बड़ी खबर-(देहरादून) डीएम का छापा, डॉक्टर नदारद; एएनएम, एलटी, नर्स की भूतिया एंट्री मिली, दवाईंया आधी, सफाई सुरक्षा राम भरोसे, video

पीपीपी मोड पर 12 शहरी अस्पताल; जन छल और जिला प्रशासन देहरादून डीएम समेत 04 प्रशासनिक टीमों का 12 पीपीपी शहरी अस्पतालों पर आज तड़के ही सुनियोजित छापा, डॉक्टर नदारद;…

Jul 31, 2025 - 00:27
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बड़ी खबर-(देहरादून) डीएम का छापा, डॉक्टर नदारद; एएनएम, एलटी, नर्स की भूतिया एंट्री मिली, दवाईंया आधी, सफाई सुरक्षा राम भरोसे, video

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देहरादून में एक सुनियोजित कार्रवाई के तहत मुख्य जिला अधिकारी (डीएम) ने आज तड़के 12 शहरी अस्पतालों पर छापा मारा है। इस छापे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिसमें मुख्यतः डॉक्टरों की अनुपस्थिति और अन्य स्टाफ के द्वारा भूतिया एंट्री दर्ज करने का मामला शामिल है।

डीएम का छापा: गंभीर समस्याओं का खुलासा

डीएम के नेतृत्व में चार प्रशासनिक टीमों ने एक साथ 12 अस्पतालों पर धावा बोला। इस जांच का मुख्य उद्देश्य सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को समझना और सुधारना था। जांच में डॉक्टर नदारद पाए गए, जबकि एएनएम, एलटी और नर्सों की भूतिया एंट्री मिली। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, הללו अनेक चिकित्सा पेशेवर काम नहीं कर रहे थे, फिर भी उनके नाम अस्पतालों की उपस्थिति सूची में दर्ज थे।

दवाइयों की कमी और सुरक्षा की लापरवाही

छापे के दौरान अस्पतालों में दवाइयों की कमी पाए जाने से स्वास्थ्य प्रणाली की गंभीर लापरवाही का पर्दाफाश हुआ। अस्पतालों में दवाईयां आधी ही उपलब्ध थीं, जो मरीजों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। इसके अलावा, सफाई और सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल उठे। डीएम ने साफ कहा कि ऐसे हालातों में सुधार लाना अनिवार्य है।

कार्रवाई और अर्थदंड

डीएम ने इस लापरवाही के लिए संबंधित फर्म पर 5 लाख रुपये का प्रारंभिक अर्थदंड लगाने की सिफारिश की है। इसके साथ ही, उन्होंने मुख्य सचिव को फर्म की टर्मिनेशन के लिए भी सिफारिश की है। यह निर्णय उस स्थिति को देखते हुए लिया गया है, जिसमें बच्चों और महिलाओं के टीकाकरण की कोल्ड चेन निरंतरता भी बेहद आवश्यक है।

निष्कर्ष

इस छापे ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार की तत्काल जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग को अपने सिस्टम और कर्मचारियों की उपस्थिति पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। जैसा कि डीएम ने कहा है, ऐसे मामलों में सुधार न होना, केवल मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।

इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्रालय को चाहिए कि वह फर्मों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह समाज के प्रति एक बड़ी जिम्मेदारी है, जिसे प्रशासन को निभाना होगा।

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