भारतीय बाजार गिरावट के साथ खुल सकते हैं:अमेरिकी बाजार 2% तक गिरा, हॉन्गकॉन्ग के बाजार में 4% की गिरावट; टैरिफ का असर

शेयर बाजार में आज यानी, बुधवार 9 अप्रैल को गिरावट देखने को मिल सकती है। अमेरिकी और एशियाई बाजारों से लेकर NSE के इंटरनेशनल एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाला गिफ्टी निफ्टी नीचे ट्रेड कर रहा है। इससे बाजार के नीचे खुलने का संकेत मिल रहा है। बाजार के गिरकर खुलने के अनुमान की 3 वजह कल सेंसेक्स 1135 अंक और निफ्टी 374 अंक चढ़ा था 8 अप्रैल को सेंसेक्स 1135 अंक या 1.55% चढ़कर 74,273 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में 374 अंक या 1.69% की तेजी रही, ये 22,535 के स्तर पर बंद हुआ है। कल के कारोबार में मीडिया, रियल्टी और सरकारी बैंकों के शेयरों में सबसे ज्यादा खरीदारी दिखी। निफ्टी मीडिया इंडेक्स 4.72% चढ़ा। वहीं निफ्टी पीएसयू बैंक और रियल्टी इंडेक्स करीब 2.50% चढ़े। FMCG, आईटी और ऑटो में करीब 2% की तेजी रही। बाजार में अस्थिरता की वजह 3 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने दुनियाभर में जैसे को तैसा टैरिफ लगाया था। भारत पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। चीन पर 34%, यूरोपीय यूनियन पर 20%, साउथ कोरिया पर 25%, जापान पर 24%, वियतनाम पर 46% और ताइवान पर 32% टैरिफ लगेगा। इस कदम ने टैरिफ वॉर शुरू कर दिया है। अमेरिका के टैरिफ के जवाब में चीन ने अमेरिका पर 34% जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। नया टैरिफ 10 अप्रैल से लागू होगा। चीन के ऐलान के बाद ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि अगर चीन अमेरिका पर लगाया गया 34% टैरिफ वापस नहीं लेता है तो उस पर बुधवार से 50% एडिशनल टैरिफ लागू होगा। इस ऐलान के बाद व्हाइट हाउस ने मंगलवार को बताया कि ये टैरिफ लागू हो गया है। टैरिफ वॉर ने इकोनॉमिक स्लोडाउन की चिंता को बढ़ा दिया है। टैरिफ से सामान महंगा होने पर लोग कम खरीदारी करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो सकती है। साथ ही, मांग कम होने से कच्चे तेल की कीमतें भी गिरी हैं। ये कमजोर इकोनॉमिक एक्टिविटी का संकेत है। 9 अप्रैल से लागू हुए रेसिप्रोकल टैरिफ अमेरिका में आने वाले सभी सामानों पर 10% बेसलाइन (न्यूनतम) टैरिफ लगाया गया है। बेसलाइन टैरिफ 5 अप्रैल से लागू हो गया है। वहीं रेसिप्रोकल टैरिफ 9 अप्रैल को रात 12 बजे के बाद लागू हो गए हैं। बेसलाइन टैरिफ व्यापार के सामान्य नियमों के तहत आयात पर लगाया जाता है, जबकि रेसिप्रोकल टैरिफ किसी अन्य देश के टैरिफ के जवाब में लगाया जाता है। ---------------------------------------------- कारोबार से जुड़ी ये खबर भी पढ़े... अमेरिकी बाजार दिन के ऊपरी स्तर से 5% गिरकर बंद:चार दिन में 11% गिरा डाउ जोंस, चीन पर 104% टैरिफ लागू होने से आई गिरावट चीन पर लगाए गए 104% टैरिफ के बाद मंगलवार 8 अप्रैल को अमेरिकी शेयर बाजार लगातार चौथे कारोबारी दिन गिरावट में बंद हुए। डाउ जोन्स इंडेक्स 320 अंक या 0.84% की गिरावट के साथ 37,645 के स्तर पर आ गया है। शुरुआती कारोबार में इसमें करीब 4% की तेजी थी। वहीं, अमेरिकी बाजार का SP 500 इंडेक्स 79.48 अंक या 1.57% की गिरावट के साथ 4,982 के स्तर पर बंद हुआ। टेक्नोलॉजी शेयरों के इंडेक्स नैस्डेक कंपोजिट में 335 पॉइंट या 2.15% की गिरावट रही। ये 15,268 के स्तर पर बंद हुआ। पूरी खबर पढ़े...

Apr 9, 2025 - 07:59
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भारतीय बाजार गिरावट के साथ खुल सकते हैं:अमेरिकी बाजार 2% तक गिरा, हॉन्गकॉन्ग के बाजार में 4% की गिरावट; टैरिफ का असर
शेयर बाजार में आज यानी, बुधवार 9 अप्रैल को गिरावट देखने को मिल सकती है। अमेरिकी और एशियाई बाजारों स

भारतीय बाजार गिरावट के साथ खुल सकते हैं: अमेरिकी बाजार 2% तक गिरा, हॉन्गकॉन्ग के बाजार में 4% की गिरावट; टैरिफ का असर

News by indiatwoday.com

समाचार की पृष्ठभूमि

विभिन्न वैश्विक कारकों के चलते भारतीय शेयर बाजार के खुलने की संभावना निराशाजनक प्रतीत हो रही है। हाल के दिनों में, अमेरिकी बाजार में 2% की गिरावट देखी गई है और हॉन्गकॉन्ग का बाजार 4% निम्न स्तर पर पहुँच गया है। इस प्रकार की गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता का माहौल बना दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि इन बाजारों में गिरावट का एक बड़ा कारण अमेरिकी व्यापार नीतियों के चलते बढ़ती टैरिफ की आशंका है।

गिरावट के प्रमुख कारण

अमेरिकी बाजार में हाल की गिरावट का सबसे बड़ा कारण है टैरिफ का असर। अमेरिका द्वारा लागू किए गए टैरिफ ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता उत्पन्न की है, जिसके फलस्वरूप निवेशक सतर्क हो गए हैं। इसके प्रभाव से हॉन्गकॉन्ग और अन्य क्षेत्रीय बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो भारतीय बाजार भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।

भारतीय बाजार पर असर

भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत में गिरावट की संभावना है। निवेशक इस समय अपने पोर्टफोलियो का मूल्यांकन करने में व्यस्त हैं और संभवतः जोखिम से बचने की कोशिश करेंगे। भारतीय बाजार की प्रमुख कंपनियाँ, जिनमें आईटी, बैंकों और ऑटोमोबाइल्स शामिल हैं, इस स्थिति में विशेष रूप से प्रभावित हो सकती हैं।

निवेशकों के लिए सुझाव

विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशक इस समय धैर्य रखें और अपने निर्णयों को सावधानीपूर्वक लें। मौजूदा स्थिति को देखते हुए लम्बी अवधि के निवेश की रणनीति अपनाना बेहतर हो सकता है। जोखिम कम करने के लिए विभिन्न सेगमेंट में निवेश फैलाना भी एक अच्छा विचार हो सकता है।

निष्कर्ष

भारतीय बाजार के खुलने से पहले, वैश्विक आर्थिक संकेतों पर नजर रखना महत्वपूर्ण है। अमेरिकी और हॉन्गकॉन्ग बाजारों में आई गिरावट का असर भारतीय बाजारों पर पड़ने की संभावना है। इस पर दृष्टि रखने से निवेशकों को अपने निवेश के निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

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