कुशीनगर में गन्ना तौल में घटतौली पर किसानों का हंगामा:गन्ना तौल में 60 किलो का अंतर, किसानों ने की मिल के खिलाफ शिकायत
कुशीनगर जिले में गन्ना किसानों के गाढ़ी कमाई पर चीनी मिलों द्वारा घटतौली के आरोप लगाए जा रहे हैं। जिले के दूर-दराज इलाकों में गन्ना क्रय केंद्रों की स्थापना की गई है, लेकिन चीनी मिलों में तौल के दौरान 60 किलोग्राम घटतौली की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे किसानों में नाराजगी फैल गई है। इस मामले की जांच करने के लिए अधिकारी मौके पर पहुंचे, और उन्होंने 15 किलोग्राम का अंतर पाया, जबकि किसानों का कहना है कि इसमें और ज्यादा गड़बड़ी है। कुशीनगर जिले में हर साल की तरह इस साल भी गन्ना तौल में घटतौली की शिकायतें सामने आई हैं। किसानों ने आरोप लगाया है कि मिलों द्वारा गन्ना तौल में की जाने वाली घटतौली से उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है। ढाढा चीनी मिल के सेमरा हर्दो गन्ना तौल केंद्र पर उत्कर्ष सिंह नामक किसान ने अपना गन्ना तौल कराया, जिसमें 43.25 क्विंटल गन्ना तौला गया। बाद में उन्होंने खिरिया टोला स्थित सैनिक धर्मकाटा पर पुनः माप कराया, जहां तौल 43.85 क्विंटल आया। इस पर किसान ने मिल के तौल में 60 किलोग्राम का अंतर पाया और विरोध जताया। किसानों का आक्रोश और प्रशासन की प्रतिक्रिया किसानों का कहना है कि यह घटतौली हर साल होती है और इस बार भी कोई बदलाव नहीं आया। इन्द्रजीत सिंह नामक एक अन्य किसान ने कहा कि मिलों द्वारा गन्ने की तौल में यह गड़बड़ी नियमित रूप से हो रही है, और जिम्मेदार अधिकारी हमेशा मिलों को बचाते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर स्थायी समाधान नहीं हुआ तो वे गन्ना इस मिल में नहीं देंगे। इस बीच, सेमरा हर्दो गन्ना तौल केंद्र पर घटतौली के मामले पर समिति के सचिव श्रीराम ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद उन्होंने जांच कराई, जिसमें 15 किलोग्राम का अंतर पाया गया। उनका कहना था कि तौल में 5 प्रतिशत की छूट मिलती है, इसलिए कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं है, लेकिन जो भी अंतर पाया गया है, उसे उच्च अधिकारियों के पास रिपोर्ट किया जाएगा। जांच और समाधान की प्रक्रिया चिनी मिल के केन मैनेजर और जिला बाट माप अधिकारी जितेंद्र पांडेय ने भी जांच की पुष्टि की और बताया कि 15 किलोग्राम का अंतर पाया गया है। उन्होंने इसे सुधारने का निर्देश दिया और कहा कि तौल की प्रक्रिया को सही तरीके से किया जाएगा। किसानों के विरोध और प्रशासन की जांच के बाद अब यह देखा जाएगा कि क्या मिलों द्वारा की जाने वाली घटतौली पर कोई स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।
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