प्रयागराज महाकुंभ की गूंज होली के गीतों में:फगुआ में 'महाकुंभ भइल एहि बार' गीत छाया, 66 करोड़ श्रद्धालुओं का जिक्र

प्रयागराज में इस बार होली के त्योहार पर महाकुंभ का रंग गहरा नजर आ रहा है। होली के पारंपरिक गीतों में महाकुंभ की विशेष झलक देखने को मिल रही है। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित गायक उदयचंद परदेशी के गीत विशेष चर्चा में हैं। 'महाकुंभ भइल एहि बार बोलो सारारा, मोदी योगी की सरकार बोलो सारारा' गीत होली के मौसम में खूब लोकप्रिय हो रहा है। इस फगुआ में महाकुंभ में आए 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का भी उल्लेख किया गया है। उदयचंद परदेशी के अनुसार, महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता को अपने गीतों में शामिल करना जरूरी था। महाकुंभ और होली का गहरा संबंध है। भारतीय लोक कला महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश यादव बताते हैं कि महाकुंभ का समापन महाशिवरात्रि पर होता है। माघी पूर्णिमा से ही फाल्गुन माह शुरू हो जाता है, जिससे फगुआ गायन की शुरुआत होती है। लोक गायक सूरज सिंह के अनुसार होली के 21 प्रकार के गीत होते हैं। महाकुंभ से जुड़े इन गीतों में बेलवरिया, चैता, धमाल, चौताला और उलाहरा प्रमुख हैं। लोक गायक कंचन यादव बताते हैं कि इन गीतों में प्रयुक्त 'सारारा' शब्द कबीर पंथी और योग पंथी परंपरा से जुड़ा है, जिसमें जागीरा और कबीरा का प्रयोग होता है।

Mar 11, 2025 - 22:59
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प्रयागराज महाकुंभ की गूंज होली के गीतों में:फगुआ में 'महाकुंभ भइल एहि बार' गीत छाया, 66 करोड़ श्रद्धालुओं का जिक्र
प्रयागराज में इस बार होली के त्योहार पर महाकुंभ का रंग गहरा नजर आ रहा है। होली के पारंपरिक गीतों म

प्रयागराज महाकुंभ की गूंज होली के गीतों में

महाकुंभ का त्योहार हर साल श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, और इस बार इसका जश्न होली के रंगों में डूब गया है। होली के गीतों में अब 'महाकुंभ भइल एहि बार' जैसे नए और मनमोहक गीत की गूंज सुनाई देने लगी है। यह गीत न केवल महाकुंभ की महिमा का बखान करता है, बल्कि इसमें 66 करोड़ श्रद्धालुओं का भी जिक्र किया गया है, जो इस महाकुंभ के साथ जुड़े हैं।

महाकुंभ का महत्व

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ एक अनोखी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाले इस मेले में लाखों श्रद्धालु स्नान करने और अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए उपस्थित होते हैं। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, एकता और विविधता का भी प्रतीक है।

होली के साथ महाकुंभ का संगम

इस बार होली का पर्व महाकुंभ के साथ और भी खास बन गया है। 'महाकुंभ भइल एहि बार' जैसे गीतों के माध्यम से, लोग इस शुभ अवसर को सेलिब्रेट कर रहे हैं। ये गीत केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि ये श्रद्धालुओं के बीच एकजुटता और श्रद्धा की भावना को भी प्रकट करते हैं।

66 करोड़ श्रद्धालुओं का जिक्र

इस महाकुंभ का इतिहास और महत्व इस बात से सिद्ध होता है कि इसमें 66 करोड़ श्रद्धालुओं का जिक्र किया गया है। यह संख्या दर्शाती है कि कैसे महाकुंभ केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इन श्रद्धालुओं के अनुभव और आस्था को महाकुंभ के गीतों में समाहित किया जा रहा है, जो इस अवसर को और भी खास बनाता है।

आस्था और भक्ति के इस पर्व को मनाने के लिए, भक्तगण कई प्रकार के गीतों का आनंद ले रहे हैं। 'महाकुंभ भइल एहि बार' जैसे गीत इस अवसर की ख़ुशी को और बढ़ाते हैं।

इस तरह, प्रयागराज महाकुंभ की गूंज होली के गीतों में बसी हुई है और यह श्रद्धालुओं के बीच एक विशेष कड़ी का काम कर रही है। यह पर्व हम सभी को एकजुटता और भाईचारे का संदेश देता है।

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