भास्कर के कैमरे पर खून बेचने वाले दलाल:24 घंटे में 100 यूनिट सप्लाई का दावा, रिपोर्टर को 14 हजार में बेचा 'ओ' निगेटिव, पार्ट-1
जो ब्लड ग्रुप चाहिए मिल जाएगा। न डॉक्टर के ब्लड रिक्योजिशन फॉर्म (रक्त मांग पत्र) की जरूरत है। न डोनर चाहिए। बस 14 हजार रुपए लगेंगे। 100 यूनिट ब्लड कब चाहिए, कल या परसों? डिमांड भेज दो। यूपी तक सप्लाई हो जाएगी। ये दावे हैं खून के दलालों के। एक तरफ ब्लड बैंक स्टॉक की कमी से जूझ रहे हैं। वहीं इन दलालों ने खून बेचने का पूरा रैकेट खड़ा कर दिया है। यहां तक कि बिना जांच किया हुआ (अनटेस्टेड) ब्लड भी बेचा जा रहा है। भास्कर रिपोर्टर ने 2 महीने तक दो लेवल पर पूरे मामले को इंवेस्टिगेट किया। 'ऑपरेशन रेड अलर्ट' में पहले पढ़िए ब्लड बैंक का काला सच… रामपाल ब्लड बैंक : कैंप लगेगा तब दिला दूंगा 100 यूनिट रिपोर्टर ने पहले फोन पर जयपुर के रामपाल ब्लड बैंक में काम करने वाले प्रमोद से बात की। उसे कहा- यूपी में सप्लाई के लिए बड़ी मात्रा में ब्लड चाहिए। प्रमोद ने कहा-अभी तो गांव आया हुआ हूं, कल ब्लड बैंक आ जाना। अगले दिन रिपोर्टर मिलने पहुंच गया। वंदे ब्लड बैंक : 30 दिन की एक्सपायरी डेट के साथ डिलीवरी का दावा रिपोर्टर ने जयपुर के वंदे ब्लड बैंक के हेमंत से बात की। प्रयागराज में बल्क में ब्लड की डिमांड की। हेमंत ने जगतपुरा के ऋषभ हॉस्पिटल के पास एक थड़ी पर मिलने के लिए बुलाया। अब पढ़िए आम आदमी का एक यूनिट के लिए कैसे ठगा जा रहा… खून के दलालाें का सच सामने लाने के लिए रिपोर्टर प्रॉपर्टी डीलर बनकर राजस्थान के सबसे बड़े सवाई मान सिंह (SMS ) हॉस्पिटल पहुंचा। एक एंबुलेंस कर्मी के जरिए दलाल आमिर सामी का मोबाइल नंबर (98286-26735) मिला। 23 साल का आमिर जयपुर के लालवास का रहने वाला है। पहले चोरी का सोना खरीदने के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। पढ़िए रिपोर्टर और दलाल के बीच की पूरी बातचीत… भास्कर रिपोर्टर ने पूछा– एक यूनिट O निगेटिव चाहिए। बिना डिमांड स्लिप और सैंपल के मिल जाएगा क्या? दलाल बोला- हमारे पास O पॉजिटिव है। इस पर रिपोर्टर ने कहा- एसएमएस के ब्लड बैंक से O पॉजिटिव एक्सचेंज करके O निगेटिव दिला देना। दलाल ने हामी भरी और एसएमएस अस्पताल बुलाया। वहां पहुंचने के बाद कहा- एसएमएस में O निगेटिव नहीं है। स्वास्थ्य ब्लड सेंटर पहुंचिए। मैं लोकेशन शेयर कर रहा हूं। रिपोर्टर लोकेशन पर पहुंचा। वहां दलाल आमिर सामी और रियाज मिले। दलाल बोला- O निगेटिव दिला रहे हैं किसी को मिलता नहीं है दलाल आमिर ने कहा– O निगेटिव अरेंज करने की कोशिश करते हैं। डोनर कौन है? इस पर रिपोर्टर ने कहा- डोनर का जुगाड़ आपको ही करना पड़ेगा। आमिर ने कहा- ठीक है। डॉक्टर से किसी हॉस्पिटल की डिमांड स्लिप बनवा लेंगे। सैंपल किसी और का लगा देंगे। इस पूरे काम में 12-14 हजार रुपए लगेंगे। डॉक्टर, डोनर, रेक्योजिशन फार्म, सैंपल देने वाले और मोहर लगाने वाले सभी को रुपए देने पड़ते हैं। मेरा मेहनताना 7 हजार रुपए भी जोड़ लेना। O निगेटिव दिला रहे हैं, किसी को मिलता ही नहीं है। रिपोर्टर ने पूछा- कोई डॉक्युमेंट्स भी चाहिए होंगे क्या? दलाल ने बेफिक्री से जवाब दिया- टेंशन मत लो। डॉक्टर जमाल खान फर्जी ब्लड रेक्योजिशन फार्म बना देगा। किसी अन्य व्यक्ति का O निगेटिव सैंपल अरेंज करना पड़ेगा। रिपोर्टर ने 2 हजार एडवांस और बाकी रुपए काम होने के बाद देने की बात कही। पूछा- ब्लड रेक्योजिशन फॉर्म में किसका नाम भरोगे? दलाल बोला- किसी का भी भर देंगे। आपका आधार भेज देना। आपके नाम पर ब्लड दिला दूंगा। नर्स का लिया सैंपल
दलाल ने रिपोर्टर से पूछा- पेशेंट का नाम सीक्रेट क्याें रखा है? कोई वीआईपी है क्या? रिपोर्टर ने जवाब दिया- पेशेंट का घर पर इलाज चल रहा है। खून मिलने में मुश्किल आ रही है। फाॅर्म पर बीमारी अपने हिसाब से लिख देना। ब्लड सैंपल कहां से लाओगे? दलाल बोला- एक नर्स का ब्लड ग्रुप 'ओ' निगेटिव है। उसे सात-आठ सौ रुपए देकर ब्लड सैंपल ले आऊंगा। दो दिन बाद दलाल ने रिपोर्टर को फोटो भेजी- सर देखिए, सैंपल का अरेंजमेंट तो हो गया है। अब ब्लड रेक्योजिशन फाॅर्म भरवाकर मोहर लगवानी है। फाॅर्म और ब्लड सैंपल के जरिए किसी ब्लड बैंक से खून खरीदा जा सकेगा। गोविंद मार्ग पर डीएनसी बेकरी है। वहां आ जाना। फाॅर्म दिखा दूंगा। दलाल ने 5500 रुपए मेहनताना लिया
रिपोर्टर बेकरी पहुंच गया। दलाल ने ब्लड रेक्योजिशन फॉर्म दिखाते हुए बताया- तीन हजार रुपए खर्च हुए हैं। बस डॉक्टर की मोहर लगवानी बाकी है। दो दिन बाद दलाल ने वॉट्सऐप पर फोटो और वीडियो भेजे। रिपोर्टर ने पूछा- यह तो राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान है। वहां कौन सा ब्लड बैंक है? दलाल ने बताया- यहां डॉक्टर आए हुए हैं। मोहर के 8 हजार मांग रहे थे। बड़ी मुश्किल से 3500 रुपए में माना है। रिपोर्टर ने पूछा- अब तो सारी फाॅर्मेलिटी हो गई? दलाल ने जवाब दिया- हां, गुरुकुल ब्लड सेंटर से फाॅर्म बन गया है। सैंपल भी हो गया। मेरा मेहनताना 5500 रुपए हो गए। मोहर लगाने वाले को भी मैंने रुपए दिए थे। रिपोर्टर ने उसे 3500 रुपए कैश और 2 हजार ऑनलाइन ट्रांसफर किए। डोनर के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट
दलाल ने कहा- फाॅर्म और ब्लड सैंपल लेकर किसी भी ब्लड सेंटर चले जाना खून मिल जाएगा। रिपोर्टर ने कहा- ब्लड भी आप ही अरेंज कर देना। दलाल ने इसके एक्सट्रा रुपए लगने की बात कही। बोला- गुरुकुल ब्लड केयर सेंटर का फाॅर्म बनवा दिया है। डिमांड हॉस्पिटल में सिटी हॉस्पिटल का नाम लिखवा दिया है। मोहर डॉक्टर पारस जैन के नाम की लगवाई है। वह कई बार एसएमएस में भी बैठते हैं। रिपोर्टर ने पूछा- डोनर कहां से लाओगे? उसे कितने रुपए देने पड़ेंगे? दलाल ने जवाब दिया- गुरुकुल ब्लड केयर सेंटर से बनवाया गया फार्म सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया है। डोनर खुद ही आ जाएगा। उसे खाने पीने का दे देंगे। ज्यादा से ज्यादा 500 रुपए देने पड़ेंगे। ब्लड फिल्टर करवा कर शाम तक आपको मिल जाएगा। आप पिंक स्क्वायर आ जाना। ( वहां पहुंचे तो अली नाम का दलाल खून लेकर आया। ब्लड थर्माकोल के एक डिब्बे में सीएमएचओ ऑफिस के बगल में डिलीवरी कर दिया गया। खून सप्लाई करने के लिए दलाल ने 3700 रुपए लिए।) द
जो ब्लड ग्रुप चाहिए मिल जाएगा। न डॉक्टर के ब्लड रिक्योजिशन फॉर्म (रक्त मांग पत्र) की जरूरत है। न डोनर चाहिए। बस 14 हजार रुपए लगेंगे। 100 यूनिट ब्लड कब चाहिए, कल या परसों? डिमांड भेज दो। यूपी तक सप्लाई हो जाएगी। ये दावे हैं खून के दलालों के। एक तरफ ब्लड बैंक स्टॉक की कमी से जूझ रहे हैं। वहीं इन दलालों ने खून बेचने का पूरा रैकेट खड़ा कर दिया है। यहां तक कि बिना जांच किया हुआ (अनटेस्टेड) ब्लड भी बेचा जा रहा है। भास्कर रिपोर्टर ने 2 महीने तक दो लेवल पर पूरे मामले को इंवेस्टिगेट किया। 'ऑपरेशन रेड अलर्ट' में पहले पढ़िए ब्लड बैंक का काला सच… रामपाल ब्लड बैंक : कैंप लगेगा तब दिला दूंगा 100 यूनिट रिपोर्टर ने पहले फोन पर जयपुर के रामपाल ब्लड बैंक में काम करने वाले प्रमोद से बात की। उसे कहा- यूपी में सप्लाई के लिए बड़ी मात्रा में ब्लड चाहिए। प्रमोद ने कहा-अभी तो गांव आया हुआ हूं, कल ब्लड बैंक आ जाना। अगले दिन रिपोर्टर मिलने पहुंच गया। वंदे ब्लड बैंक : 30 दिन की एक्सपायरी डेट के साथ डिलीवरी का दावा रिपोर्टर ने जयपुर के वंदे ब्लड बैंक के हेमंत से बात की। प्रयागराज में बल्क में ब्लड की डिमांड की। हेमंत ने जगतपुरा के ऋषभ हॉस्पिटल के पास एक थड़ी पर मिलने के लिए बुलाया। अब पढ़िए आम आदमी का एक यूनिट के लिए कैसे ठगा जा रहा… खून के दलालाें का सच सामने लाने के लिए रिपोर्टर प्रॉपर्टी डीलर बनकर राजस्थान के सबसे बड़े सवाई मान सिंह (SMS ) हॉस्पिटल पहुंचा। एक एंबुलेंस कर्मी के जरिए दलाल आमिर सामी का मोबाइल नंबर (98286-26735) मिला। 23 साल का आमिर जयपुर के लालवास का रहने वाला है। पहले चोरी का सोना खरीदने के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। पढ़िए रिपोर्टर और दलाल के बीच की पूरी बातचीत… भास्कर रिपोर्टर ने पूछा– एक यूनिट O निगेटिव चाहिए। बिना डिमांड स्लिप और सैंपल के मिल जाएगा क्या? दलाल बोला- हमारे पास O पॉजिटिव है। इस पर रिपोर्टर ने कहा- एसएमएस के ब्लड बैंक से O पॉजिटिव एक्सचेंज करके O निगेटिव दिला देना। दलाल ने हामी भरी और एसएमएस अस्पताल बुलाया। वहां पहुंचने के बाद कहा- एसएमएस में O निगेटिव नहीं है। स्वास्थ्य ब्लड सेंटर पहुंचिए। मैं लोकेशन शेयर कर रहा हूं। रिपोर्टर लोकेशन पर पहुंचा। वहां दलाल आमिर सामी और रियाज मिले। दलाल बोला- O निगेटिव दिला रहे हैं किसी को मिलता नहीं है दलाल आमिर ने कहा– O निगेटिव अरेंज करने की कोशिश करते हैं। डोनर कौन है? इस पर रिपोर्टर ने कहा- डोनर का जुगाड़ आपको ही करना पड़ेगा। आमिर ने कहा- ठीक है। डॉक्टर से किसी हॉस्पिटल की डिमांड स्लिप बनवा लेंगे। सैंपल किसी और का लगा देंगे। इस पूरे काम में 12-14 हजार रुपए लगेंगे। डॉक्टर, डोनर, रेक्योजिशन फार्म, सैंपल देने वाले और मोहर लगाने वाले सभी को रुपए देने पड़ते हैं। मेरा मेहनताना 7 हजार रुपए भी जोड़ लेना। O निगेटिव दिला रहे हैं, किसी को मिलता ही नहीं है। रिपोर्टर ने पूछा- कोई डॉक्युमेंट्स भी चाहिए होंगे क्या? दलाल ने बेफिक्री से जवाब दिया- टेंशन मत लो। डॉक्टर जमाल खान फर्जी ब्लड रेक्योजिशन फार्म बना देगा। किसी अन्य व्यक्ति का O निगेटिव सैंपल अरेंज करना पड़ेगा। रिपोर्टर ने 2 हजार एडवांस और बाकी रुपए काम होने के बाद देने की बात कही। पूछा- ब्लड रेक्योजिशन फॉर्म में किसका नाम भरोगे? दलाल बोला- किसी का भी भर देंगे। आपका आधार भेज देना। आपके नाम पर ब्लड दिला दूंगा। नर्स का लिया सैंपल
दलाल ने रिपोर्टर से पूछा- पेशेंट का नाम सीक्रेट क्याें रखा है? कोई वीआईपी है क्या? रिपोर्टर ने जवाब दिया- पेशेंट का घर पर इलाज चल रहा है। खून मिलने में मुश्किल आ रही है। फाॅर्म पर बीमारी अपने हिसाब से लिख देना। ब्लड सैंपल कहां से लाओगे? दलाल बोला- एक नर्स का ब्लड ग्रुप 'ओ' निगेटिव है। उसे सात-आठ सौ रुपए देकर ब्लड सैंपल ले आऊंगा। दो दिन बाद दलाल ने रिपोर्टर को फोटो भेजी- सर देखिए, सैंपल का अरेंजमेंट तो हो गया है। अब ब्लड रेक्योजिशन फाॅर्म भरवाकर मोहर लगवानी है। फाॅर्म और ब्लड सैंपल के जरिए किसी ब्लड बैंक से खून खरीदा जा सकेगा। गोविंद मार्ग पर डीएनसी बेकरी है। वहां आ जाना। फाॅर्म दिखा दूंगा। दलाल ने 5500 रुपए मेहनताना लिया
रिपोर्टर बेकरी पहुंच गया। दलाल ने ब्लड रेक्योजिशन फॉर्म दिखाते हुए बताया- तीन हजार रुपए खर्च हुए हैं। बस डॉक्टर की मोहर लगवानी बाकी है। दो दिन बाद दलाल ने वॉट्सऐप पर फोटो और वीडियो भेजे। रिपोर्टर ने पूछा- यह तो राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान है। वहां कौन सा ब्लड बैंक है? दलाल ने बताया- यहां डॉक्टर आए हुए हैं। मोहर के 8 हजार मांग रहे थे। बड़ी मुश्किल से 3500 रुपए में माना है। रिपोर्टर ने पूछा- अब तो सारी फाॅर्मेलिटी हो गई? दलाल ने जवाब दिया- हां, गुरुकुल ब्लड सेंटर से फाॅर्म बन गया है। सैंपल भी हो गया। मेरा मेहनताना 5500 रुपए हो गए। मोहर लगाने वाले को भी मैंने रुपए दिए थे। रिपोर्टर ने उसे 3500 रुपए कैश और 2 हजार ऑनलाइन ट्रांसफर किए। डोनर के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट
दलाल ने कहा- फाॅर्म और ब्लड सैंपल लेकर किसी भी ब्लड सेंटर चले जाना खून मिल जाएगा। रिपोर्टर ने कहा- ब्लड भी आप ही अरेंज कर देना। दलाल ने इसके एक्सट्रा रुपए लगने की बात कही। बोला- गुरुकुल ब्लड केयर सेंटर का फाॅर्म बनवा दिया है। डिमांड हॉस्पिटल में सिटी हॉस्पिटल का नाम लिखवा दिया है। मोहर डॉक्टर पारस जैन के नाम की लगवाई है। वह कई बार एसएमएस में भी बैठते हैं। रिपोर्टर ने पूछा- डोनर कहां से लाओगे? उसे कितने रुपए देने पड़ेंगे? दलाल ने जवाब दिया- गुरुकुल ब्लड केयर सेंटर से बनवाया गया फार्म सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया है। डोनर खुद ही आ जाएगा। उसे खाने पीने का दे देंगे। ज्यादा से ज्यादा 500 रुपए देने पड़ेंगे। ब्लड फिल्टर करवा कर शाम तक आपको मिल जाएगा। आप पिंक स्क्वायर आ जाना। ( वहां पहुंचे तो अली नाम का दलाल खून लेकर आया। ब्लड थर्माकोल के एक डिब्बे में सीएमएचओ ऑफिस के बगल में डिलीवरी कर दिया गया। खून सप्लाई करने के लिए दलाल ने 3700 रुपए लिए।) दावा- ऐसी सेटिंग बिना फॉर्म मिल सकता है ब्लड
रिपोर्टर : रेक्योजिशन फॉर्म गुरुकुल ब्लड सेंटर का दिलाया और आयुष्मान ब्लड बैंक से खून की डिलीवरी की गई, ऐसा क्यों ? दलाल : गुरुकुल वाले ब्लड देने में आनाकानी कर रहे थे। डॉक्टर से बात करवाने के लिए कह रहे थे। इसलिए आयुष्मान ब्लड बैंक से लिया। ब्लड बैंक में ऐसी सेटिंग कर ली है कि फाॅर्म भरे बिना खून निकलवा लूं। रिपोर्टर : क्या ब्लड बैंक में ब्लड पैकेट रिसीव करने वाले का कोई पहचान पत्र नहीं लगता है? दलाल : पहचान पत्र नहीं लगता है। फर्जी रिक्योजिशन लेटर में रिपोर्टर को दिखा दिया घायल दलाल ने रिपोर्टर हर्षित सिंह के नाम पर फर्जी रिक्योजिशन लेटर बनवाया। फॉर्म में रिपोर्टर का घायल होना बताया गया है। हॉस्पिटल के नाम की जगह सिटी हॉस्पिटल का नाम लिखा हुआ था। मरीज का नाम हर्षित सिंह, उम्र 35 वर्ष, जेंडर मेल, और डॉक्टर पारस जैन के नाम की मोहर लगी हुई थी और साइन किया गया था। हालांकि, रिपोर्टर हर्षित सिंह इस दौरान घायल नहीं हुए थे। किसी अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे। दलालों ने जिन भी अस्पतालों और ब्लड बैंक के हवाला दिया, भास्कर ने उनसे बात की और उनका पक्ष जाना... एसएमएस में निर्धारित प्रक्रिया के तहत ब्लड दिया जाता है। अस्पताल में भर्ती मरीज का फॉर्म, सैंपल और डोनर चाहिए होता है। किसी भी प्रकार की खून की खरीद-फरोख्त जानकारी में आने पर कार्रवाई की जाएगी। -डॉ. वीएस मीणा, एचओडी, एसएमएस ब्लड बैंक जितनी यूनिट चाहिए उतनी आपको डोनेट करनी पड़ती है। इसके अलावा टेस्टिंग चार्ज जो होते हैं वह लगते हैं। रेक्योजिशन फॉर्म पर डॉक्टर की स्टांप होती है। ऐसे में फेक होने की आशंका नहीं रहती है। -आनंद अग्रवाल, डायरेक्टर, स्वास्थ्य कल्याण ब्लड बैंक ब्लड सेंटर के फॉर्म अस्पतालों में मिल जाते हैं। मरीज की डिटेल्स, रजिस्ट्रेशन फॉर्म में भरकर सैंपल और डोनर के साथ ब्लड लिया जा सकता है। हम लोग वैसे