मुख्यमंत्री योगी ने पंडित रामकिंकर उपाध्याय को भावांजलि की अर्पित:कहा- उनकी स्मृतियों को एक स्मृति ग्रंथ के रूप में संजोकर लोगों तक पहुंचाना चाहिए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ‘भावांजलि’ कार्यक्रम में भाग लिया। यह कार्यक्रम भारत के प्रतिष्ठित मानस मर्मज्ञ और पद्मभूषण सम्मानित पंडित रामकिंकर उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पंडित रामकिंकर उपाध्याय की महिमा का बखान करते हुए उनके योगदान और सनातन धर्म के प्रति उनके समर्पण को श्रद्धांजलि अर्पित की। महापुरुषों के योगदान को याद रखना हमारा दायित्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा,' हमारे लिए यह अत्यंत गौरव का क्षण है कि हम एक ऐसे महापुरुष के शताब्दी समारोह के आयोजन से जुड़े हैं, जिनका जीवन सनातन धर्म और प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर आधारित था। युग तुलसी पंडित रामकिंकर जी का संपूर्ण जीवन श्रीराम और तुलसी साहित्य के प्रति समर्पित था। उनकी व्याख्याएं और चिंतन अनूठी थी, जो सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।' श्रीराम कथा की विशिष्ट शैली का किया सूत्रपात पंडित रामकिंकर उपाध्याय की श्रीराम कथा की विशिष्ट शैली का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने रामकथा को एक नई दिशा दी, उनकी कथाएं न केवल आम जनमानस, बल्कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे गणमान्य लोगों को भी प्रभावित करती थीं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह हमारा दायित्व है कि हम ऐसे महापुरुषों के प्रति सम्मान का भाव रखें और उनकी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाएं। रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान रामकिंकर जी ने किया जनजागरण मुख्यमंत्री ने कहा, 'रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान पंडित रामकिंकर उपाध्याय की कथाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा रामकिंकर जी की कथाओं ने ठीक उसी प्रकार जनजागरण का कार्य किया, जैसे तुलसीदास जी ने विदेशी आक्रांताओं के समय किया था, तुलसीदास जी ने तब के बादशाह का दरबारी बनने से इनकार करते हुए प्रभु श्रीराम को भारत का एकमात्र राजा बताया था। महापुरुषों की स्मृतियों को सहेजने की आवश्यकता सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'महापुरुषों की स्मृतियों को सहेजना और उन्हें आम जनमानस तक पहुंचाना आवश्यक है। यह वर्ष पंडित रामकिंकर उपाध्याय की जन्मशताब्दी का वर्ष है। हमें उनकी स्मृतियों को एक स्मृति ग्रंथ के रूप में संजोकर लोगों तक पहुंचाना चाहिए, ताकि उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी बन सके।' प्रखर हिन्दुनिष्ठ बिशन चंद्र सेठ को सीएम ने किया याद मुख्यमंत्री ने भावांजलि कार्यक्रम के आयोजक किशोर टंडन के बारे में बताते हुए कहा कि इनके नाना बिशन चंद्र सेठ जी गोरक्षपीठ के परम भक्त थे। सीएम योगी ने कहा कि बिशन चंद्र सेठ जी प्रखर हिन्दुनिष्ठ और अपने समय के अद्भुत व्याख्याकार थे, जो अपने तथ्यों के आगे कभी किसी के सामने नहीं झुके। उन्होंने कहा इनका परिवार आज भी उसी निष्ठा के साथ धर्म पारायण होकर कार्य कर रहा है। समर्पण और भक्ति का प्रतीक थे रामकिंकर जी कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंडित रामकिंकर उपाध्याय को भावांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन रामचरित मानस और तुलसी साहित्य के प्रति समर्पित था। भावांजलि कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा, श्रीरामायण ट्रस्ट की अध्यक्ष साध्वी मंदाकिनी, प्रख्यात कथा व्यास पं. उमाशंकर शर्मा और किशोर टंडन समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Oct 23, 2024 - 19:55
