हिमाचल राजभवन से पाकिस्तान का स्मृति झंडा हटाया:53 साल तक लगा रहा, शिमला समझौते के दौरान लगाया गया
हिमाचल के गवर्नर हाउस से शिमला समझौते के ऐतिहासिक टेबल पर रखा पाकिस्तान का स्मृति झंडा (टेबल फ्लैग) हटा दिया है। हालांकि पाक झंडा छह महीने पहले हटा दिया गया है। मगर पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह मीडिया में आया है। राजभवन के सेक्रेटरी सीपी वर्मा ने बताया कि कुछ महीने पहले ही पाक स्मृति झंडे को हटा दिया गया था। इसे लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि पाक झंडा हटाने के पीछे कोई वजह नहीं है। वहीं सोशल मीडिया में लोग इसे पहलगाम हमले से जोड़कर देख रहे हैं। उधर, पाकिस्तान ने भी शिमला समझौते को रद्द करने की घोषणा कर दी है। ऐसे में हिमाचल राजभवन ने पहले ही पाक की निशानी टेबल फ्लैग को राजभवन से हटा दिया था। 1972 को शिमला समझौते के बाद से लगा था पाक झंडा बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच 3 जुलाई 1972 को बेहतर संबंध बनाने के लिए शिमला में समझौता हुआ था। तब के ऐतिहासिक भवन बार्नेस कोर्ट नाम से जाना जाता था, जिसमे अब हिमाचल का राजभवन चल रहा है, यहां पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला समझौते पर साइन किए थे। 53 साल बाद हटाया पाक का स्मृति झंडा जिस दिन से यहां दोनों देशों के बीच समझौता हुआ, तब से यहां टेबल पर पाकिस्तान की स्मृति झंडा लगा था। इसे 53 साल बाद हटा दिया गया है। राजभवन अधिकारियों की मानें तो यह स्मृति के लिए लगाया था, ताकि राजभवन आने विजिटर को इस ऐतिहासिक समझौते की जानकारी मिल सके। अब पाकिस्तान का स्मृति चिन्ह हटाने के बाद यहां भारत का तिरंगा लगाया गया है। शिमला समझौते से जुड़ी हर यादें संजोकर रखी राजभवन में भारत-पाक के बीच समझौते से जुड़ी हर याद को संजोकर रखा गया है। यहां जिस टेबल पर समझौता हुआ था, वह भी राजभवन में मौजूद है। जाने क्या है शिमला समझौता 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में पाक के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था। तब भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार, पाक युद्ध बंदियों को छुड़ाने के लिए 2 जुलाई 1972 की रात करीब तीन बजे शिमला में एक समझौता हुआ। इसे शिमला समझौता नाम दिया गया। इस समझौते के बाद तय हुआ कि समझौते के 20 दिनों के अंदर दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी सीमाओं में लौट जाएगी। यह समझौता दोनों देशों में रिश्ते बेहतर बनाने के लिए किया गया था।

हिमाचल राजभवन से पाकिस्तान का स्मृति झंडा हटाया
53 वर्षों तक हिमाचल प्रदेश के राजभवन में लगाए गए पाकिस्तान के स्मृति झंडे को हटा दिया गया है। यह झंडा 1972 में शिमला समझौते के दौरान लगाया गया था, जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच हुए महत्वपूर्ण समझौते के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। अब इस झंडे के हटाने के साथ, कई सवाल भी उठ खड़े होते हैं कि क्या यह एक नई राजनीतिक दिशा का संकेत है।
झंडे का ऐतिहासिक महत्व
पाकिस्तान का यह स्मृति झंडा, जो हिमाचल राजभवन में 53 वर्षों तक फहराया गया था, भारत-पाकिस्तान के बीच शांति और समझौते का प्रतीक माना जाता रहा है। यह झंडा दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग की उम्मीदों को दर्शाता था। लेकिन, अब इसे हटाने के निर्णय से इस प्रतीक की स्थिरता पर सवाल उठते हैं।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
राजभवन से झंडा हटाने के पीछे विभिन्न राजनीतिक तर्क दिए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत की ओर से एक मजबूत संदेश हो सकता है। सरकार का ताजा कदम, पाकिस्तान के साथ चल रहे मुद्दों के बीच एक स्पष्ट स्थिति दिखाता है। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि लोगों की भावनाओं को समझा जाए और जो प्रतीक अब अप्रासंगिक हो चुके हैं, उन्हें हटाया जाए।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
इस निर्णय पर जनता की विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इसे हटाना सही कदम है, जबकि अन्य इसे समझौते के ऐतिहासिक महत्व को नजरअंदाज करने के रूप में देख रहे हैं। इस विषय पर जारी बहस यह दिखाती है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को लेकर लोगों में गहरी सोच और संवेदनाएँ हैं।
News by indiatwoday.com के अनुसार, इस मामले में आने वाले दिनों में अधिक जानकारी प्राप्त होने की उम्मीद है। विशेषज्ञ इसे एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं, जो भविष्य में दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
हिमाचल राजभवन से पाकिस्तान के स्मृति झंडे का हटाया जाना एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है। यह न केवल बीते समय की कहानी को दर्शाता है बल्कि भविष्य के भारत-पाकिस्तान संबंधों पर भी प्रकाश डालता है। और यह साफ है कि दोनों देश के बीच तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद, हर कदम को सावधानी से उठाया जाना चाहिए। Keywords: हिमाचल राजभवन, पाकिस्तान का झंडा, स्मृति झंडा हटाना, शिमला समझौता, भारत-पाकिस्तान संबंध, राजनीतिक निर्णय, जनता की प्रतिक्रिया, ऐतिहासिक महत्व, समझौते का प्रतीक, 53 वर्षों तक झंडा लगा।
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