गौरैया बचाओ अभियान, घर-वापसी कराने को रिटायर्ड प्रोफेसर की पहल:साइकिल चलाकर पेट्रोल खर्च बचाया, सैलरी के 20 फीसदी हिस्से से बांटे डेढ़ लाख स्पैरो हाउस
हमारे घर-आंगन और खेतों में चह-चहाने वाली नन्ही चिड़ियाँ गौरैया, जो आज लुप्त होने के कगार पर है। इस छोटी सी चिड़िया की घटती संख्या न केवल प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रही है, बल्कि कृषि और पारिस्थितिकी पर भी गंभीर असर डाल रही है। प्रयागराज में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एनवी. सिंह, पिछले 10 साल से 'गौरैया बचाओ अभियान' चला रहे हैं। रिटायर्ड प्रोफेसर एनवी सिंह के मुताबिक, "गौरैया सिर्फ एक पक्षी नहीं, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण की कड़ी है। यह कीट-पतंगों को खाकर फसलों की रक्षा करती है। जिससे जैव विविधता बनी रहती है, लेकिन आधुनिकरण, कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग और मोबाइल टावरों से निकलने वाली मैग्नेटिक वेव्स ने इसकी आबादी को तेजी से घटा दिया है। क्या है मिशन गौरैया की पहल प्रो. सिंह ने इस दिशा में एक अनूठी पहल शुरू की है। वे बच्चों और युवाओं के बीच जागरूकता फैलाने के लिए 'गौरैया घोंसला वितरण अभियान' चला रहे हैं। अब तक डेढ़ लाख घोंसले मुफ्त में वितरित कर चुके हैं, ताकि गौरैया को फिर से घर मिले और वह इंसानों के करीब लौट आए। उन्होने बताया कि "हमने आधुनिक कंक्रीट के घर बना लिए, लेकिन गौरैया के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ा। इसलिए हमें उन्हें फिर से सुरक्षित वातावरण देना होगा।"

गौरैया बचाओ अभियान: घर-वापसी कराने की रिटायर्ड प्रोफेसर की पहल
भारत में गौरैया की संख्या लगातार घट रही है, और ऐसे समय में रिटायर्ड प्रोफेसर की पहल एक नई उम्मीद लेकर आई है। यह अभियान "गौरैया बचाओ" न केवल गौरैया के संरक्षण के लिए है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कैसे किया जाए। News by indiatwoday.com
घर-वापसी के लिए अनूठी पहल
रिटायर्ड प्रोफेसर ने देखा कि कैसे गौरैया हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं, लेकिन उनके अस्तित्व को खतरा है। इसलिए उन्होंने ठान लिया कि वह इन्हें वापस लाने के लिए प्रयास करेंगे। उन्होंने अपने सैलरी का 20 फीसदी हिस्सा उन लोगों में बांटने का निर्णय लिया जो स्पैरो हाउस बनाने में सहायता कर सकते हैं। इस पहल के जरिए उन्होंने डेढ़ लाख स्पैरो हाउस का वितरण किया है, जिससे गौरैयाओं को अपने घर में लौटने का अवसर मिला है।
साइकिल चलाकर पेट्रोल खर्च बचाने की सोच
इस पहल के दौरान प्रोफेसर ने अपनी दैनिक यात्रा के लिए साइकिल चलाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि साइकिल चलाकर न केवल वह पेट्रोल खर्च बचाते हैं, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी एक बेहतर विकल्प है। उनकी ये छोटी लेकिन प्रभावी आदतें दूसरों के लिए प्रेरणाश्रोत बनी हैं।
गौरैया संरक्षण के फायदे
गौरैया हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे कृषि में कीटों के नियंत्रण में सहायक होते हैं और अन्न की उपज में भी मदद करते हैं। इनकी सुरक्षा से न केवल जैव विविधता में वृद्धि होती है, बल्कि यह अन्य पक्षियों और जीवों के लिए भी लाभदायक सिद्ध होता है। गौरैया को बचाने का यह अभियान सभी के लिए एक सीख है, जिसमें हम सभी को जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
आप भी कर सकते हैं योगदान
अगर आप भी इस पहल का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो आप अपने आसपास स्पैरो हाउस बनाकर इस अभियान को समर्थन दे सकते हैं। इसके अलावा, स्थानीय स्कूलों और समुदायों में जागरूकता फैलाना भी आवश्यक है। एक संगठित प्रयास से हम इस अद्भुत पक्षी की रक्षा कर सकते हैं।
निष्कर्ष
गौरैया बचाओ अभियान में रिटायर्ड प्रोफेसर की पहल हमें सिखाती है कि अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो हम अपने पर्यावरण और जीवों की रक्षा कर सकते हैं। यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि संवेदनशीलता और कार्यशक्ति से कैसे हमारे आस-पास के सामुदायिक जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।
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