रेयर हार्ट डिसीज से जूझ रही थी युवती:अचानक ब्लड क्लॉट से पैर हुए सुन्न,पैरालिसिस अटैक से बिगड़ी हालत; SGPGI के डॉक्टरों ने बचाई जान

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के डॉक्टरों ने हार्ट वाल्व की रेयर बीमारी से जूझ रही गोरखपुर की युवती की जान बचाने में कामयाबी हासिल की हैं। युवती में ब्लड क्लॉट यानी खून के थक्के बनने की वजह से पैर काटने की स्थिति बन गई थी। इलाज के दौरान ब्रेन स्ट्रोक ने स्थिति और नाजुक कर दी, लेकिन चिकित्सकों के प्रयास से उसकी जान बच गई है। स्वस्थ होने के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। पैरों में असहनीय दर्द से पीड़ित थी मरीज संस्थान में रेडियोडायग्नोसिस विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ.अर्चना गुप्ता ने बताया कि गोरखपुर निवासी 27 साल की युवती को गंभीर हालत में SGPGI में भर्ती कराया गया था। वह रूमेटिक हार्ट डिसीज से पीड़ित थी। इसकी वजह से उसे एक्यूट लिम्ब इस्केमिया हुआ था। इस बीमारी में दोनों पैरों में असहनीय दर्द और ठंड लग रही थी। हार्ट में खून के गाढ़ा होने से थक्के बनने की वजह से हालत नाजुक थी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए निचले अंगों में रक्त प्रवाह को बहाल करने के लिए आपातकालीन एंडोवैस्कुलर प्रक्रिया करने का फैसला किया गया। ये आई जटिलता विभाग की डॉ.तान्या ने बताया कि एंडोवैस्कुलर प्रक्रिया में मामूली कट लगाकर थक्के को हटा दिया जाता है। प्रक्रिया शुरू करते ही अचानक उसे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होने लगीं, जिसमें दाईं ओर कमजोरी और बोलने में कठिनाई शामिल थी। जांच करने पर पता चला कि हार्ट के थक्के अब बाईं ओर की प्रमुख मस्तिष्क धमनियों में चले गए हैं। इसकी वजह से उसके शरीर का दाहिना हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। तुरंत मस्तिष्क की एमआरआई की गई, जिसमें पता चला कि बाएं मध्य मस्तिष्क धमनी (एमसीए) में तीव्र अवरोध है। इसको देखते हुए मस्तिष्क से थक्का हटाने के लिए यांत्रिक थ्रोम्बेक्टोमी करने का फैसला किया गया। मिनिमल इनवेसिव तरीके से हुआ प्रोसीजर इसमें कमर के नीचे के हिस्से से एक छोटे से निशान के माध्यम से, एक माइक्रोकैथेटर और माइक्रोवायर का उपयोग करके थक्के को पार किया गया। यह प्रक्रिया सफल रही और कुछ घंटों में न्यूरोलॉजिकल सुधार दिखाई देने लगे। उसके अंगों का संचार स्थिर रहा और उसके स्ट्रोक के लक्षण धीरे-धीरे ठीक हो गए। धीरे-धीरे वह अपनी रूटीन और सामान्य बातचीत करने लगी। स्वस्थ होने पर उसे छुट्टी दे दी गई। इनकी रही अहम भूमिका युवती को ठीक करने में कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.अंकित साहू, इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रोफेसर रजनीकांत आर यादव, डॉ.प्रांजल, एनेस्थीसिया टीम डॉ.प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता और डॉ. तपस कुमार सिंह और रेडियोडायग्नोसिस विभाग की प्रमुख डॉ.प्रोफेसर अर्चना गुप्ता का विशेष योगदान रहा।

Mar 17, 2025 - 03:59
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रेयर हार्ट डिसीज से जूझ रही थी युवती:अचानक ब्लड क्लॉट से पैर हुए सुन्न,पैरालिसिस अटैक से बिगड़ी हालत; SGPGI के डॉक्टरों ने बचाई जान
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के डॉक्टरों ने हार्ट वाल्व की रेयर बीमारी से जू
रेयर हार्ट डिसीज से जूझ रही थी युवती: अचानक ब्लड क्लॉट से पैर हुए सुन्न, पैरालिसिस अटैक से बिगड़ी हालत; SGPGI के डॉक्टरों ने बचाई जान Keywords: Rare heart disease, blood clot, paralysis attack, SGPGI doctors, young woman health crisis, sudden numbness, medical emergency treatment, youth cardiac issues

एक युवा महिला, जो रेयर हार्ट डिसीज से जूझ रही थी, उसके लिए चिंता का एक नया कारण बन गया जब अचानक उसे अपने पैरों में सुन्नपन और गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ा। यह घटना एक गंभीर ब्लड क्लॉट के कारण हुई, जिसने उसकी जीवन रेखाओं को खतरे में डाल दिया। इस कठिन समय में, SGPGI के कुशल डॉक्टरों ने अपनी ज्ञान और अनुभव से उसकी जान बचाने में मदद की।

रेयर हार्ट डिसीज और उसके प्रभाव

रेयर हार्ट डिसीज एक दुर्लभ स्थिति है, जो विश्वभर में अपेक्षाकृत कम लोगों में पायी जाती है। इस स्थिति के कारण हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिससे रक्त संचार में बाधा आती है। यह स्थिति युवाओं में भी देखी जा सकती है, जैसे कि इस युवती के मामले में।

ब्लड क्लॉट का खतरनाक प्रभाव

जब महिला के पैरों में अचानक सुन्नपन का एहसास हुआ, तो यह उसके शरीर में एक संभावित ब्लड क्लॉट के संकेत थे। ब्लड क्लॉट्स समय पर डिटेक्ट न होने पर जानलेवा साबित हो सकते हैं। महिला को तत्कालीक चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी जो कि SGPGI के डॉक्टरों द्वारा तुरंत प्रदान की गई।

पैरालिसिस अटैक के लक्षण

ब्लड क्लॉट की समाप्ति के साथ-साथ, महिला पहला पैरालिसिस अटैक भी झेल रही थी। पैरालिसिस आने पर, शरीर के विभिन्न हिस्सों में असमर्थता और कमजोरी का अनुभव होता है। ऐसे लक्षणों में तेजी से चिकित्सा सहायता लेने की सलाह दी जाती है।

SGPGI का कुशल इलाज

SGPGI के डॉक्टरों ने इस गंभीर स्थिति को संभालने में अद्भुत भूमिका निभाई। उनका चिकित्सीय ज्ञान और विशिष्टता ने युवती की जान को बचाने में सफलता पाई। इस मामले ने यह भी दर्शाया कि समय पर इलाज कितना महत्वपूर्ण है।

इस प्रकार की स्थितियों से बचना संभव है अगर समय पर सही चिकित्सा प्राप्त की जाए। हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में इस प्रकार की चिकित्सा आपातकालीन स्थितियों में तेजी से क्रियान्वित होनी चाहिए। अगर आप या आपके आसपास कोई इस तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो कृपया तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

अधिक जानकारी के लिए, विजिट करें: News by indiatwoday.com

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