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मुख्यमंत्री योगी ने पंडित रामकिंकर उपाध्याय को भावांजलि की अर्पित:कहा- उनकी स्मृतियों को एक स्मृति ग्रंथ के रूप में संजोकर लोगों तक पहुंचाना चाहिए
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित ‘भावांजलि’ कार्यक्रम में भाग लिया। यह कार्यक्रम भारत के प्रतिष्ठित मानस मर्मज्ञ और पद्मभूषण सम्मानित पंडित रामकिंकर उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पंडित रामकिंकर उपाध्याय की महिमा का बखान करते हुए उनके योगदान और सनातन धर्म के प्रति उनके समर्पण को श्रद्धांजलि अर्पित की। महापुरुषों के योगदान को याद रखना हमारा दायित्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा,' हमारे लिए यह अत्यंत गौरव का क्षण है कि हम एक ऐसे महापुरुष के शताब्दी समारोह के आयोजन से जुड़े हैं, जिनका जीवन सनातन धर्म और प्रभु श्रीराम के आदर्शों पर आधारित था। युग तुलसी पंडित रामकिंकर जी का संपूर्ण जीवन श्रीराम और तुलसी साहित्य के प्रति समर्पित था। उनकी व्याख्याएं और चिंतन अनूठी थी, जो सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।' श्रीराम कथा की विशिष्ट शैली का किया सूत्रपात पंडित रामकिंकर उपाध्याय की श्रीराम कथा की विशिष्ट शैली का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने रामकथा को एक नई दिशा दी, उनकी कथाएं न केवल आम जनमानस, बल्कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे गणमान्य लोगों को भी प्रभावित करती थीं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह हमारा दायित्व है कि हम ऐसे महापुरुषों के प्रति सम्मान का भाव रखें और उनकी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाएं। रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान रामकिंकर जी ने किया जनजागरण मुख्यमंत्री ने कहा, 'रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान पंडित रामकिंकर उपाध्याय की कथाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा रामकिंकर जी की कथाओं ने ठीक उसी प्रकार जनजागरण का कार्य किया, जैसे तुलसीदास जी ने विदेशी आक्रांताओं के समय किया था, तुलसीदास जी ने तब के बादशाह का दरबारी बनने से इनकार करते हुए प्रभु श्रीराम को भारत का एकमात्र राजा बताया था। महापुरुषों की स्मृतियों को सहेजने की आवश्यकता सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'महापुरुषों की स्मृतियों को सहेजना और उन्हें आम जनमानस तक पहुंचाना आवश्यक है। यह वर्ष पंडित रामकिंकर उपाध्याय की जन्मशताब्दी का वर्ष है। हमें उनकी स्मृतियों को एक स्मृति ग्रंथ के रूप में संजोकर लोगों तक पहुंचाना चाहिए, ताकि उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी बन सके।' प्रखर हिन्दुनिष्ठ बिशन चंद्र सेठ को सीएम ने किया याद मुख्यमंत्री ने भावांजलि कार्यक्रम के आयोजक किशोर टंडन के बारे में बताते हुए कहा कि इनके नाना बिशन चंद्र सेठ जी गोरक्षपीठ के परम भक्त थे। सीएम योगी ने कहा कि बिशन चंद्र सेठ जी प्रखर हिन्दुनिष्ठ और अपने समय के अद्भुत व्याख्याकार थे, जो अपने तथ्यों के आगे कभी किसी के सामने नहीं झुके। उन्होंने कहा इनका परिवार आज भी उसी निष्ठा के साथ धर्म पारायण होकर कार्य कर रहा है। समर्पण और भक्ति का प्रतीक थे रामकिंकर जी कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंडित रामकिंकर उपाध्याय को भावांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन रामचरित मानस और तुलसी साहित्य के प्रति समर्पित था। भावांजलि कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा, श्रीरामायण ट्रस्ट की अध्यक्ष साध्वी मंदाकिनी, प्रख्यात कथा व्यास पं. उमाशंकर शर्मा और किशोर टंडन समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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