यूपी में बिक रहीं सरकारी नौकरियां:आउटसोर्सिंग कंपनियां बेरोजगारों से कर रहीं वसूली, कर्मचारी-दलाल बोले- मंत्री और अफसरों तक जाता है हिस्सा
यूपी के सरकारी विभागों में नौकरियां बेची जा रही हैं। 5 से 6 महीने की सैलरी या 2 से 3 लाख रुपए देने के बाद ही नियुक्ति दी जा रही है। कमाई वाली पोस्ट के लिए साढ़े 5 लाख रुपए तक मांगे जा रहे हैं। आउटसोर्स कंपनियां दलाल और कर्मचारियों से मिलकर यह काम कर रही हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने सरकारी विभागों में मैनपावर आउटसोर्स कर रही कंपनियों का इन्वेस्टिगेशन किया। आउटसोर्स कंपनियों के कर्मचारियों, उनके लिए काम कर रहे दलालों और अभ्यर्थियों से हिडन कैमरे पर बात की। कर्मचारी-दलालों ने रुपए देने के बाद नौकरी की पूरी गारंटी दी। कहा- नौकरी के बदले ली जा रही घूस का एक हिस्सा विभाग के मंत्री और अफसरों तक जा रहा है। यूपी में सरकारी विभागों में बेची जा रही आउटसोर्स नौकरियों की पूरी सच्चाई… पहले आउटसोर्स कंपनी के गार्ड, दलाल और कर्मचारी ने हिडन कैमरे पर जो 3 दावे किए, वो जानिए… 1- हाफ पहले, हाफ जॉइनिंग लेटर मिलने के बाद। पैसे देने के बाद काम नहीं हो, ऐसा संभव नहीं। मैं बैठा हूं। डायरेक्ट बात करूंगा। 2- 50 हजार टोकन, बाकी जब लेटर देंगे तब देना होगा। जहां बोलेंगे, पोस्टिंग दिलवा देंगे। हम रिस्क ले रहे हैं, आप भी तो लीजिए। 3- 25 हजार इन हैंड सैलरी है। 5 सैलरी देनी होंगी, 4 आगे डिपार्टमेंट में जाएगी और एक हम रखेंगे। कौशल विकास मिशन में ब्लॉक कोऑर्डिनेटर के 825 पदों पर भर्ती चल रही है। सैलरी 23 हजार 500 रुपए है। इस आउटसोर्स पोस्ट की वैकेंसी वर्ल्ड क्लास सर्विसेज ने निकाली। हमें एक कैंडिडेट ने बताया कि उससे एक लाख 80 हजार रुपए मांगे जा रहे हैं। हम इन्वेस्टिगेशन के लिए लखनऊ के गोमतीनगर स्थित वर्ल्ड क्लास सर्विसेज के दफ्तर पहुंचे। ऑफिस के बाहर खड़े सैकड़ों अभ्यर्थी अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। हमें कंपनी के गेट के पास खड़ा गार्ड अरुण तिवारी मिला। उससे भर्ती की बात की। हमने पूछा कि कैसे काम होगा? उसने कहा- काम तो हो जाएगा, दिक्कत नहीं है। जब हमने सवाल किया कि कितना देना पड़ेगा, तो उसने कहा कि यहां पर कोई 9 सैलरी बता रहा, कोई 10 बता रहा। मैं अंदर से क्लियर करके बताऊंगा। कंपनी के दफ्तर से निकलकर दलाल ने खुद काे यूपी हेड बताया
गार्ड अरुण तिवारी ने कहा- मैं आपको ऐसे आदमी से सेट करा दूंगा। आपका काम तो होना ही होना है। गार्ड ने ऑफिस बंद होने के बाद फोन करने को कहा। कहा- आपको शाम को बता दूंगा। लोग दो-दो लाख रुपए दे रहे हैं। शाम को गार्ड की वॉट्सऐप कॉल आती है। वह मैनेजर से मिलवाने की बात कहता है। हम वर्ल्ड क्लास सर्विसेज लिमिटेड के ऑफिस पहुंचे। दफ्तर के अंदर से एक युवक निकलकर आया। गार्ड तिवारी ने हमारी मुलाकात खुद को कंपनी का यूपी हेड बताने वाले आशी से करवाई। हमने आशी से 3 कैंडिडेट्स की भर्ती कराने के लिए कहा। साथ ही रिश्वत की रकम कुछ कम करने का आग्रह किया। आशी ने कहा- कल तो लास्ट डे है। अभी पहली लिस्ट कर रहे हैं। बच्चों को बोला भी गया है कि हम मंगलवार तक लेटर प्रोवाइड करा देंगे। उसके बाद सेकेंड लिस्ट ओपन करेंगे। तीन लिस्ट खुलती हैं। अभी 2 लिस्ट बाकी हैं। आपने फार्म भरा है, तो आपके कैंडिडेट का नाम आ ही जाएगा। भर्ती के लिए कितना देना होगा, इस सवाल पर आशी कहता है- आपको तिवारी जी ने तो बताया ही होगा। 180 ले रहे हैं। मतलब 1 लाख 80 हजार। 50 हजार टोकन और बाकी जब लेटर देंगे तब। डीलिंग दलाल करते हैं, ऊपर तक पैसा पहुंचता है
