फर्जी डिग्रियों की पड़ताल शुरू, 9 विवि में जाएगी पुलिस:सरकारी डाक्टर व उसके गिरोह ने बेची है मेडिकल की 21 डिग्री; भेजे जा चुके हैं जेल

गोरखपुर में पूर्व सरकारी डाक्टर व उसके साथी के पास से बरामद मेडिकल की फर्जी डिग्रियों की पड़ताल शुरू हो चुकी है। जिन विश्वविद्यालयों के नाम से इसे जारी किया गया है, वहां पुलिस को रवाना किया गया है। पुलिस विश्वविद्यालय में जाकर डिग्रियों के बारे में जानकारी जुटाएगी। ये डिग्रियां कहां बनाई जा रही हैं, इसकी पड़ताल भी होगी। खोराबार पुलिस ने बेलवार पीएचसी पर तैनात रहे आयुष चिकित्सक डा. राजेश कुमार व उसके साथी सुशील कुमार चौधरी को फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार किया था। इस गिरोह का पर्दाफाश तब हुआ जब एक व्यक्ति ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई। पूछताछ में महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं और गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में भी पता चला। पकड़े गए डाक्टर व उसके साथी के पास से 21 फर्जी डिग्रियां मिली हैं। दोनों को जेल भेजा जा चुका है। इस मामले में डाक्टर को बर्खास्त कर दिया गया है। इन संस्थानों के नाम से जारी फर्जी डिग्री बेची गई पुलिस टीम लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, शिकोहाबाद, छत्तीसगढ़ व कर्नाटक जाकर पड़ताल करेगी। पुलिस को डाक्टर के पास से जो फर्जी डिग्रियां मिली हैं, उनमें से राजीव गांधी यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस कर्नाटक के नाम से जारी 3, ओपीजेएस यूनिवर्सिटी चुरू राजस्थान के नाम से जारी 2, उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल की 1, आईके गुजरात पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी की 2, जेएस विश्वविद्यालय शिकोहाबाद की 4, आयुष एंड हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी आफ छत्तीसगढ़ की 1, ईएफटीएम यूनिवर्सिटी मुरादाबाद की 3, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक की 1 डिग्री शामिल है। इसी तरह उसके साथी के पास से आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति बोर्ड उत्तर प्रदेश के नाम से जारी 1 एवं चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के नाम से जारी एक डिग्री मिली है। डाक्टर ने अपने लिए बनवाई थी एमबीबीएस की डिग्री आरोपित डाक्टर ने अपने लिए एमबीबीएस की फर्जी डिग्री बनवाई थी। यह डिग्री राजीव गांधी यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस कर्नाटक के नाम से जारी है। इस यूनिवर्सिटी के नाम से जारी 3 डिग्रियां डाॅक्टर के पास से मिली थीं। डिग्रियां बेचने के लिए ग्राहक तलाशता था डाॅक्टर खोराबार की पुलिस ने 24 फरवरी को डाक्टर व उसके साथी को गिरफ्तार किया था। ये दोनों मिलकर फर्जी डिग्रियां बेचने के लिए ग्राहक तलाशते थे। उन्हें झांसे में लेकर फर्जी डिग्री बेच देते थे। डाक्टर होने के नाते राजेश पर लोग आसानी से विश्वास भी कर लेते थे। लोग अपना व्यवसाय शुरू करने की लालच में डी फार्मा, आयुर्वेद से संबंधित पाठ्यक्रमों की डिग्रियां लेते थे। सरगना की हो रही तलाश पुलिस की जांच में यह बात सामने आयी है कि पकड़े गए डाक्टर व उसके साथी के जिम्मे डिग्रियां बेचने का काम था। इसे बनवाने का जिम्मा सरगना के पास था। जांच में यह बात सामने आयी है कि वह पश्चिम उत्तर प्रदेश में रहता है। वहीं से फर्जी डिग्रियां छपवाता है। पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। उसके पकड़े जाने के बाद बड़ा खुलासा हो सकता है। जानिए पुलिस ने क्या कहा एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि फर्जी मेडिकल डिग्री की जांच शुरू कर दी गई है। 9 विश्वविद्यालयों में टीमों को रवाना किया गया है। वहां पूछताछ के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। डिग्री छपवाने वाले सरगना की तलाश जारी है।

Mar 3, 2025 - 06:59
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फर्जी डिग्रियों की पड़ताल शुरू, 9 विवि में जाएगी पुलिस:सरकारी डाक्टर व उसके गिरोह ने बेची है मेडिकल की 21 डिग्री; भेजे जा चुके हैं जेल
गोरखपुर में पूर्व सरकारी डाक्टर व उसके साथी के पास से बरामद मेडिकल की फर्जी डिग्रियों की पड़ताल शु

फर्जी डिग्रियों की पड़ताल शुरू, 9 विवि में जाएगी पुलिस

हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है जिसमें सरकारी डॉक्टर और उसके गिरोह पर मेडिकल की 21 फर्जी डिग्रियाँ बेचने का आरोप लगा है। जांच के लिए पुलिस अब नौ विश्वविद्यालयों में अपनी कार्रवाई बढ़ा रही है। इस घटनाक्रम ने शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार के अंधेरे पक्ष को उजागर किया है। News by indiatwoday.com

फर्जी डिग्रियों का खुलासा

सालों से कई छात्रों ने ये डिग्रियाँ प्राप्त कीं, जबकि उनकी वैधता संदिग्ध है। यह पाया गया है कि इन डिग्रियों का उपयोग कर सरकारी नौकरी पाने में लाखों रुपये की धोखाधड़ी की गई। फर्जी डिग्रियों के इस स्कैंडल में शामिल मुख्य आरोपी और उसके साथियों को जेल भेजा जा चुका है।

पुलिस की जांच प्रक्रिया

पुलिस अब नौ विश्वविद्यालयों में जा रही है ताकि इस मामले में शामिल सभी व्यक्तियों की पहचान की जा सके। अधिकारियों का एक दल हर विश्वविद्यालय में इस कारनामे की गहराई से जांच करेगा। उनका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे कदाचार को भविष्य में रोका जा सके।

शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव

फर्जी डिग्रियों के इस मामले से न केवल छात्रों की भविष्य की संभावनाएँ प्रभावित होती हैं, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को भी चुनौती देती है। सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया गया है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि इस तरह के अपराध की पुनरावृत्ति न हो।

समुदाय की प्रतिक्रिया

इस घटना की खबर से शिक्षार्थियों और अभिभावकों में हड़कंप मच गया है। समुदाय के कई लोग इस बड़े भ्रष्टाचार की जांच पर संतोष व्यक्त कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि शिक्षा में ट्रांसपेरेंसी हो और फर्जी डिग्रियों की बिक्री को पूरी तरह से समाप्त किया जाए।

इस मामले में और अधिक अपडेशन के लिए, visit indiatwoday.com

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