शेयर बाजार में इस हफ्ते उतार-चढ़ाव का अनुमान:टैरिफ, RBI रेट कट से लेकर FII-DII फ्लो तक; यह फैक्टर्स तय करेंगे बाजार की चाल

शेयर बाजार में इस हफ्ते उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। टैरिफ डेवलपमेंट, FOMC मिनट्स, ग्लोबल इकोनॉमिक डेटा, RBI पॉलिसी, डोमेस्टिक इकोनॉमिक डेटा, कॉरपोरेट अर्निंग्स, FII-DII फ्लो और अपकमिंग IPO पर बाजार की नजर रहेगी। ऐसे फैक्टर्स जिनसे इस हफ्ते में बाजार की चाल तय होगी... टैरिफ डेवलपमेंट ग्लोबल लेवल पर सभी निवेशकों की नजरें टैरिफ से जुड़ी आगे की एक्टिविटीज पर रहेंगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पिछले सप्ताह घोषित टैरिफ रेट्स पर अड़े हुए हैं। वे टैरिफ का बचाव कर रहे हैं, लेकिन बातचीत के लिए तैयार हैं। ट्रम्प ने कहा कि टैरिफ ने उन्हें नेगोशिएशन की पावर दी है। उन्होंने अपने पिछले प्रशासन में इसे एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया था और अब दूसरे कार्यकाल में इसे एक नए स्तर पर ले गए और पूरे ग्लोबल ट्रेड सिस्टम को अस्त-व्यस्त कर दिया है। चीन ने भी अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर 34% टैरिफ लगाया है। इससे शुक्रवार को इक्विटी और कमोडिटीज मार्केट पर निगेटिव असर देखने को मिला था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जापान, मैक्सिको, साउथ कोरिया और भारत जैसे देश रीटेलियेशन के बजाय अमेरिका से रियायतें चाहते हैं। वहीं ब्रिटेन, अमेरिका के साथ आर्थिक समझौता करने के लिए काम कर रहा है। इसके अलावा वियतनाम, अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ में कटौती करने के लिए तैयार है। वहीं कंबोडिया ने अमेरिकी सरकार से अपने प्रोडक्ट्स पर 49% टैरिफ रेट को पोस्टपोन करने के लिए कहा है। इन दोनों देशों पर टैरिफ रेट सबसे ज्यादा हैं। विनोद नायर ने कहा कि भारत पर लगाया गया 26% टैरिफ अन्य एशियाई इकोनॉमीज की तुलना में कम हैं। भारत-अमेरिका बायलेटरल ट्रेड नेगोशिएशन से जो भी पॉजिटिव डेवलपमेंट होगा, उससे बाजार को सपोर्ट मिल सकता है। FOMC मिनट्स फेडरल रिजर्व की मार्च में हुई पॉलिसी मीटिंग के मिनट्स पर भी बाजार की नजर रहेगी। मार्केट पार्टिसिपेंट्स आगे रेट कट्स, इकोनॉमिक ग्रोथ और जॉब्स डेटा के आंकड़ों से मिलने वाले संकेतों की तलाश करेंगे। पिछले शुक्रवार को अपनी स्पीच में यूएस फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने उम्मीद से ज्यादा टैरिफ रेट्स का हवाला देते हुए इन्फ्लेशन और इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर चिंता जताई है। जेरोम पॉवेल को टैरिफ के कारण हाई इन्फ्लेशन और कम ग्रोथ की उम्मीद है, जो दर्शाता है कि आगे की दरों में कटौती केवल टैरिफ के फाइनल इम्पैक्ट की क्लैरिटी पर निर्भर करेगा। FOMC मिनट्स के अलावा वीकली जॉब्स डेटा के साथ-साथ मार्च के लिए अमेरिकी इन्फ्लेशन और PPI नंबर्स पर भी फोकस किया जाएगा। इकोनॉमिस्ट को उम्मीद है कि मार्च में इन्फ्लेशन में और गिरावट आएगी, जो फरवरी में 2.8% और जनवरी में 3% थी। ग्लोबल इकोनॉमिक डेटा आने वाले सप्ताह में चीन की ओर से मार्च महीने के लिए इन्फ्लेशन, PPI, व्हीकल सेल्स और बैलेंस ऑफ ट्रेड पर भी नजर रखी जाएगी। RBI पॉलिसी निवेशकों का फोकस 9 अप्रैल को होने वाली RBI की मोनेटरी पालिसी कमिटी (MPC) की मीटिंग के नतीजों पर रहेगा। इकोनॉमिस्ट को उम्मीद है कि RBI रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती कर सकता है। 4% से नीचे इन्फ्लेशन के आंकड़ों को देखते हुए 25 bps से ज्यादा की कोई भी रेट कटौती बाजारों के लिए ज्यादा पॉजिटिव होगी। इसके अलावा ट्रम्प टैरिफ के बाद ग्रोथ, इन्फ्लेशन और लिक्विडिटी को लेकर कमेंट्स पर भी नजर रहेगी। डोमेस्टिक इकोनॉमिक डेटा 11 अप्रैल को आने वाले इन्फ्लेशन और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़ों पर भी नजर रखी जाएगी। क्योंकि इनसे देश की आर्थिक स्थितियों के बारे में जरूरी जानकारी मिलने की संभावना है। एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि मार्च में इन्फ्लेशन बढ़ सकता है, जो फरवरी 3.61% रहा था। हालांकि, इसके 4% से नीचे रहने की उम्मीद है। इसके अलावा उसी दिन 28 मार्च को समाप्त बीते दो हफ्ते के लिए बैंक लोन और डिपॉजिट ग्रोथ के साथ-साथ 4 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के लिए फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व के आंकड़ों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। कॉरपोरेट अर्निंग्स अगले सप्ताह कंपनियां अपने मार्च 2025 तिमाही यानी चौथी तिमाही (Q4FY25-जनवरी-मार्च) के नतीजे जारी करेंगी। जिसकी शुरूआत 10 अप्रैल को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS के नतीजों से होगी। अमेरिकी टैरिफ के बाद कंपनियों के नतीजे अच्छे आने की उम्मीद कम है। TCS के साथ आनंद राठी वेल्थ, ट्रांसफॉर्मर्स एंड रेक्टिफायर्स (इंडिया), BF यूटिलिटीज और ओके प्ले इंडिया भी अगले सप्ताह अपने तिमाही नतीजे जारी करेंगी। FII-DII फ्लो बाजार की नजर फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स यानी FII की एक्टिविटीज पर भी रहेगी। पिछले हफ्ते FII ने भारतीय इक्विटी में कैश सेगमेंट में 13,730 करोड़ रुपए की नेट सेलिंग की थी। हालांकि, डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) ने इसी अवधि में 5,633 करोड़ रुपए की नेट बाईंग की। पिछले कुछ हफ्तों में FII के नेट खरीदार होने के बाद बाजार की धारणा फिर से मजबूत हुई थी, लेकिन 28 मार्च से उनकी भारी नेट सेलिंग के बाद मार्केट मूड खराब हो गया है। इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) अगले हफ्ते मेनबोर्ड और SME सेगमेंट में भी कोई नया इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO ओपन नहीं होगा। हालांकि, रेटागियो इंडस्ट्रीज 7 अप्रैल को BSE SME लिस्ट होगी। जबकि, इन्फोनेटिव सॉल्यूशंस और स्पिनारू कमर्शियल की लिस्टिंग 8 अप्रैल को होगी पिछले हफ्ते सेंसेक्स 2,112 अंक गिरा था पिछले हफ्ते सेंसेक्स 2,112 अंक यानी 2.73% गिरा। निफ्टी में भी बीते सप्ताह 568 (2.42%) की गिरावट रही थी। वहीं बीते हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी 4 अप्रैल को सेंसेक्स 930 अंक (1.22%) की गिरावट के साथ 75,364 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में 345 अंक (1.49%) की गिरावट रही, ये 22,904 के स्तर पर बंद हुआ था।