अब हम यह जानना चाहते थे कि आशी सच में वर्ल्ड क्लास सर्विसेज का यूपी हेड है या नहीं। इसकी सच्चाई जानने के लिए फिर कंपनी के दफ्तर पहुंचे। गार्ड अरुण तिवारी फिर हमें मिला। उसने बताया कि आशी अभी नहीं है। हमने कहा कि पैसे लेकर आए हैं। इस पर गार्ड ने हमें कंपनी में काम करने वाले दिलीप बाजपेई से मिलवाया। दिलीप ने कहा- हम जिस आशी को जानते हैं, वो जेन्युइन बंदा है, गलत नहीं कर सकता। अरुण तिवारी ने भी बताया कि आशी की सेटिंग विभाग में भी है, साथ ही कंपनी में भी ऊपर के लोगों से है। वही सारी चीजें मैनेज करा रहा था। अब तक की इन्वेस्टिगेशन में हमें पता चला कि कंपनी ने दलाल रखे हैं, जो अभ्यथियों से डीलिंग करते हैं। फिर ये पैसा ऊपर तक पहुंचता है। आशी भी यही काम करता है। पहले फेज की लिस्ट निकल चुकी, दूसरी लिस्ट में होगा
गार्ड अरुण तिवारी ने हमसे कहा कि आप उस दिन नहीं आए। हमने कहा कि पैसे का इंतजाम कर रहे थे। हमने सवाल किया कि अब हमारे कैंडिडेट का कैसे होगा? अभी इंटरव्यू नहीं हुआ है। इस पर अरुण तिवारी ने कहा कि दूसरी लिस्ट में इंटरव्यू मैनेज हो जाएगा। उसने कहा, आपको पता ही है कि हो जाएगा। विभाग के मंत्री तक के पास एक सैलरी जाती है। अरुण तिवारी ने हमें कंपनी के अन्य कर्मचारी आनंद पांडेय से मिलवाया। आनंद पांडेय ने कहा कि कोई नहीं करवा पाएगा। हम दूसरी लिस्ट में करवा देंगे। यहां आकर आप वॉट्सऐप पर कॉल कीजिएगा। हम बाहर आ जाएंगे, गेट पर मिलने। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग: पेपर एक घंटे बाद दे दूंगी
आउटसोर्सिंग नौकरियों में कौशल विकास मिशन के अलावा और किन विभागों में ये खेल चल रहा है? यह जानने के लिए हमने इन्वेस्टिगेशन जारी रखी। हमारी मुलाकात एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में खुद को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताने वाली प्रीति साहू से हुई। हम प्रीति साहू से यह कहकर मिले कि हमारे कैंडिडेट हैं। उनकी भर्ती करानी है। प्रीति साहू ने हिडन कैमरे पर बताया कि उद्यान विभाग में 55 पद कंप्यूटर ऑपरेटर के रिक्त हुए हैं। हमारे माध्यम से भर्ती डायरेक्ट होनी है। उसने कहा कि 5 सैलरी लगेंगी। 4 विभाग में जाएगी, एक मैं रखूंगी। प्रीति ने दावा किया कि उसकी पहुंच आउटसोर्स कंपनियों और विभागों में है। उसने लखनऊ विकास प्राधिकरण में सिविल इंजीनियर और राज्य सड़क परिवहन निगम में डिपो मैनेजर की पोस्ट पर नौकरी दिलाने का ऑफर दिया। इसके लिए साढ़े 5 लाख रुपए तक मांगे। हमने प्रीति साहू के बारे में पता किया। हम जानना चाहते थे कि यह है कौन? क्या वाकई विभाग में कार्यरत है। इसके लिए उसके दफ्तर गए। वह उद्यान विभाग
यूपी के सरकारी विभागों में नौकरियां बेची जा रही हैं। 5 से 6 महीने की सैलरी या 2 से 3 लाख रुपए देने के बाद ही नियुक्ति दी जा रही है। कमाई वाली पोस्ट के लिए साढ़े 5 लाख रुपए तक मांगे जा रहे हैं। आउटसोर्स कंपनियां दलाल और कर्मचारियों से मिलकर यह काम कर रही हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने सरकारी विभागों में मैनपावर आउटसोर्स कर रही कंपनियों का इन्वेस्टिगेशन किया। आउटसोर्स कंपनियों के कर्मचारियों, उनके लिए काम कर रहे दलालों और अभ्यर्थियों से हिडन कैमरे पर बात की। कर्मचारी-दलालों ने रुपए देने के बाद नौकरी की पूरी गारंटी दी। कहा- नौकरी के बदले ली जा रही घूस का एक हिस्सा विभाग के मंत्री और अफसरों तक जा रहा है। यूपी में सरकारी विभागों में बेची जा रही आउटसोर्स नौकरियों की पूरी सच्चाई… पहले आउटसोर्स कंपनी के गार्ड, दलाल और कर्मचारी ने हिडन कैमरे पर जो 3 दावे किए, वो जानिए… 1- हाफ पहले, हाफ जॉइनिंग लेटर मिलने के बाद। पैसे देने के बाद काम नहीं हो, ऐसा संभव नहीं। मैं बैठा हूं। डायरेक्ट बात करूंगा। 2- 50 हजार टोकन, बाकी जब लेटर देंगे तब देना होगा। जहां बोलेंगे, पोस्टिंग दिलवा देंगे। हम रिस्क ले रहे हैं, आप भी तो लीजिए। 3- 25 हजार इन हैंड सैलरी है। 5 सैलरी देनी होंगी, 4 आगे डिपार्टमेंट में जाएगी और एक हम रखेंगे। कौशल विकास मिशन में ब्लॉक कोऑर्डिनेटर के 825 पदों पर भर्ती चल रही है। सैलरी 23 हजार 500 रुपए है। इस आउटसोर्स पोस्ट की वैकेंसी वर्ल्ड क्लास सर्विसेज ने निकाली। हमें एक कैंडिडेट ने बताया कि उससे एक लाख 80 हजार रुपए मांगे जा रहे हैं। हम इन्वेस्टिगेशन के लिए लखनऊ के गोमतीनगर स्थित वर्ल्ड क्लास सर्विसेज के दफ्तर पहुंचे। ऑफिस के बाहर खड़े सैकड़ों अभ्यर्थी अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। हमें कंपनी के गेट के पास खड़ा गार्ड अरुण तिवारी मिला। उससे भर्ती की बात की। हमने पूछा कि कैसे काम होगा? उसने कहा- काम तो हो जाएगा, दिक्कत नहीं है। जब हमने सवाल किया कि कितना देना पड़ेगा, तो उसने कहा कि यहां पर कोई 9 सैलरी बता रहा, कोई 10 बता रहा। मैं अंदर से क्लियर करके बताऊंगा। कंपनी के दफ्तर से निकलकर दलाल ने खुद काे यूपी हेड बताया
गार्ड अरुण तिवारी ने कहा- मैं आपको ऐसे आदमी से सेट करा दूंगा। आपका काम तो होना ही होना है। गार्ड ने ऑफिस बंद होने के बाद फोन करने को कहा। कहा- आपको शाम को बता दूंगा। लोग दो-दो लाख रुपए दे रहे हैं। शाम को गार्ड की वॉट्सऐप कॉल आती है। वह मैनेजर से मिलवाने की बात कहता है। हम वर्ल्ड क्लास सर्विसेज लिमिटेड के ऑफिस पहुंचे। दफ्तर के अंदर से एक युवक निकलकर आया। गार्ड तिवारी ने हमारी मुलाकात खुद को कंपनी का यूपी हेड बताने वाले आशी से करवाई। हमने आशी से 3 कैंडिडेट्स की भर्ती कराने के लिए कहा। साथ ही रिश्वत की रकम कुछ कम करने का आग्रह किया। आशी ने कहा- कल तो लास्ट डे है। अभी पहली लिस्ट कर रहे हैं। बच्चों को बोला भी गया है कि हम मंगलवार तक लेटर प्रोवाइड करा देंगे। उसके बाद सेकेंड लिस्ट ओपन करेंगे। तीन लिस्ट खुलती हैं। अभी 2 लिस्ट बाकी हैं। आपने फार्म भरा है, तो आपके कैंडिडेट का नाम आ ही जाएगा। भर्ती के लिए कितना देना होगा, इस सवाल पर आशी कहता है- आपको तिवारी जी ने तो बताया ही होगा। 180 ले रहे हैं। मतलब 1 लाख 80 हजार। 50 हजार टोकन और बाकी जब लेटर देंगे तब। डीलिंग दलाल करते हैं, ऊपर तक पैसा पहुंचता है
