चीन ने बोइंग जेट की डिलीवरी लेने से इनकार किया:अमेरिकी टैरिफ के जवाब में फैसला; कीमती मेटल्स की सप्लाई भी रोकी
चीन ने अपनी एयरलाइन कंपनियों को अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी नहीं लेने के आदेश दिए हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग ने अमेरिका में बनने वाले विमान के पार्ट्स और डिवाइसेस की खरीद रोकने का आदेश भी दिया है। चीन ने यह आदेश अमेरिका के 145% टैरिफ के जवाब में जारी किया है। बोइंग एयरप्लेन एक अमेरिकी कंपनी है, जो एयरप्लेन, रॉकेट, सैटेलाइट, टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट और मिसाइल बनाती है। कंपनी की स्थापना 15 जुलाई 1916 को विलियम बोइंग ने की थी। कई देशों की एयरलाइंस कंपनियां बोइंग के बनाए गए प्लेन का इस्तेमाल करती हैं। बोइंग अमेरिका की सबसे बड़ी एक्सपोर्टर कंपनी है और यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिफेंस डील करने वाली कंपनी भी है। चीन ने कीमती मेटल्स की सप्लाई भी रोकी चीन ने अमेरिका के साथ बढ़ती ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं। ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए बेहद अहम हैं। इस फैसले से दुनियाभर में मोटरव्हीकल, एयरक्राफ्ट, सेमीकंडक्टर और हथियार बनाने वाली कंपनियों पर असर पड़ेगा। ये महंगे हो जाएंगे। चीन ने 4 अप्रैल को इन 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के मुताबिक ये कीमती धातुएं और उनसे बने खास चुंबक सिर्फ स्पेशल परमिट के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स से IT तक में रेयर अर्थ मटेरियल का इस्तेमाल रेयर अर्थ मटेरियल 17 एलिमेंट्स का एक ग्रुप है, जो कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर मिलिट्री इक्विपमेंट तक में इस्तेमाल होता है। इसका उपयोग IT इंडस्ट्रीज, सौर ऊर्जा, केमिकल इंडस्ट्रीज के अलावा आधुनिक तकनीकी ऑयल रिफाइनरी में और कई अन्य इंडस्ट्रीज में होता है। अमेरिका इलेक्ट्रॉनिक सामान पर अलग से टैरिफ लगाएगा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को कहा कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स को जैसे को तैसा टैरिफ से छूट दी गई है, लेकिन यह कुछ ही समय के लिए है। उन्होंने सेमीकंडक्टर सेक्टर और पूरी इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन की जांच शुरू करने का ऐलान किया। ट्रम्प ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि इन इलेक्ट्रॉनिक्स पर अलग से टैरिफ लगाया जाएगा। इससे पहले अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर समेत दूसरी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को दी गई छूट अस्थायी है। उन्होंने कहा कि अगले 2 महीनों में इन चीजों पर एक अलग टैरिफ लगाने का प्लान है। इसकी घोषणा बाद में की जाएगी। लुटनिक ने कहा कि नए टैरिफ नेशनल सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए लगाए जाएंगे, ताकि इन प्रोडक्ट का उत्पादन अमेरिका में हो सके। इलेक्ट्रॉनिक सामान पर छूट से अमेरिकी टेक कंपनियों को राहत अमेरिकी कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) ने शनिवार को नोटिस जारी कर कहा था कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स को रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट दी गई है। इस फैसले को कई अमेरिकी टेक कंपनियों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। पिछले हफ्ते ट्रम्प की टैरिफ नीति में लगातार बदलाव से वॉल स्ट्रीट में 2020 की कोविड महामारी के बाद से सबसे बड़ी उथल-पुथल देखी गई। स्टैंडर्ड एंड पूअर्स 500 इंडेक्स 20 जनवरी को ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद से 10% से ज्यादा गिर गया। ट्रम्प के 145% के जवाब में चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को अमेरिकी आयात पर अपने टैरिफ को भी 125% तक बढ़ा दिया था। हालांकि, चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री ने रविवार को अमेरिका से अपील की थी कि वह रेसिप्रोकल टैरिफ पूरी तरह से खत्म कर दे। चीन बोला- जिसने शेर के गले में घंटी बांधी वही खोले चीनी मंत्रालय ने कहा था कि शेर के गले में बंधी घंटी को सिर्फ वही इंसान खोल सकता है जिसने उसे बांधा है। अमेरिका अपनी गलतियों को सुधारने के लिए एक बड़ा कदम उठाए। रेसिप्रोकल टैरिफ की गलत प्रथा को पूरी तरह से रद्द करे और आपसी सम्मान के रास्ते पर लौट आए। अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ वॉर के बीच चीन ने कुछ दिन पहले कहा था कि वह अमेरिका के आगे ‘जबरदस्ती’ झुकने के बजाय आखिर तक लड़ना चुनेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन उकसावे से नहीं डरता, वह पीछे नहीं हटेगा। माओ निंग ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की थी। इसमें यह बताया गया है कि कीमत मंहगी होने के बाद भी अमेरिकी चीनी सामान ही खरीदेंगे। चीन नई इंडस्ट्री व इनोवेशन बढ़ाने पर जोर दे रहा चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी। ----------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... ट्रम्प ने हार्वर्ड की ₹18 हजार करोड़ की फंडिंग रोकी:अमेरिकी राष्ट्रपति यूनिवर्सिटी पर कंट्रोल चाहते थे, हार्वर्ड ने इसे गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.2 अरब डॉलर (करीब 18 हजार करोड़ रुपए) की फंडिंग रोक दी है। पूरी खबर यहां पढ़ें.... ट्रम्प ने स्मार्टफोन-कंप्यूटर से रेसिप्रोकल टैरिफ हटाया:सेमीकंडक्टर, सोलर सेल और मेमोरी कार्ड को भी छूट; फैसले से अमेरिकी टेक कंपनियों को राहत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को स्मार्टफोन, कंप्यूटर

चीन ने बोइंग जेट की डिलीवरी लेने से इनकार किया
चीन ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बोइंग जेट की डिलीवरी लेने से इनकार कर दिया है। यह फैसला अमेरिकी टैरिफ के जवाब में किया गया है, जो चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव को और बढ़ा सकता है। इस निर्णय ने वैश्विक विमानन उद्योग को हिला कर रख दिया है और इससे आगे के व्यापारिक रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है।
अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
अमेरिका ने चीन पर कई प्रकार के टैरिफ लगाए हैं, जिसके कारण चीन ने अपनी मशीनों और सामानों के लिए अमेरिकी उत्पादों के खरीद में कमी लाने का निर्णय लिया है। बोइंग जैसी बड़ी विमानन कंपनियों के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है। चीन के इस फैसले से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है, खासकर विमानन और एयरोस्पेस उद्योग में।
कीमती मेटल्स की सप्लाई पर रोक
बोइंग के साथ-साथ, चीन ने कीमती मेटल्स की सप्लाई भी रोकने का फैसला किया है। यह कदम व्यापारिक युद्ध के दौरान उठाया गया है और इससे वैश्विक मेटल्स बाजार में हलचल मच सकती है। कीमती धातुओं की यह रोक चीन के संसाधनों और उत्पादों के मूल्य को प्रभावित कर सकती है।
भविष्य की संभावनाएँ
चीन के इस निर्णय का क्या मतलब है, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या अमेरिका और चीन के बीच बातचीत इस स्थिति को सामान्य बना सकेगी? या दोनों देश अपने-अपने रुख पर अडिग रहेंगे? अगले कुछ महीनों में व्यापारिक नीतियों में बदलावों पर नजर रखना आवश्यक होगा।
चीन में बोइंग जेट की डिलीवरी को लेकर चल रही यह स्थिति न केवल अमेरिका-चीन व्यापारिक संबंधों को प्रभावित करेगी, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
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