मुख्यमंत्री धामी की नई पहल से जगेगी देववाणी, 13 गांव बने आदर्श संस्कृत ग्राम

देवभूमि उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को पुनः जनजीवन का हिस्सा बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को देहरादून के भोगपुर गांव से राज्य के 13 जिलों में…

Aug 10, 2025 - 18:27
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मुख्यमंत्री धामी की नई पहल से जगेगी देववाणी, 13 गांव बने आदर्श संस्कृत ग्राम
देवभूमि उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को पुनः जनजीवन का हिस्सा बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल कर

मुख्यमंत्री धामी की नई पहल से जगेगी देववाणी, 13 गांव बने आदर्श संस्कृत ग्राम

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देवभूमि उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को पुनः जनजीवन का हिस्सा बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को देहरादून के भोगपुर गांव से राज्य के 13 जिलों में 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों का एक साथ शुभारंभ किया। इस कदम के साथ उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जो संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए इस स्तर पर कार्य कर रहा है।

संस्कृत भाषा का महत्व

संस्कृत, जिसे देववाणी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल धार्मिक ग्रंथों की भाषा है, बल्कि यह भारतीय ज्ञान, दर्शन, और साहित्य का आधार भी है। लेकिन आधुनिक काल में इसकी लोकप्रियता में कमी आई है। मुख्यमंत्री धामी की इस नई पहल से न केवल संस्कृत के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि यह भाषा फिर से जीवन में अपनी जगह बना सकेगी।

आदर्श संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ

इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य इन गांवों में संस्कृत भाषा को प्राथमिकता देकर एक अद्वितीय शैक्षणिक वातावरण तैयार करना है। ये आदर्श संस्कृत ग्राम गांवों में संस्कृत की पढ़ाई के लिए विशेष कोर्स और गतिविधियाँ प्रस्तुत करेंगे। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि इन ग्रामों में स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संजोने के लिए पुरानी संस्कृत की विधाओं का भी अभ्यास कराया जाएगा। इस तरह के प्रयासों से युवा पीढ़ी संस्कृत के प्रति और भी आकर्षित होगी।

नवीनता और सोच

मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि यह पहल उत्तराखंड को न केवल एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में पहचान दिलाएगी, बल्कि यह राज्य की शिक्षा प्रणाली को भी एक नई दिशा में ले जाएगी। उनके अनुसार, यह कदम भारत के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह समय की मांग है कि हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को एक बार फिर से जीवित करें और इसे भावी पीढ़ियों तक पहुँचाएं।

समुदाय की भागीदारी

इस पहल के लिए स्थानीय समुदाय से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। गांववासियों ने इस पहल का स्वागत करते हुए अपनी भागीदारी का आश्वासन दिया है। ग्राम प्रधान और जनप्रतिनिधियों का मानना है कि इससे न केवल बच्चों को संस्कृत सीखने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह गांव की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी समृद्ध करेगा।

निष्कर्ष

मुख्यमंत्री धामी की यह पहल उत्तराखंड को संस्कृत भाषा की प्रगति के लिए आदर्श नमूना बना रही है। उम्मीद की जा रही है कि यह पहल न केवल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायक होगी, बल्कि पूरे देश में संस्कृत के प्रति नई सोच और जागरूकता लाएगी। संस्कृत को एक जीवंत भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि हम इसे समाज में प्रचलन में लाएं, और यह पहल इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस दिशा में और अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएँ: IndiaTwoday.

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