नेपाल में रहकर पति-ससुर कर रहे जमीन बेचने की कोशिश:श्रावस्ती में दो बच्चों संग मां के पास रह रही महिला ने लगाई न्याय की गुहार
श्रावस्ती:जनपद के हरदत्तनगर गिरन्ट थाना क्षेत्र की शमशुन निशा ने पुलिस प्रशासन से न्याय की मांग की है। उन्होंने अपने नेपाली ससुर और पति पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दरअसल शमशुन का विवाह 15 वर्ष पहले उस्मान से हुआ था। उनके दो बच्चे हैं - 10 वर्षीय सलमान और 7 वर्षीय सोनी। उनके ससुर जुमई खान नेपाल के नारायणपुर, जिला बाके के निवासी हैं। छह वर्ष पहले उनके पति और ससुर नेपाल जाकर रहने लगे। वहीं पीड़िता शमशुन हरदत्त नगर गिरन्ट थाना क्षेत्र के तिवारी गांव में फूस के मकान में रह रही थीं। आरोप है की करीब छह माह पहले उनके ससुर, पति और कुछ ग्रामीणों ने मिलकर उनका फूंस का छप्पर भी तोड़ दिया। पीड़िता ने इस मामले में थाने में शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। बताया जा रहा की श्रावस्ती में शमशुन के ससुर की पांच बीघा जमीन मौजूद है, क्योंकि शमशुन की शादी से पहले उसके ससुर और पति भी तिवारी गांव में ही रहते थे जो बाद में नेपाल चले गए।वहीं शमशुन का आरोप है कि उनके ससुर और पति इस जमीन को दूसरे के नाम करना चाहते हैं। पति ने दूसरी शादी भी कर ली है। वर्तमान में शमशुन अपने दो बच्चों के साथ मां के घर रह रही हैं। शमशुन का कहना है कि अगर जमीन बेच दी गई तो वह और उनके बच्चे भूखे मर जाएंगे। उन्होंने जिला प्रशासन से मामले में हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की मांग की है।

नेपाल में रहकर पति-ससुर कर रहे जमीन बेचने की कोशिश: श्रद्धा से न्याय की गुहार
श्रावस्ती की एक महिला ने न्याय की गुहार लगाई है, जिसका पति और ससुर नेपाल में रहकर उसके नाम की ज़मीन बेचने की कोशिश कर रहे हैं। यह मामला न केवल व्यक्तिगत स्तर पर महिला के जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह समाज और कानून व्यवस्था की भी एक चुनौती पेश करता है। महिला, जो अपने दो छोटे बच्चों के साथ रह रही हैं, ने अपने पति और ससुर पर इल्जाम लगाया है कि वे उसकी सहमति के बिना उसकी संपत्ति का गलत इस्तेमाल करना चाहते हैं।
समस्या का विवरण
महिला का कहना है कि उसका पति और ससुर नेपाल में किसी स्थान पर रह रहे हैं और उन्होंने उसकी ज़मीन बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके बारे में उसे तब पता चला जब कुछ स्थानीय लोग उसे इस बात की जानकारी देने आए। महिला ने बताया कि उसने अपने पति से कई बार बात की लेकिन उसकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकल सका। यह केवल एक कानूनी समस्या नहीं है, बल्कि यह उस महिला के लिए एक भावनात्मक संघर्ष भी है।
जांच की आवश्यकता
इस मामले में प्रशासन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। प्रशासन को चाहिए कि इस मामले की गंभीरता को समझे और जल्द से जल्द उचित कदम उठाए। महिला ने अपने बच्चों के भविष्य की चिंता व्यक्त की है और वह चाहती है कि उसके अधिकारों को सुरक्षित किया जाए। उसे न्याय दिलाने के लिए स्थानीय अधिकारियों को चाहिए कि वे इस मामले की जांच करें और उसे कानूनी सहायता प्रदान करें।
समाज की जवाबदेही
यह मामला केवल व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि समाज में हो रहे अन्याय को उजागर करता है। ऐसे मामलों में समाज की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह महिला का साथ दे और न्याय पाने में उसकी मदद करे। इससे न केवल महिला को सहायता मिलेगी, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा।
महिला ने जनता से अपील की है कि वे उसकी मदद करें और इस मामले में उसकी आवाज उठाएं। न्याय का मतलब सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि समाज की एकजुटता से भी है। सही सूचना और कानूनी सहायता के साथ, महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती हैं।
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