अब हम यह जानना चाहते थे कि आशी सच में वर्ल्ड क्लास सर्विसेज का यूपी हेड है या नहीं। इसकी सच्चाई जानने के लिए फिर कंपनी के दफ्तर पहुंचे। गार्ड अरुण तिवारी फिर हमें मिला। उसने बताया कि आशी अभी नहीं है। हमने कहा कि पैसे लेकर आए हैं। इस पर गार्ड ने हमें कंपनी में काम करने वाले दिलीप बाजपेई से मिलवाया। दिलीप ने कहा- हम जिस आशी को जानते हैं, वो जेन्युइन बंदा है, गलत नहीं कर सकता। अरुण तिवारी ने भी बताया कि आशी की सेटिंग विभाग में भी है, साथ ही कंपनी में भी ऊपर के लोगों से है। वही सारी चीजें मैनेज करा रहा था। अब तक की इन्वेस्टिगेशन में हमें पता चला कि कंपनी ने दलाल रखे हैं, जो अभ्यथियों से डीलिंग करते हैं। फिर ये पैसा ऊपर तक पहुंचता है। आशी भी यही काम करता है। पहले फेज की लिस्ट निकल चुकी, दूसरी लिस्ट में होगा
गार्ड अरुण तिवारी ने हमसे कहा कि आप उस दिन नहीं आए। हमने कहा कि पैसे का इंतजाम कर रहे थे। हमने सवाल किया कि अब हमारे कैंडिडेट का कैसे होगा? अभी इंटरव्यू नहीं हुआ है। इस पर अरुण तिवारी ने कहा कि दूसरी लिस्ट में इंटरव्यू मैनेज हो जाएगा। उसने कहा, आपको पता ही है कि हो जाएगा। विभाग के मंत्री तक के पास एक सैलरी जाती है। अरुण तिवारी ने हमें कंपनी के अन्य कर्मचारी आनंद पांडेय से मिलवाया। आनंद पांडेय ने कहा कि कोई नहीं करवा पाएगा। हम दूसरी लिस्ट में करवा देंगे। यहां आकर आप वॉट्सऐप पर कॉल कीजिएगा। हम बाहर आ जाएंगे, गेट पर मिलने। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग: पेपर एक घंटे बाद दे दूंगी
आउटसोर्सिंग नौकरियों में कौशल विकास मिशन के अलावा और किन विभागों में ये खेल चल रहा है? यह जानने के लिए हमने इन्वेस्टिगेशन जारी रखी। हमारी मुलाकात एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में खुद को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताने वाली प्रीति साहू से हुई। हम प्रीति साहू से यह कहकर मिले कि हमारे कैंडिडेट हैं। उनकी भर्ती करानी है। प्रीति साहू ने हिडन कैमरे पर बताया कि उद्यान विभाग में 55 पद कंप्यूटर ऑपरेटर के रिक्त हुए हैं। हमारे माध्यम से भर्ती डायरेक्ट होनी है। उसने कहा कि 5 सैलरी लगेंगी। 4 विभाग में जाएगी, एक मैं रखूंगी। प्रीति ने दावा किया कि उसकी पहुंच आउटसोर्स कंपनियों और विभागों में है। उसने लखनऊ विकास प्राधिकरण में सिविल इंजीनियर और राज्य सड़क परिवहन निगम में डिपो मैनेजर की पोस्ट पर नौकरी दिलाने का ऑफर दिया। इसके लिए साढ़े 5 लाख रुपए तक मांगे। हमने प्रीति साहू के बारे में पता किया। हम जानना चाहते थे कि यह है कौन? क्या वाकई विभाग में कार्यरत है। इसके लिए उसके दफ्तर गए। वह उद्यान विभाग के उत्तर प्रदेश माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट ( UPMIP) में काम करती है। यहां पर ड्रॉप मोर क्रॉप ( PDMC) योजना का ऑपरेशन देखती है, लेकिन खुद को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताती है। अभ्यर्थी ने कहा- इंटरव्यू के बाद 6 सैलरी मांगी