भी सिटी हॉस्पिटल में ब्लड नहीं देते हैं। -राहुल शर्मा, मैनेजर, गुरुकुल सेंटर हॉस्पिटल की ओर से यदि किसी मरीज के लिए रिक्वेस्ट जनरेट होती है तो हमारे पास मरीज के बारे में वेरिफाई करने के लिए कोई प्रक्रिया उपलब्ध नहीं है। मरीज के रिक्विजिशनर फॉर्म और सैंपल के आधार पर क्रॉस मैच करके डिमांड के आधार पर ब्लड सप्लाई कर देते हैं। -विपिन शर्मा, मैनेजर, आयुष्मान ब्लड बैंक यह डिमांड लेटर हमारे यहां से जारी नहीं किया गया है। हमारे हॉस्पिटल में आयुष्मान ब्लड बैंक से ब्लड नहीं मंगवाया जाता है और यह सील भी हमारी नहीं है। -सुनील पाराशर, सिटी हॉस्पिटल भास्कर ने डॉक्टर पारस जैन से बात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मामले में टिप्पणी करने से मना कर दिया। इधर ड्रग कंट्रोलर बोले- हमारी जानकारी में ऐसा मामला नहीं भास्कर ने मामले में ड्रग कंटोलर अजय फाटक से बात की। खून की अवैध खरीद-फराेख्त और यूपी-हरियाणा में सप्लाई को लेकर सवाल किए। उनका कहना था- हमारी जानकारी में ऐसा मामला नहीं आया है। ऐसे हो रहा है तो कार्रवाई की जाएगी। राज्य में जहां भी ब्लड कैंप लग रहे हैं, वहां पर ड्रग कंट्रोलर्स को आकस्मिक चेकिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। एक यूनिट में होता है 425 एमएल ब्लड
एक यूनिट ब्लड में करीब 425 एमएल ब्लड होता है। कैंप में डोनेट किए गए ब्लड के टेस्ट से पता चलता है कि खून इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं। नशा करने वाले डोनर के खून का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। नियमानुसार इंफेक्टड खून को डिस्पोज कर दिया जाना चाहिए। अनटेस्टेड ब्लड से फैल सकता है एड्स, हेपेटाइटिस
ब्लड डोनेशन कैंप के दौरान केवल लोगों का एक यूनिट ब्लड निकाला जाता है। जांच के लिए इसे ब्लड बैंक भेजा जाता है। बिना जांच हुए खून को अनटेस्टेड ब्लड कहते हैं। जांच के दौरान पता चलता है कि कौन सा ब्लड एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी से ग्रस्त है। टेस्ट नहीं किए जाने के कारण संक्रमित लोगों का खून मरीज को चढ़ाए जाने से एड्स-हैपेटाइटिस जैसी बीमारियां फैलने की आशंका रहती है। जिम्मेदार बोले- अवैध खरीद-फरोख्त रोकने के लिए सॉफ्टवेयर से ऑनलाइन करेंगे रियल टाइम काउंटिंग
राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर केसरी सिंह ने बताया कि राज्य सरकार तय गाइडलाइन के पालन के लिए काफी स्ट्रिक्ट है। खरीद-फरोख्त पर लगाम लगाने के लिए ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के जरिए सारे ब्लड डोनेशन कैंप में रियल टाइम डोनेशन, एंट्री पर फोकस कर रहे हैं। इससे कैंप में रियल टाइम पर किए जा रहे डोनेशन का पता चला सकेगा। यह अभी प्रस्तावित है। पार्ट 2 में कल पढ़िए कैसे बिक रही मरीजों के लिए संजीवनी मानी जाने वाली प्लेटलेट्स