पीड़ितों से मिलने जा रहे सपाईयों को पुलिस ने रोका:होली पर हुई थी घटना, 10 सदस्यीय टीम को रोकने के विरोध में धरने पर बैठे कार्यकर्ता

संतकबीरनगर में होली के दिन डीजे विवाद में हुई हिंसा के बाद एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस मामले में पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे समाजवादी पार्टी के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को प्रशासन ने डाक बंगले पर रोक दिया। अपर पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार सिंह एवं एडीएम जयप्रकाश ने डॉक बंगले पर सपा नेताओं को समझाते रहे। सपा मुखिया अखिलेश यादव के निर्देश पर गठित प्रतिनिधिमंडल में सांसद रमाशंकर राजभर और लक्ष्मीकांत 'पप्पू' निषाद शामिल थे। इसके अलावा जिलाध्यक्ष अब्दुल कलाम, विधायक रामअचल राजभर और पूर्व राज्यमंत्री रामदुलार राजभर भी मौजूद थे। सपा नेताओं की पुलिस से तीखी नोकझोंक प्रशासन द्वारा रोके जाने पर सपा नेताओं की पुलिस से तीखी नोकझोंक हुई। नेता सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। उन्होंने सरकार और प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाया। प्रतिनिधिमंडल कर्री गांव में पीड़ित परिवार से मिलकर आर्थिक सहायता देने और जांच रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को सौंपने जा रहा था। गांव में तनाव को देखते हुए प्रशासन सतर्क है। सपा नेताओं का कहना है कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था फेल है और पीड़ितों के साथ अन्याय हो रहा है।

Mar 23, 2025 - 19:59
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पीड़ितों से मिलने जा रहे सपाईयों को पुलिस ने रोका:होली पर हुई थी घटना, 10 सदस्यीय टीम को रोकने के विरोध में धरने पर बैठे कार्यकर्ता
संतकबीरनगर में होली के दिन डीजे विवाद में हुई हिंसा के बाद एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस मामले में पी

पीड़ितों से मिलने जा रहे सपाईयों को पुलिस ने रोका

हाल ही में एक विवादास्पद घटना सामने आई है जहाँ होली पर पीड़ितों से मिलने जा रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोक दिया। यह घटना उस समय हुई जब सपा की 10 सदस्यीय टीम पीड़ित परिवारों के साथ संवाद करने और उनकी समस्याओं को समझने के लिए निकली थी। इस कार्रवाई के खिलाफ विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धरना देने का निर्णय लिया, जो कि इस जनसमस्या की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

घटना का विवरण

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें पीड़ितों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई, जो कि लोकतंत्र की स्वस्थ प्रक्रिया पर सवाल उठाता है। सपा प्रमुख ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। कार्यकर्ताओं ने धरने पर बैठकर इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने का निर्णय लिया है, जिससे उनकी आवाज और अधिक मजबूत हो सके।

पुलिस की स्थिति

पुलिस प्रशासन के अनुसार, उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाना पड़ा। उनके दावे के अनुसार, इलाके में वर्तमान में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है और इस स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए कार्यकर्ताओं को रोका गया। हालांकि, सपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह एक स्पष्ट राजनीतिक दिखावा है, जिसे लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ माना जाना चाहिए।

प्रदर्शन का उद्देश्य

धरने का मुख्य उद्देश्य न केवल पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ विरोध व्यक्त करना है, बल्कि पीड़ितों की स्थिति को मीडिया में उठाना भी है। आयोजकों का कहना है कि उनकी कोशिशें पीड़ितों के प्रति सहानुभूति और न्याय की मांग को जोरदार बनाने की हैं, जिससे सरकार नोटिस ले सके और सही कार्रवाई कर सके।

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का धरना तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। वे चाहते हैं कि सरकार पीड़ितों के साथ बातचीत करे और उनकी समस्याओं का समाधान निकाले। इस प्रकार के प्रदर्शनों से लोकतंत्र में आवाज उठाने का अधिकार स्पष्ट होता है।

इस मामले पर राजनीति गरमा गई है और इसे भविष्य की चुनावी रणनीतियों से भी जोड़ा जा रहा है। राजनीतिक दशा को प्रभावित करने के लिए कार्यकर्ताओं के इस तरह के धरने महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

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