अब हमने उन युवाओं की तलाश शुरू की, जिनसे जॉब के बदले घूस मांगी गई थी। हमें एक अभ्यर्थी ने फोन पर बताया- वर्ल्ड क्लास सर्विसेज लिमिटेड वालों ने मुझसे 6 सैलरी की डिमांड की थी। मेरे पास इतने रुपए नहीं हैं। संविदा पर 8-10 हजार रुपए में काम करते हैं। इतनी रकम कैसे दे पाएंगे? एक अन्य व्यक्ति ने बताया- वर्ल्ड क्लास वाले में हमारे छोटे भाई का नाम आया है। इसमें इंटरव्यू हो गया है। 6 सैलरी मांगी गई हैं। इस बातचीत की रिकॉर्डिंग हमारे पास है। अभ्यर्थियों के भविष्य को देखते हुए हम उनका नाम नहीं दे रहे हैं। यह है आउटसोर्स की भर्ती प्रोसेस
सरकारी विभाग को आउटसोर्स कर्मचारियों की डिमांड के लिए जेम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) पोर्टल पर टेंडर निकालना होता है। जिस आउटसोर्स कंपनी को ठेका मिलता है, वह सेवायोजन विभाग को वैकेंसी का लेटर भेजता है। इसी पोर्टल पर बेरोजगार के एनरोलमेंट होते हैं। वह नौकरी के लिए अप्लाई करते हैं। सेवायोजन पोर्टल रेंडमाइजेशन से कैंडिडेट्स का नाम सिलेक्ट होता। एक पद पर तीन नाम दिए जाते हैं। यह लिस्ट विभाग के पास जाती है। इसके बाद इंटरव्यू होता है। इंटरव्यू में दो अफसर सरकारी विभाग के और दो अफसर आउटसोर्स कंपनी के होते हैं। इंटरव्यू के बाद सिलेक्शन किया जाता है। कुछ पोस्ट के लिए लिखित एग्जाम होता है। अब जानिए खेल कहां होता है- कहने को इंटरव्यू के लिए अभ्यर्थियों के नाम रेंडमाइजेशन से ऑनलाइन सिलेक्ट होते हैं। लेकिन कंपनी के कर्मचारी जिन कैंडिडेट्स का सिलेक्शन करना होता है, उनका नाम विभाग से जुड़वा लेते हैं। यानी जो पैसा देता है, उसका नाम ही लिस्ट में आना कंफर्म होता है। स्टिंग के दौरान इस बात को दलाल और कर्मचारियों ने कबूल किया है कि रेंडम लिस्ट में नाम आ जाएगा। कल पार्ट-2 में पढ़िए...यूपी के सरकारी विभागों में बिकती हैं नौकरियां उद्यान विभाग के उत्तर प्रदेश माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट (UPMIP) में काम करने वाली प्रीति साहू ने दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर बड़ी बात कबूल की। उसने बताया कि कैसे यूपी में आउटसोर्स कर्मचारियों को बीच में ही हटा दिया जाता है। फिर उनकी जगह नए लोग रखे जाते हैं। -------------------- ये भी पढ़ें... लखनऊ के अस्पतालों में खून का सौदा, अगर ब्लड नहीं लिया तो FIR करा देंगे, एक बार दाम तय होने के बाद धमकाते हैं दलाल आज ही 5 यूनिट ब्लड निकलवाया था। कोई राजी नहीं है खून का एक कतरा देने के लिए। पैसे से ऊपर कुछ भी नहीं है…। लखनऊ के एसजीपीजीआई में खून का सौदा करने वाले शुभम ने यह दावा किया। अस्पताल से लेकर ब्लड बैंक तक दलालों का नेटवर्क फैला है। अगर आप जरूरतमंद हैं और डोनर नहीं है, तो इसका फायदा दलाल उठाते हैं। इसके लिए आपको 4500 से लेकर 8000 रुपए देने पड़ेंगे। अगर आप इनसे खून नहीं लेंगे, तो ये दलाल FIR दर्ज करवाने की धमकी देते हैं। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने 6500 रुपए देकर एक दलाल से खून भी खरीदा। पढ़ें पूरी खबर...