 इतिहास में आज तक कोई भी प्लेयर गेल से बड़ा स्कोर नहीं बना सका है। RCB ने 20 ओवर में 263 रन बनाए, जो 10 साल तक IPL का हाईएस्ट स्कोर भी रहा। क्यों गायब हुई? पुणे फ्रेंचाइजी के मालिक सुब्रत रॉय 2013 में 170.2 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी को रिन्यू नहीं करा सके। इसकी डेडलाइन 2 मई थी, BCCI ने 20 मई तक इंतजार किया और फिर पिछली गारंटी के पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए। BCCI के इस कदम के बाद सुब्रत रॉय ने IPL से अपनी टीम का नाम वापस ले लिया। 26 अक्टूबर को BCCI ने भी पुणे वॉरियर्स को टर्मिनेट कर दिया। सुब्रत ने कहा था, '2010 में जब उन्होंने टीम खरीदी थी, तब BCCI ने हर सीजन 18 लीग मैच का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, लेकिन 3 सीजन में टीम को 14-16 मैच ही खिलाए गए। कोच्चि ने भी इस बात का विरोध किया। BCCI टीमों के मैच कम करा रहा है और अब कंपनसेशन देने के बजाय बैंक गारंटी को अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर रहा है। प्रोफेशनल बोर्ड होने के नाते यह गलत है, इसलिए टूर्नामेंट का हिस्सा बने रहने का कोई फायदा नहीं।' इसके बाद सहारा ने टीम इंडिया की स्पॉन्सरशिप भी रिन्यू नहीं की। 3. डेक्कन चार्जर्स दूसरे साल टाइटल जीता, 3 सीजन फ्लॉप डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड (DHCL) ने 1000 करोड़ रुपए में डेक्कन चार्जर्स फ्रेंचाइजी को खरीदा। टीम 2008 में पहले सीजन से टूर्नामेंट का हिस्सा रही। एडम गिलक्रिस्ट और कुमार संगकारा की कप्तानी में टीम ने 5 सीजन खेले। डेल स्टेन, रोहित शर्मा, सायमंड्स, हर्शेल गिब्स, प्रज्ञान ओझा और शाहिद अफरीदी जैसे प्लेयर्स टीम का हिस्सा रहे। इसके बावजूद टीम 38% मैच ही जीत सकी। डेक्कन का बेस्ट सीजन 2009 में ही आ गया, जब टूर्नामेंट साउथ अफ्रीका में खेला गया। तब टीम ने चौथे स्थान पर फिनिश कर सेमीफाइनल में जगह बनाई। गिलक्रिस्ट की कप्तानी में टीम ने दिल्ली को सेमीफाइनल और बेंगलुरु को फाइनल हराकर टाइटल जीत लिया। टीम ने 2010 के सेमीफाइनल में भी जगह बनाई, लेकिन चेन्नई से हारकर बाहर हो गई। इन 2 सीजन के अलावा टीम हर बार 7वें या 8वें नंबर पर ही रही। क्यों गायब हुई? जून 2012 में खबरें सामने आईं कि DHCL अपनी फ्रेंचाइजी को बेच रहा है। अगस्त तक टीम अपने कुछ खिलाड़ियों को सैलरी भी नहीं दे सकी थी। BCCI ने उन्हें सैलरी जल्द से जल्द देने की वॉर्निंग दी। कर्ज में डूबी फ्रेंचाइजी ने BCCI से अप्रूवल के बाद सितंबर में टीम को बेचने की पेशकश की। 14 सितंबर को BCCI ने फ्रेंचाइजी को टर्मिनेट कर दिया। बोर्ड ने कहा कि

Mar 21, 2025 - 04:59
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2009 की चैंपियन टीम IPL से क्यों हटी:एक के खिलाफ सचिन की टी-20 सेंचुरी; दूसरी रनर-अप बनकर बाहर
IPL के 18वें सीजन की शुरुआत 22 मार्च से होने जा रही है। कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगल

2009 की चैंपियन टीम IPL से क्यों हटी: एक के खिलाफ सचिन की टी-20 सेंचुरी; दूसरी रनर-अप बनकर बाहर

2009 का आईपीएल सीजन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस वर्ष की चैंपियन टीम ने अपनी असाधारण सफलता के बावजूद कई चुनौतियों का सामना किया। 2009 की चैंपियन टीम की हार की जड़ें उस समय की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं में निहित हैं। मैचों के दौरान देखी गई कुछ प्रमुख घटनाएं, जैसे कि सचिन तेंदुलकर की टी-20 सेंचुरी, अधिकांश क्रिकेट प्रेमियों के मन में बसी हुई हैं।

सचिन तेंदुलकर की राजसी पारी

सचिन तेंदुलकर ने 2009 में एक टी-20 मैच में अद्भुत खेल दिखाते हुए अपने इकलौते टी-20 अंतरराष्ट्रीय शतक की ओर कदम बढ़ाया। इस पारी ने न केवल उनके फैंस को खुशी दी, बल्कि इसके साथ ही उनकी टीम को प्रतियोगिता में मजबूती देने का साहस भी दिया। इस मैच में उनका प्रदर्शन असाधारण था, जिसने सारा ध्यान अपनी ओर खींच लिया था।

एक और टीम जो रनर-अप बनी

इस साल के आईपीएल में एक और कहानी भी है, जो दौड़ में दूसरी रहने वाली टीम के बारे में है। यह टीम फाइनल में पहुंचने के बाद भी चैंपियन बनने में असफल रही। उन्हें फाइनल में मात मिली और इसके परिणामस्वरूप वे टॉर्नामेंट से बाहर हो गई। इस हार के साथ ही उनके फैन्स में मायूसी और दुख का माहौल था।

हालात की जड़ता

हर टीम की यात्रा में उतार-चढ़ाव होते हैं, और 2009 के आईपीएल में भी यही देखने को मिला। चैंपियन टीम की हार के पीछे कई फैक्टर थे, जिनमें टीम की रणनीतिक कमजोरियां, खिलाड़ियों की फिटनेस, और खेल के दौरान आने वाली अप्रत्याशित परिस्थितियाँ शामिल थीं। खासकर, उनकी रणनीति को सही तरीके से लागू न कर पाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई।

यह सब घटनाएँ और कारक मिलकर इस बात को स्पष्ट करते हैं कि क्यों 2009 की चैंपियन टीम आईपीएल से बाहर हो गई। जैसे ही गेम आगे बढ़ा, यह साबित हुआ कि कभी-कभी जज्बा और क्षमता भी अकेले मैच को जीतने के लिए पर्याप्त नहीं होते।

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