पूर्व SEBI चीफ माधबी बुच पर FIR का आदेश टला:हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के आदेश पर रोक बढ़ाई, मामले की अगली सुनवाई अब 7 मई को होगी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (1 अप्रैल) को SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और 5 अन्य के खिलाफ FIR आदेश पर रोक बढ़ा दी है। हाईकोर्ट ने पिछले महीने भी इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाई थी। जस्टिस शिवकुमार डिगे ने कहा कि शिकायतकर्ता ने मामले में हलफनामा दाखिल किया है और बुच और अन्य आरोपियों को इसकी जांच करने के लिए समय दिया है। उन्होंने कहा कि पहले दी गई अंतरिम राहत अगले आदेश तक जारी रहेगी। वहीं मामले की अगली सुनवाई 7 मई तक के लिए स्थगित कर दी गई है। मार्च में बुच समेत SEBI के पांच शीर्ष अधिकारियों ने स्पेशल कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था। 2 मार्च को मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने दिया था FIR का आदेश इससे पहले 2 मार्च को मुंबई की एक स्पेशल एंटी-करप्शन कोर्ट ने माधबी पुरी बुच के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। शेयर मार्केट फ्रॉड और नियामक उल्लंघन के मामले में कोर्ट ने माधबी के अलावा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ भी केस दर्ज करने का आदेश दिया था। माधवी बुच समेत छह लोगों पर FIR का आदेश दिया गया था यह आदेश स्पेशल जज एसई बांगर ने ठाणे बेस्ड जर्नलिस्ट सपन श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका पर दिया था। सपन ने स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी की लिस्टिंग में बड़े पैमाने पर फाइनेंशियल फ्रॉड और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। सेबी और कॉर्पोरेट संस्थाओं के बीच मिलीभगत, इनसाइडर ट्रेडिंग और लिस्टिंग के बाद पब्लिक फंड की हेराफेरी के आरोप भी लगाए गए थे। एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर प्रभाकर तरंगे और राजलक्ष्मी भंडारी महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए थे। सेबी कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगी वहीं सेबी ने स्टेटमेंट में कहा था कि वह जल्द ही मुंबई की ACB कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगी। इसके अलावा सेबी ने कहा था कि शिकायतकर्ता तुच्छ और आदतन मुकदमेबाज है। ACB को 30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था जज बांगर ने शिकायत और सहायक दस्तावेजों की समीक्षा करने के बाद यह आदेश दिया था। जज ने मुंबई के एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी), भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और सेबी अधिनियम के तहत FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। अदालत ने ACB को 30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा था। शिकायतकर्ता के तीन तर्क... अब माधबी बुच के बारे में जानिए बुच ने अपना करियर 1989 में ICICI बैंक से शुरू किया था। 2007 से 2009 तक ICICI बैंक में एग्जीक्यूटिव डायरेक्ट थीं। वे फरवरी 2009 से मई 2011 तक ICICI सिक्योरिटीज की मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO थीं। 2011 में सिंगापुर चली गईं और वहां उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में काम किया। माधबी के पास फाइनेंशियल सेक्टर में 30 साल का लंबा अनुभव है और वे सेबी की तमाम कमेटियों में पहले भी रह चुकी हैं। वे अभी इसकी एडवाइजरी कमेटी में भी थीं। सेबी चीफ पर लगे बड़े आरोप... हिंडनबर्ग का आरोप- अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में SEBI चीफ की हिस्सेदारी सेबी चीफ रहते 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप 28 फरवरी को सेबी चीफ के पद से रिटायर हुई हैं माधबी बुच माधबी पुरी बुच 28 फरवरी को सेबी चीफ के पद से रिटायर हुई हैं। उनकी जगह केंद्र सरकार ने वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे को अगला SEBI प्रमुख नियुक्त किया है। तुहिन अगले 3 साल के लिए इस पद पर रहेंगे। तुहिन कांत पांडे ओडिशा कैडर के 1987 बैच के IAS अधिकारी हैं। वे मोदी 3.0 सरकार में भारत के सबसे व्यस्त सचिवों में से एक हैं। वे फिलहाल केंद्र सरकार में चार महत्वपूर्ण विभागों को संभाल रहे हैं। उन्हें 7 सितंबर 2024 को वित्त सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था। -------------------------------------------------- सेबी चीफ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट, सेबी चीफ पर आरोप:माधबी पुरी बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर एंटिटीज में थी हिस्सेदारी अडाणी ग्रुप पर अपनी रिपोर्ट के लिए जानी जाने वाली फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) की चीफ माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाए हैं। अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में दावा किया है कि सेबी चीफ के पास अडाणी ग्रुप के जरिए पैसों की हेराफेरी स्कैंडल में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर एंटिटीज में हिस्सेदारी थी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें... हिंडनबर्ग का SEBI चीफ पर आरोप: माधबी बुच की उसी विदेशी फंड में हिस्सेदारी, जिसमें अडाणी का निवेश; बुच बोलीं- हमारी जिंदगी खुली किताब अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने शनिवार को सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चेयरपर्सन पर गंभीर आरोप लगाए। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। बुच ने इन आरोपों को "निराधार" और "चरित्र हनन" का प्रयास बताया है। SEBI चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, 'हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है।' पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...

