बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज संभव:सरकार बोली- समुदाय विशेष को निशाना बनाने के आरोप; SC ने कहा- सबके लिए गाइडलाइन बनाएंगे
बुलडोजर एक्शन मामले में सु्प्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को फैसला सुना सकता है। मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच सुनवाई कर रही है। बेंच ने 1 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब बेंच ने साफ किया था कि फैसला आने तक देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया था कि बुलडोजर एक्शन पर रोक में अवैध अतिक्रमण शामिल नहीं होगा। सड़क हो, रेल लाइन हो, मंदिर हो या फिर दरगाह, अवैध अतिक्रमण ही हटाया जाएगा। हमारे लिए जनता की सुरक्षा ही प्राथमिकता है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखी थीं। उन्होंने कहा था- बुलडोजर एक्शन के दौरान आरोप लग रहे हैं कि समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। जो भी गाइडलाइन बनाएंगे, वे सभी के लिए होगी। ............... बुलडोजर एक्शन और सुप्रीम कोर्ट की ये खबरें भी पढ़ें... एमपी में 2 साल में 12 हजार बार बुलडोजर एक्शन, कमलनाथ ने किया ट्रायल, शिवराज ने स्पीड दी, मोहन भी इसी राह पर क्यों मध्य प्रदेश में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी। उस समय बुलडोजर विकास का प्रतीक था। पूर्व सीएम बाबूलाल गौर ने पटवा सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री रहते हुए अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया था। साल 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम बने। उन्होंने बुलडोजर को कानून व्यवस्था से जोड़ दिया। यूपी के इस मॉडल को 2018 में मप्र की कमलनाथ सरकार ने अपनाया। एमपी में जब शिवराज सरकार की वापसी हुई तो बुलडोजर की स्पीड बढ़ गई। पूरी खबर पढ़ें... AMU अल्पसंख्यक दर्जे पर नई बेंच फैसला करेगी:सुप्रीम कोर्ट ने 1967 का फैसला पलटा; जिसमें कहा था- यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी, माइनॉरिटी इंस्टीट्यूट नहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला अब 3 जजों की नई बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से 1967 के अपने ही फैसले को पलट दिया। 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई संस्थान सिर्फ इसलिए अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं खो सकता, क्योंकि उसे केंद्रीय कानून के तहत बनाया गया है। 1967 में सुप्रीम कोर्ट ने अजीज बाशा बनाम केंद्र सरकार के केस में कहा था कि केंद्रीय कानूनों के तहत बना संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान का दावा नहीं कर सकता। पूरी खबर पढ़ें...
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