नोएडा में ट्रेजरी अधिकारी बनकर डॉक्टर से ठगे 10 लाख:ढाई-ढाई लाख करके चार बार में ट्रांसफर हुई रकम, अनजान नंबर से आई थी कॉल
बैंक और खाते संबंधी जानकारी लेकर साइबर अपराधियों ने एक रिटायर्ड डॉक्टर के साथ दस लाख रुपए की ठगी कर ली। पीड़ित की शिकायत पर साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने अज्ञात ठगों के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी ऐक्ट की धारा में केस दर्ज कर मामले की जांच शुरु कर दी है। डीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव ने बताया कि गौर सिटी-2 निवासी डा. करणवीर सिंह ने साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि सात अप्रैल को उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आई। पहली बार में डॉक्टर ने कॉल नहीं उठाई। करीब आधे घंटे बाद जब उसी नंबर से दोबारा कॉल आई तो डॉक्टर ने उठा लिया। कॉल करने वाले ने खुद को ट्रेजरी दफ्तर का अधिकारी बताया और पेंशन संबंधी कुछ फार्म भरने को कहा। कथित ट्रेजरी अधिकारी ने पांच मिनट बाद डाटा निकालकर फिर से कॉल करने को कहा। वीडियो कॉल कर सूचनाएं साझा करने को कहा तीसरी बार में ठग ने वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल की और कई सूचनाएं साझा की, जो शिकायतकर्ता के पेंशन से संबंधित थी। बातचीत के दौरान ही डॉक्टर के पास एक लिंक भेजा गया और इसपर क्लिक कर बैंक और खाते संबंधी पूरी जानकारी भरने को कहा गया। वॉट्सऐप के माध्यम से ही स्क्रीन शेयरिंग कराई गई। लिंक खोलने के बाद करणवीर ने कुछ ही मिनट में बैंकिंग संबंधी पूरी जानकारी भर दी। इसके बाद शिकायतकर्ता से पूछा गया कि उसके घर से एसबीआई का एटीएम बूथ कितनी दूर है। शिकायतकर्ता ने जब बताया कि एटीएम बूथ की घर से दूरी पांच सौ मीटर है तो कथित अधिकारी ने उसे वहां भेजा और कॉल चालू रखने को कहा। बूथ के अंदर पहुंचने पर शिकायतकर्ता के डेबिट कार्ड से कई प्रक्रिया कराई गई। एक घंटे के भीतर बकाया संबंधी जानकारी शिकायतकर्ता के साथ साझा करने को कहा गया। साथ ही 24 घंटे के अंदर चार माह की पेंशन समेत अन्य राशि खाते में ट्रांसफर करने का वादा कॉल करने वाले की ओर से किया गया। घर पहुंचने पर हुई ठगी की जानकारी घर पहुंचने पर शिकायतकर्ता को एक मेल मिला जिसमें उसके खाते से ढाई लाख रुपए निकलने की जानकारी थी। यह रकम किसी धर्मेंद्र रे के खाते में गई थी। आनन फानन में शिकायतकर्ता संबंधित बैंक पहुंचा और मैनेजर से खाते को होल्ड कर जमा और निकासी पर रोक लगाने को कहा। हालांकि तब तक ढाई लाख रुपए के चार ट्रांजैक्शन हो चुके थे। बैंक मैनेजर ने करणवीर को हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराने को कहा गया। उसने ऐसा ही किया। इस दौरान पांच लाख रुपए किसी किरन नाम की महिला के खाते में भी गए। शिकायतकर्ता ने आशंका जताई है कि ठगों ने उसके मोबाइल की सेटिंग में बदलाव कराया और मोबाइल हैक कर लिया। उसके सारे मेल और मैसेज भी डिलीट कर दिए गए। जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है पुलिस उन खातों की जांच कर रही है। आशंका जताई जा रही है कि किराये के खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है।

नोएडा में ट्रेजरी अधिकारी बनकर डॉक्टर से ठगे 10 लाख
नोएडा एक बार फिर से ठगी के एक नए मामले का साक्षी बना है, जहां एक डॉक्टर को ट्रेजरी अधिकारी बनने का दावा करने वाले अपराधी ने 10 लाख रुपये ठग लिए। यह मामला सामाजिक सुरक्षा और जागरूकता की कमी को उजागर करता है। डॉक्टर ने बताया कि उसके पास अनजान नंबर से कॉल आई थी, जिसमें ठग ने खुद को ट्रेजरी अधिकारी बताकर उसे विश्वास में लिया।
कैसे हुआ ठगी का यह मामला?
डॉक्टर ने बताया कि ठग ने उसे बताया कि उसके खिलाफ एक जांच चल रही है और उसे इसका हल निकालने के लिए पैसे ट्रांसफर करने की आवश्यकता है। आरोपी ने चार बार में ढाई-ढाई लाख रुपये ट्रांसफर करने को कहा। पहले तो डॉक्टर ने इसे एक कानूनी प्रक्रिया मानकर पैसे ट्रांसफर कर दिए, लेकिन जब ठगी का एहसास हुआ, तो बहुत देर हो चुकी थी।
कॉल के पीछे का मंसूबा
इस ठगी का शिकार हुए डॉक्टर ने कहा कि कॉल करने वाला व्यक्ति बहुत विश्वास के साथ बात कर रहा था। उसने सभी कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी दी और डॉक्टर को तर्कों में उलझा दिया। इस तरह से उसने डॉक्टर से पैसे ऐंठ लिए, जो कि एक गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में अक्सर लोग अनजान नंबरों पर विश्वास करके भारी धनराशि खो देते हैं।
किस तरह से सुरक्षित रहें?
इस प्रकार की ठगी से बचने के लिए सबसे पहले किसी भी अनजान कॉल पर विश्वास न करें। हमेशा किसी भी वित्तीय लेनदेन को ध्यान से समझें और जरूरी दस्तावेजों की सत्यता की जांच करें। यदि किसी भी प्रकार की संदेहास्पद स्थिति उत्पन्न होती है, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें और इसकी सूचना दें।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि हमें सतर्क रहना चाहिए और कभी भी अनजान कॉल में दिए गए वित्तीय विवरणों को साझा नहीं करना चाहिए।
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