मेरठ सीसीएसयू में व्यास समारोह का दूसरा दिन:जो दिव्य शक्ति सम्पन्न थे, वह देव हैं, जो मानक होते हुए भी दिव्यगुणों से युक्त हैं, वह नरदेव

मेरठ के सीसीएसयू में व्यास समारोह के दूसरे दिन सोमवार को पक्ष-विपक्ष वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का विषय "देवाधर्मरताः नित्यं" अर्थात देव गण हमेशा धर्म में निरत रहते हैं, रहा। प्रतियोगिता में कई महाविद्यालयों की छात्राओं ने भाग लिया। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान विपक्ष से रूबी, आरजी पीजी कॉलेज मेरठ की छात्रा ने प्राप्त किया। द्वितीय स्थान पर पक्ष से सृष्टि, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने प्राप्त किया। तृतीय स्थान पक्ष से काजल, आरजी पीजी कॉलेज मेरठ की छात्रा ने प्राप्त किया। अंर्तविश्वविद्यालय दल में रूबी एवं सृष्टि का चयन हुआ तथा अंर्तमहाविद्यालय चल वैजयन्ती आरजी पीजी कॉलेज मेरठ ने प्राप्त की। डेजी बहुत ही सुंदर ढंग से भगवान विष्णु के अवतारों की मनोहारी दृश्यों के साथ प्रस्तुति दी। प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. कमला पाण्डेय ने देव एवं आसुरि शक्ति में भेद बताया तथा देवत्व के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। सभाध्यक्ष के रूप में अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने वेद में प्राप्त देवाधारित मंत्रों में भेद बताया। उन्होंने बताया कि जो दिव्य शक्ति सम्पन्न थे, वह देव हैं, जो मानक होते हुए भी दिव्यगुणों से युक्त हैं, वह भी नरदेव है। डॉ. राजबीर ने वाद-विवाद प्रतियोगिता में समय पालक के दायित्व का निर्वहन किया। दोपहर के सत्र में भव्य कवि समवाय का संचालन किया गया। जिसमें देश के कोने कोने से पधारे संस्कृतज्ञमनीषियों ने पञ्चचामर छन्द में काव्य पाठ किया। प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने भारत के उत्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी योगदान को बताते हुए भारत भूमि की प्रशंसा की। प्रो. वागीश दिनकर ने वीर रस में आधुनिक भारत के शौर्य को बताते हुए भारत की यशो गाथा को बताया। डॉ. संतोष कुमारी ने भ्रूणहत्या जैसी सामाजिक कुरीति पर प्रहार किया तथा वर्तमानकालिक चाटुकारिता पर तीक्ष्ण व्यंग्य किया। काव्य संध्या का संचालन डॉ. अरविन्द तिवारी ने किया। काव्य संध्या में बांधा समा काव्यसंध्या में प्रो. उमाकांत शुक्ल, प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी, प्रो.कमला पाण्डेय, प्रो.वीएल गौड़, डॉ चिंतामणि जोशी, डॉ. राजकुमार मिश्र, डॉ. शशिकांत तिवारी, डॉ. युवराज भट्टराई, ईशान तिवारी, ऋषिराज पाठक, तुषा शर्मा, पूजा झा ने अपनी प्रस्तुतियों से वातावरण को रसमय बना दिया। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला एवं एमएलसी तथा कार्यपरिषद् सदस्य डॉ. धर्मेन्द्र भारद्वाज ने सभी आगंतुक कवियों काे विश्वविद्यालय की ओर से अंगवस्त्र पहना कर सम्मानित किया। इनका रहा सहयोग समारोह के समन्वयक प्रो. वाचस्पति मिथ ने आगंतुकों का धन्यवाद किया। समारोह में प्रो. पूनम लखनपाल, डॉ. राजबीर, डॉ. नरेन्द्र कुमार, डॉ. ओमपाल, डॉ. विजय बहादुर, तुषार गोयल, डॉ. हरिदत्त शर्मा, डॉ. विजय नारायण, अंकित वर्मा, अनुज, अंकुर सिवाच, प्रिंस, गौतम, साहिल तरीका, डॉ रक्षिता, सृष्टि, अंशिका, वैशाली, शिवानी, अदिति, इशिका, उज्जवल, विपिन, टीना, प्राची, प्रताप, अनुज, सुमित, मोहित, विष्णु, आयुषी, सुमित, बबलू आदि का सहयोग रहा।

