निरंजनी अखाड़े की पेशवाई महाकुंभ के लिए निकली:सनातन की पताका लेकर एक हजार साधु-संत निकले, हाथी-घोड़े, ऊंट और रथ पर सवार हैं
महाकुंभ के लिए आज (4 जनवरी) निरंजनी अखाड़े की पेशवाई निकली है। करीब एक हजार साधु-संत अपने पूरे राजषी वैभव के साथ हाथी-घोड़े, ऊंट और रथ पर सवार होकर निकले हैं। बाघंबरी मठ में विधि विधान के साथ पूजा के बाद सनातन की पताका फहराते हुए संत मेला क्षेत्र के लिए निकले। बैंड, डीजे की धुन पर कलाकारों करतब दिखा रहे हैं। रास्ते में सड़क के दोनों ओर हजारों की संख्या में लोग जुटे हैं। संतों पर फूल बरसाकर स्वागत कर रहे हैं। जिस तरफ से संतों को जाना है, उस रास्ते को अच्छे से साफ किया गया है।

निरंजनी अखाड़े की पेशवाई महाकुंभ के लिए निकली
महाकुंभ के पावन अवसर पर निरंजनी अखाड़े की पेशवाई ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। इस साल महाकुंभ का आयोजन हरिद्वार में हो रहा है, जहाँ सनातन धर्म की गगनचुंबी पताका लेकर एक हजार साधु-संत आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। इन साधु-संतों के साथ हाथी, घोड़े, ऊंट और भव्य रथ भी शामिल हैं, जो इस धार्मिक त्योहार की भव्यता को और बढ़ाते हैं।
महाकुंभ का महत्व और साधुओं की पेशवाई
महाकुंभ का महत्व केवल धार्मिक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है। हर बार की तरह इस बार भी निरंजनी अखाड़े के साधु-संतों ने अपनी पहचान को बरकरार रखते हुए भव्य पेशवाई का आयोजन किया है। यह पेशवाई साधुओं की spiritual यात्रा का आधार है, जिसमें वे गंगा जल लेकर अपने-अपने आश्रमों की ओर प्रस्थान करते हैं।
भव्यता और रंगीनता से भरी पेशवाई
पेशवाई की भव्यता को देखते हुए सड़कों पर हजारों की संख्या में भक्तों का जमावड़ा देखा गया। हाथियों पर सवार साधु-संतों की वेशभूषा और रथों की सजावट में भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है। ऊंटों और घोड़ों की रेंक ने समारोह की जीवंतता को और बढ़ा दिया। इस धार्मिक पर्व का न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी बड़ा महत्व है।
निष्कर्ष
इस महाकुंभ के दौरान निरंजनी अखाड़े द्वारा संचालित पेशवाई न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह भारतीय संस्कृति की अनूठी परंपराओं का भी प्रतीक है। इस अवसर पर पूरा शहर श्रद्धालुओं से गुलजार हो गया है। यहाँ पर आस्था, विश्वास और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है।
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