मेरठ में छात्रवृत्ति घोटाला मामले में हाइकोर्ट ने मांगा जवाब:तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को नोटिस जारी, 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करें

मेरठ में अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति वितरण मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के छात्रवृत्ति वितरण को लेकर 11 साल पहले हुए घोटाले में आरोपी वरिष्ठ पटल सहायक संजय त्यागी की याचिका पर सरकार की ओर से उपस्थित अपर शासकीय अधिवक्ता और शिकायतकर्ता तत्कालीन शेष नाथ पांडेय जो वर्तमान में संयुक्त निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण विभाग लखनऊ के पद पर कार्यरत है को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने याची की ओर से दाखिल याचिका पर याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया है। 11 साल पहले हुए था घोटाला याची अधिवक्ता सुनील चौधरी ने दलील दी कि तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शेष नाथ पांडेय ने वर्ष 2014 में जेड आसना पब्लिक स्कूल मेरठ, सोनी पब्लिक स्कूल तारापुरी मेरठ, पंचशील पब्लिक स्कूल नूर नगर मेरठ, पीएसपी पब्लिक स्कूल नूर नगर मेरठ, एचएमटी जूनियर हाई स्कूल मेरठ में 16,88,000 रुपए छात्रवृत्ति के गबन के मामले में प्रबंधक उस्मान खान, बुशरा खान व प्रतिनिधि सेवाराम के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी। जबकि शिकायतकर्ता ने स्वयं ही आरोपियों के विद्यालय में छात्रवृति को बैंक के द्वारा खाते में भेजा था। गलत डाटा फीडिंग का लगाया था आरोप याची का नाम एफआईआर थाना सिविल लाइन मेरठ में दर्ज नहीं था। लेकिन डाटा फीडिंग का आरोप लगाते हुए आरोपपत्र दाखिल किया गया। जबकि विवेचना अधिकारी ने स्वयं माना कि डाटा का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। याची संजय त्यागी लिपिक ,तत्तकालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम के विरुद्ध बिना किसी साक्षय के याची व उसके पूर्व के अधिकारी जिला संख्या कल्याण अधिकारी सुमन गौतम के विरुद्ध चार्जशीट लगा दी गई । जांच में गबन का आरोप निकला झूठा याची के वकील ने बताया कि याची के विरुद्ध विभागीय जांच में गबन का कोई भी आरोप नहीं पाया गया और घटना के समय याची ने अपना चार्ज लिपिक नबी हुसैन को दे दिया था व सुमन गौतम का अन्य जिले में ट्रांसफर हो गया था ।छात्रवृत्ति गबन के मामले में एक अन्य मुकदमे में हाई कोर्ट की अन्य बेंच ने याची के चार्जशीट पर भी रोक लगाते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। जिस पर न्यायालय ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है व याची के विरुद्ध उत्पीड़न की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए प्रति उत्तर दाखिल करने के उपरांत मुकदमे की लिस्ट करने का आदेश किया। मेरठ में हुए थे 99 मुकदमे मामला मेरठ जिले का है वर्ष 2010-11 में सरकार द्वारा मदरसों के प्रबंधको के खाते में छात्रवृत्ति के चार करोड रुपए ट्रांसफर किए गए थे। इसके वितरण में पाई गई अनियमिताओं के कारण तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम और कार्यालय के लिपिक संजय त्यागी समेत कई मदरसा संचालकों के खिलाफ 99 मुकदमे मेरठ जिले में दर्ज किए गए थे । ईओडब्लू कर रहा था गबन की जांच मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ को सौंपी गई। इस चर्चित घोटाले में सह आरोपी वर्तमान सहारनपुर जिले की अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम को झूठा फसाये जाने पर पूर्व में हाइकोर्ट के द्वारा उनके खिलाफ किसी भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा चुकी है। याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायालय को बताया कि दो बार विभागीय जांच और विजिलेंस जांच में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की जांच में स्वयं माना गया है की कोई गबन का कोई आरोप नही पाया गया। इसके बावजूद जानबूझकर प्रशासन को गुमराह कर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के द्वारा याची के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर दिया। जबकि वादी तत्तकालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एसएन पांडेय के द्वारा साजिश के तहत याची व अन्य के विरुद्ध 98 मुकदमे शासन को गुमराह कर इओडब्लू से साजिश कर दर्ज कराए गए ।शिकायतकर्ता के विरुद्ध आय से अधिक सम्पति की जांच भी चल रही है ।

Jun 17, 2025 - 00:27
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मेरठ में छात्रवृत्ति घोटाला मामले में हाइकोर्ट ने मांगा जवाब:तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को नोटिस जारी, 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करें
मेरठ में अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति वितरण मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। तत्काल

मेरठ में छात्रवृत्ति घोटाला मामले में हाइकोर्ट ने मांगा जवाब

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मेरठ में अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति वितरण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब माँगा है। अदालत ने तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत ने उस समय दिया जब वरिष्ठ पटल सहायक संजय त्यागी की याचिका पर सुनवाई की गई।

घोटाले का पृष्ठभूमि

यह मामला 11 साल पहले का है, जब आल्ट्रा मिनॉरिटी वेलफेयर ऑफिसर शेष नाथ पांडेय ने 2014 में कई स्कूलों में छात्रवृत्ति के गबन की शिकायत की थी। उन स्कूलों में जेड आसना पब्लिक स्कूल, सोनी पब्लिक स्कूल, पंचशील पब्लिक स्कूल और एचएमटी जूनियर हाई स्कूल शामिल थे। इस घोटाले के अंतर्गत लगभग 16,88,000 रुपए का गबन हुआ था। ढिठाई से, शेष नाथ पांडेय ने आरोप लगाया कि ये राशि विभिन्न प्रतिनिधियों और प्रबंधकों के माध्यम से गलत तरीके से निपटाई गई थी।

याचिका का विवरण

याचिका दायर करते समय, संजय त्यागी के वकील सुनील चौधरी ने अदालत में बताया कि उनके मुवक्किल का नाम एफआईआर में नहीं था, बावजूद इसके उन्हें गलत तरीके से घोटाले में फंसाया गया। उन्होंने ठीक से यह भी बताया कि जब एफआईआर दर्ज की गई, तब कोई तथ्य या साक्ष्य नहीं थे। अनुसंधान के दौरान विवेचना अधिकारी ने खुद माना कि डेटा का कोई सबूत नहीं था।

सरकार की कार्रवाई

इस मामले में पहले से चल रही जांचों में यह पाया गया था कि संजय त्यागी के खिलाफ कोई भी गबन का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। हालाँकि, आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) द्वारा जांचों में हमेशा संदेह के घेरे में रहे हैं। ऐसे में, अदालत ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए नोटिस जारी कर समस्त मौजूदा प्रमाणों को देखने का निर्देश दिया।

मेरठ में हुए हैं 99 मुकदमे

यह उल्लेखनीय है कि मेरठ में छात्रवृत्ति के वितरण में कई अनियमितताओं के कारण 2010-2011 में 99 मुकदमे दर्ज किए गए थे। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, लखनऊ के संयुक्त निदेशक के रूप में कार्यरत शेष नाथ पांडेय के खिलाफ भी कई आरोप लगाए गए थे। यह सारा मामला निश्चित रूप से अल्पसंख्यक छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर रहा था।

निष्कर्ष

इस घोटाले में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि इस तरह की अनियमितताएँ भविष्य में न दें। हाईकोर्ट का यह कदम सुनिश्चित करता है कि सभी पहलुओं की गहन जांच हो, और जिन लोगों को निर्दोष ठहराया गया है, उन्हें न्याय मिले। आपको हमारा यह रिपोर्ट कैसा लगा, हमें बताएं।

यह मामला निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म देगा। इससे स्पष्ट होता है कि सरकारों को छात्रवृत्तियों के वितरण की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाना होगा।

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