Apr 6, 2025 - 20:59
 80  94005
शेयर बाजार में इस हफ्ते उतार-चढ़ाव का अनुमान:टैरिफ, RBI रेट कट से लेकर FII-DII फ्लो तक; यह फैक्टर्स तय करेंगे बाजार की चाल
शेयर बाजार में इस हफ्ते उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। टैरिफ डेवलपमेंट, FOMC मिनट्स, ग्लोबल इकोनॉमि

शेयर बाजार में इस हफ्ते उतार-चढ़ाव का अनुमान

इस हफ्ते शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावनाएं बढ़ गई हैं। टैरिफ, RBI रेट कट, और FII-DII फ्लो जैसे महत्वपूर्ण फैक्टर्स बाजार की चाल को तय करेंगे। निवेशकों को इन सभी पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

RBI की नीतियों का प्रभाव

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अपेक्षित ब्याज दर में कटौती का शेयर बाजार पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह वित्तीय संस्थानों की लिक्विडिटी को बढ़ाएगा और शेयर बाजार में निवेश को आकर्षित करेगा। यदि RBI ने दरें घटाने का निर्णय लिया, तो इसकी सकारात्मक प्रतिक्रिया के तौर पर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है।

टैरिफ का असर

भारत सरकार द्वारा लगाए गए नए टैरिफ भी बाजार की स्थिति को प्रभावित करेंगे। यदि कुछ क्षेत्रों में टैरिफ बढ़ाए जाते हैं, तो इसका नकारात्मक असर कुछ कंपनियों के शेयरों पर पड़ सकता है। इसलिए, निवेशकों को विभिन्न सेक्टर के रिपोर्ट्स को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए।

FII और DII प्रवाह

विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) और घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) का प्रवाह भी बाजार की दिशा तय करेगा। यदि FII लगातार निवेश करते हैं, तो यह एक सकारात्मक संकेत है। वहीं, DII द्वारा की जाने वाली खरीदारी भी बाजार को मजबूती दे सकती है।

निवेशकों के लिए सुझाव

निवेशकों को चाहिए कि वे इन सभी फैक्टर्स पर नज़र रखें। एक सही रणनीति और समय पर निर्णय से आपके निवेश पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बाजार की चाल को समझने के लिए नियमित समाचार अपडेट्स पढ़ें और विशेषज्ञों की राय पर ध्यान दें।

अधिक जानकारी और अपडेट्स के लिए, कृपया indiatwoday.com पर जाएं।

News by indiatwoday.com Keywords: शेयर बाजार की चाल, RBI रेट कट, टैरिफ, FII DII प्रवाह, निवेशकों के लिए सुझाव, बाजार में उतार चढ़ाव, निवेश रणनीति, भारतीय शेयर बाजार, वित्तीय मंदी, बाजार की दिशा

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow