छुट्टा पशुओं से परेशान किसान:बड़ी संख्या में खेत में घुसकर गेंहू की फसल कर रहे बर्बाद
संतकबीरनगर में पहले खाद (डीएपी) और बीज को लेकर किसान परेशान रहते थे। अब वह छुट्टा जानवरों के आतंक से परेशान हैं। आंखों के सामने ही अपनी फसल को बर्बाद होता देख उन्हें बहुत मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है। फसल बचाने के लिए किसान सर्द रातों में रखवाली करने को विवश हो रहे हैं। पूर्वी कछार के लोग परेशान पूर्वी कछार के छपिया अगंद, नगपुर, ढोंढ़, तिवारीपुर, पचनेऊरी, मधईपुर, घूरापाली और महुअवा, बेलौली समेत करीब दर्जन भर गांवों के सीवान में झुंड में छुट्टा गायों और सांडों का रेला खेतों में खड़ी गेंहू की फसल को बर्बाद कर रहे हैं। फसलों को बढ़ने नहीं देते हैं। रात-दिन अपने खेत की रखवाली के बावजूद पशु मेहनत से तैयार फसलों को नष्ट कर रहे हैं। इन्हें काबू करने लिए वन विभाग और कृषि विभाग आगे नहीं आ रहे हैं। किसानों ने कहा फसल बोना कम किया परेशान किसान सूरज तिवारी, गुरु प्रसाद, सीताराम, कमलेश सिंह, देवेंद्र ऊर्फ पप्पू तिवारी, दिवाकर, अजय कुमार त्रिपाठी, इंग्लेश दूबे का कहना है कि दलहनी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं। पलक झपकते ही पूरी फसल चट कर जाते हैं। ऐसे में दलहनी फसलें बोना कम कर दिया है। किसान दीपचंद्र ने बताया कि अब तो आलू, गेहूं, सब्जियों को पैदा करना मुश्किल भरा है। इस समय तो अन्ना मवेशियों ने कहर बरपा रखा है। सभी किसान इनसे परेशान हैं। किसान रामहरी, दीपनारायण, अनिल कुमार निषाद ने कहा छुट्टा जानवरो से फसल बचाना मुश्किल हो गया है। दिन रात रखवाली कर रहे किसान : फसल बचाने के लिए दिन-रात फसलों की रखवाली कर रहे है। इनके झुंड की संख्या बढ़ती जा रही है। परेशान किसान अमृत पाठक ने कहा कि फसलों को हानि पहुंचाने वाले इन जानवरों को मारने पर रोक है। हर कोई इन्हें हाथ लगाने से डरता है। फसल बचाने के लिए शासन-प्रशासन उपाय करें। अगर जल्द कुछ न किया गया तो किसानों की फसलें नष्ट हो जाएगी।

छुट्टा पशुओं से परेशान किसान: बड़ी संख्या में खेत में घुसकर गेंहू की फसल कर रहे बर्बाद
News by indiatwoday.com
पशु छोड़ने की समस्या
भारत में किसान छुट्टा पशुओं के मुद्दे से काफी परेशान हैं, जो उनकी फसलों में घुसकर उन्हें नष्ट कर रहे हैं। हाल ही में इस समस्या ने गंभीर रूप ले लिया है, खासकर गेहूँ की फसलें, जो किसानों की मेहनत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
हाल के समय में इन छुट्टा पशुओं की बढ़ती संख्या ने न केवल कृषि उत्पादन को प्रभावित किया है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा बन गई है। किसान फसल बर्बाद होने से निराश हैं, और कई फसलें तो पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हैं। यह स्थिति खासकर तब और गंभीर हो जाती है जब किसान अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए इन फसलों पर निर्भर होते हैं।
समाधान की तलाश
किसान अब इस समस्या का समाधान खोजने के लिए स्थानीय अधिकारियों से सहायता की उम्मीद कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इस पर कदम उठाएगी और उनके हितों की रक्षा करेगी। बहुत से किसान ऐसे हैं जो छुट्टा पशुओं को पकड़ने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन स्थिति अभी भी नियंत्रण में नहीं है।
समुदाय का समर्थन
किसान संगठनों और स्थानीय समुदायों ने इस मुद्दे को साझा करने के लिए प्रदर्शन और बैठकों का आयोजन किया है। वे सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी फसलें सुरक्षित रह सकें। खेतों की सुरक्षा के उपायों की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
वक्त की मांग है कि जल्दी ही इस समस्या का समाधान निकाला जाए, वरना किसान अपने livelihoods को खोने के खतरे में रहेंगे। इस मुद्दे पर समाज जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि किसानों की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके।
समापन
किसानों के लिए यह समय अत्यंत कठिन है, और छुट्टा पशुओं की समस्या उनके जीने के लिए चुनौती बन गई है। इस विषय पर और जानकारी के लिए और नियमित अपडेट पाने के लिए कृपया indiatwoday.com पर जाएँ।
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