बुजुर्ग से भतीजे ने करवाया जमीन दान:बीमारी में अल्ट्रासाउंड के बहाने कराया हस्ताक्षर, पीड़ित बेघर
बलरामपुर के पचपेड़वा थाना क्षेत्र में वीरपुर चौरासी गांव निवासी 80 वर्षीय रामलोटन अपनी जमीन वापस पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। संतानविहीन रामलोटन ने सोचा था कि जो उनकी सेवा करेगा, वही उनकी संपत्ति का हकदार होगा, लेकिन भरोसे का बदला उन्हें धोखे से मिला। बलरामपुर जिले में एक बुजुर्ग को उनके ही भतीजे ने धोखा दिया है। तुलसीपुर तहसील के वीरपुर चौरासी गांव के 80 वर्षीय रामलोटन अपनी जमीन वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। साल 2022 में बीमारी के दौरान उनके भतीजे राममूरत ने उन्हें इलाज के बहाने उप-निबंधक कार्यालय तुलसीपुर ले गया। वहां अनपढ़ रामलोटन को यह कहकर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा लिए कि उनका अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है। बाद में पता चला कि उनकी पूरी संपत्ति राममूरत की पत्नी सुंदरकली के नाम कर दी गई है। बैनामा निरस्तीकरण का मुकदमा दायर कराया रामलोटन ने उपजिलाधिकारी और तहसीलदार से शिकायत की। ग्राम न्यायालय तुलसीपुर में बैनामा निरस्तीकरण का मुकदमा भी दायर किया। मुकदमे की सुनवाई 9 नवंबर 2022 से चल रही है। इस बीच राममूरत ने 9 जुलाई 2023 को विवादित जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया। विरोध करने पर रामलोटन के साथ मारपीट की गई। थाने में कई बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। थानाध्यक्ष ने उल्टे रामलोटन पर सुलह का दबाव बनाया। मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों को भी प्रार्थनापत्र भेजे गए। लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिली। सरकारी नियम के अनुसार 5000 रुपये का स्टांप शुल्क केवल सगे पुत्र या पुत्री को संपत्ति दान करने पर लगता है। रामलोटन के मामले में यह नियम लागू नहीं होता। फिर भी दस्तावेज मान्य कर दिए गए। अब रामलोटन न्याय की आस में अपनी जमीन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

बुजुर्ग से भतीजे ने करवाया जमीन दान: बीमारी में अल्ट्रासाउंड के बहाने कराया हस्ताक्षर, पीड़ित बेघर
News by indiatwoday.com
घटना का संक्षिप्त विवरण
हाल ही में एक बुजुर्ग व्यक्ति को उसकी अपनी भतीजे द्वारा धोखे से जमीन दान करने का मामला सामने आया है। इस मामले में आरोप है कि भतीजे ने बुजुर्ग की बीमारी का फायदा उठाकर उनसे अल्ट्रासाउंड के बहाने दस्तखत करवाए। इसके बाद बुजुर्ग व्यक्ति बेघर हो गए हैं। यह घटना न केवल पारिवारिक नफरत को दर्शाती है, बल्कि न्याय और मानवता के प्रति भी सवाल उठाती है।
पूरा घटनाक्रम
इस मामले में बुजुर्ग व्यक्ति कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। जब वह अपने परिवार के सदस्यों की देखभाल की उम्मीद कर रहे थे, तब उनके भतीजे ने उन्हें धोखे में रखने का साहस किया। अल्ट्रासाउंड के नाम पर, भतीजे ने चिकित्सकीय पर्चे पर बुजुर्ग से दस्तखत करवाए, जो बाद में संपत्ति के हस्तांतरण के लिए उपयोग किया गया। इस घटानाक्रम में बुजुर्ग का विडंबनापूर्ण रूप से बेघर होना एक गंभीर मामला है जिसमें कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
कानूनी पहलू
इस मामले में कानून की धाराओं का स्पष्टीकरण आवश्यक है। यदि यह साबित होता है कि बुजुर्ग व्यक्ति की मानसिक दशा को ध्यान में रखकर हस्ताक्षर करवाए गए थे, तो यह एक गंभीर अपराध होगा। भारत में संपत्ति के हस्तांतरण से जुड़ी कानूनी नियमों के अनुसार, सभी पक्षों की सहमति आवश्यक होती है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कानून इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।
सामाजिक और पारिवारिक धारणा
यह घटना न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में परिवारिक संबंधों की बिगड़ती स्थिति को भी दर्शाती है। बुजुर्गों के प्रति सम्मान और देखभाल का संकट लगातार बढ़ रहा है। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि परिवार की जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाना ही असली मानवता है।
समापन विचार
बुजुर्गों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का सम्मान हमारे समाज की जिम्मेदारी है। इस घटना ने हमें गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कैसे परिवार के लोग एक-दूसरे के प्रति न्यायपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण रह सकते हैं। इसके साथ ही, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह की घटनाएं फिर कभी न हों।
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