थाने में हंगामा करने वाले वकीलों पर दो मुकदमा:विभूतिखंड थाने में पुलिसकर्मी की वर्दी फाड़ी थी, आईजीपी चौराहा जाम कर किया हंगामा
लखनऊ के विभूतिखंड थाने में हुए बवाल के बाद वकीलों के दो मुकदमें दर्ज किया गया है। शुक्रवार को वकीलों ने थाने में घुसकर हंगामा व पुलिसकर्मियों से मारपीट की थी। इसके बाद आईजीपी चौराहा जाम करके नारेबाजी की थी। बता दें इसके पहले शनिवार को वकीलों ने भी पुलिसकर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाकर केस दर्ज कराया था। विभूतिखंड थाने में शुक्रवार रात हुए बवाल के मामले में अधिवक्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पहले केस में अधिवक्ताओं पर थाने में घुस कर गाली गलौज करने और दरोगा प्रमोद की वर्दी फाड़ने व मारपीट का आरोप है। इस मामले में इंस्पेक्टर अमित कुमार ने अधिवक्ता शिवम पाल, शिवपूजन यादव, सुलखान यादव, शुभम यादव, अभिषेक सिंह, राहुल पांडेय, सौरभ कुमार वर्मा, अंकित द्विवेदी, शिवम पाल, अरविंद यादव, आकाश, दिवाकर तिवारी समेत 150 अधिवक्ताओं पर दर्ज हुआ मुकदमा। वहीं दूसरे केस में आईजीपी चौराहे पर सड़क जाम के मामले में भी दरोगा योगेश सेंगर की तरफ से अधिवक्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मामले में इंस्पेक्टर विभूतिखंड का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।

थाने में हंगामा करने वाले वकीलों पर दो मुकदमा
हाल ही में विभूतिखंड थाने में वकीलों द्वारा किए गए हंगामे ने सभी को चौंका दिया। घटना के अनुसार, वकीलों ने पुलिसकर्मी की वर्दी फाड़ दी थी और आईजीपी चौराहा को जाम कर दिया, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया। इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने मामले में गंभीरता दिखाई और हंगामा करने वाले वकीलों के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज किए हैं। यह स्थिति अब स्थानीय वकीलों की बिरादरी में चिंता का विषय बन गई है।
घटना का विवरण
विभूतिखंड थाने में घटी इस घटना में जब वकील अपने साथी को छुड़ाने के लिए थाने पहुंचे, तो उनका प्रदर्शन जल्दी ही उग्र हो गया। बताया जा रहा है कि वकीलों ने पुलिस अधिकारियों के साथ विवाद किया, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई। पुलिसकर्मियों ने स्थिति को नियंत्रण में लाने का प्रयास किया, लेकिन वकील अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे। अंततः, हंगामे के दौरान एक पुलिसकर्मी की वर्दी फाड़ दी गई।
कानूनी कार्रवाई
पुलिस प्रशासन ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए संबंधित वकीलों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं। ये मुकदमे न केवल थाने में हंगामा करने के लिए हैं, बल्कि वर्दी फाड़ने की घटनाओं के लिए भी हैं। ऐसे मामलों में पुलिस कार्रवाई आवश्यक होती है, विशेषतः जब कानून अपने हाथ में लिया जाता है। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और आरोपियों की पहचान के लिए जांच शुरू कर दी है।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इस प्रकार की घटनाएं समाज में कानून का सम्मान व स्थिरता को प्रभावित करती हैं। स्थानीय निवासियों और वकीलों की बिरादरी ने इस हंगामे की निंदा की है और इसे एक अस्वीकार्य घटना माना है। कई लोगों का मानना है कि वकीलों को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए कानून का पालन करना चाहिए।
निष्कर्ष
विभूतिखंड थाने में हुए इस हंगामे से यह स्पष्ट होता है कि कानून की अवहेलना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। अधिकारियों ने कड़ी कार्रवाई करते हुए निर्णय लिया कि इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जाएगा। भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जागरूकता और संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
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