Nov 4, 2024 - 19:00
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मेरठ सीसीएसयू में व्यास समारोह का दूसरा दिन:जो दिव्य शक्ति सम्पन्न थे, वह देव हैं, जो मानक होते हुए भी दिव्यगुणों से युक्त हैं, वह नरदेव
मेरठ के सीसीएसयू में व्यास समारोह के दूसरे दिन सोमवार को पक्ष-विपक्ष वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का विषय "देवाधर्मरताः नित्यं" अर्थात देव गण हमेशा धर्म में निरत रहते हैं, रहा। प्रतियोगिता में कई महाविद्यालयों की छात्राओं ने भाग लिया। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान विपक्ष से रूबी, आरजी पीजी कॉलेज मेरठ की छात्रा ने प्राप्त किया। द्वितीय स्थान पर पक्ष से सृष्टि, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने प्राप्त किया। तृतीय स्थान पक्ष से काजल, आरजी पीजी कॉलेज मेरठ की छात्रा ने प्राप्त किया। अंर्तविश्वविद्यालय दल में रूबी एवं सृष्टि का चयन हुआ तथा अंर्तमहाविद्यालय चल वैजयन्ती आरजी पीजी कॉलेज मेरठ ने प्राप्त की। डेजी बहुत ही सुंदर ढंग से भगवान विष्णु के अवतारों की मनोहारी दृश्यों के साथ प्रस्तुति दी। प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. कमला पाण्डेय ने देव एवं आसुरि शक्ति में भेद बताया तथा देवत्व के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। सभाध्यक्ष के रूप में अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने वेद में प्राप्त देवाधारित मंत्रों में भेद बताया। उन्होंने बताया कि जो दिव्य शक्ति सम्पन्न थे, वह देव हैं, जो मानक होते हुए भी दिव्यगुणों से युक्त हैं, वह भी नरदेव है। डॉ. राजबीर ने वाद-विवाद प्रतियोगिता में समय पालक के दायित्व का निर्वहन किया। दोपहर के सत्र में भव्य कवि समवाय का संचालन किया गया। जिसमें देश के कोने कोने से पधारे संस्कृतज्ञमनीषियों ने पञ्चचामर छन्द में काव्य पाठ किया। प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने भारत के उत्थान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी योगदान को बताते हुए भारत भूमि की प्रशंसा की। प्रो. वागीश दिनकर ने वीर रस में आधुनिक भारत के शौर्य को बताते हुए भारत की यशो गाथा को बताया। डॉ. संतोष कुमारी ने भ्रूणहत्या जैसी सामाजिक कुरीति पर प्रहार किया तथा वर्तमानकालिक चाटुकारिता पर तीक्ष्ण व्यंग्य किया। काव्य संध्या का संचालन डॉ. अरविन्द तिवारी ने किया। काव्य संध्या में बांधा समा काव्यसंध्या में प्रो. उमाकांत शुक्ल, प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी, प्रो.कमला पाण्डेय, प्रो.वीएल गौड़, डॉ चिंतामणि जोशी, डॉ. राजकुमार मिश्र, डॉ. शशिकांत तिवारी, डॉ. युवराज भट्टराई, ईशान तिवारी, ऋषिराज पाठक, तुषा शर्मा, पूजा झा ने अपनी प्रस्तुतियों से वातावरण को रसमय बना दिया। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला एवं एमएलसी तथा कार्यपरिषद् सदस्य डॉ. धर्मेन्द्र भारद्वाज ने सभी आगंतुक कवियों काे विश्वविद्यालय की ओर से अंगवस्त्र पहना कर सम्मानित किया। इनका रहा सहयोग समारोह के समन्वयक प्रो. वाचस्पति मिथ ने आगंतुकों का धन्यवाद किया। समारोह में प्रो. पूनम लखनपाल, डॉ. राजबीर, डॉ. नरेन्द्र कुमार, डॉ. ओमपाल, डॉ. विजय बहादुर, तुषार गोयल, डॉ. हरिदत्त शर्मा, डॉ. विजय नारायण, अंकित वर्मा, अनुज, अंकुर सिवाच, प्रिंस, गौतम, साहिल तरीका, डॉ रक्षिता, सृष्टि, अंशिका, वैशाली, शिवानी, अदिति, इशिका, उज्जवल, विपिन, टीना, प्राची, प्रताप, अनुज, सुमित, मोहित, विष्णु, आयुषी, सुमित, बबलू आदि का सहयोग रहा।

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