Apr 1, 2025 - 16:59
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पूर्व SEBI चीफ माधबी बुच पर FIR का आदेश टला:हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट के आदेश पर रोक बढ़ाई, मामले की अगली सुनवाई अब 7 मई को होगी
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पूर्व SEBI चीफ माधबी बुच पर FIR का आदेश टला

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मुख्य बातें

हाल ही में, उच्च न्यायालय ने पूर्व SEBI प्रमुख माधबी बुच के खिलाफ FIR के आदेश को स्थगित कर दिया है। विशेष अदालत द्वारा दिया गया आदेश अब अगले स्तर पर विचार के लिए रोक दिया गया है, और इस मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी। इस फैसले ने कई लोगों के बीच चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है, जो इसके कानूनी और आर्थिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं।

कानूनी पृष्ठभूमि

माधबी बुच पर लगे आरोपों के संदर्भ में यह मामला भारत के वित्तीय नियामक ढांचे को लेकर कई सवाल उठाता है। SEBI द्वारा किए गए कार्यों और नियमों के पालन में किसी भी प्रकार की अनियमितता का आरोप बुच पर है, जिसने उनके कार्यकाल में कई मुद्दों को जन्म दिया। उच्च न्यायालय का यह फैसला उनकी न्यायिक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।

विशेष कोर्ट का आदेश और उच्च न्यायालय की रोक

विशेष अदालत ने पहले इसके खिलाफ FIR का आदेश दिया था, जिससे पूर्व SEBI प्रमुख के लिए कानूनी जटिलताएँ बढ़ गई थीं। हालांकि, अब उच्च न्यायालय ने इसे रोक दिया है। यह निर्णय उस समय आया है जब कई लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि इस मामले का आगे क्या होगा और इसका वित्तीय बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

आगामी सुनवाई और उसके परिणाम

अगली सुनवाई 7 मई को होगी, और यह सुनवाई माधबी बुच के भविष्य के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। कानूनी विशेषज्ञों की राय में, उच्च न्यायालय का यह कदम मामलों की गहराई को दर्शाता है और इससे यह भी संकेत मिलता है कि न्यायालय इस विषय में गंभीरता से विचार कर रहा है।

व्यापार और निवेशकों के लिए संभावित प्रभाव

माधबी बुच के मामले का भारतीय वित्तीय बाजारों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। निवेशकों और व्यापारियों को भले ही यह मामला सीधे प्रभावित न करे, लेकिन यह चिंता का विषय बना हुआ है। आगामी सुनवाई के परिणाम और न्यायालय के निर्णय से भारतीय बाजार के स्थिरता को लेकर कुछ स्पष्टता मिल सकती है।

निष्कर्ष

जबतक मामले में सुनवाई का परिणाम नहीं आता, तबतक इस स्थिति को लेकर स्पष्टता संभव नहीं है। 7 मई की सुनवाई का इंतजार रहेगा, जो महत्वपूर्ण कानूनी परिणामों के साथ-साथ वित्तीय बाजारों में भी हलचल मचा सकता है।

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