सनातन धर्म का मजाक मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता:आनंद स्वरूप ने कहा- हर्षा गलत रास्ते पर जा रही थी, इसलिए मैंने रोका

हर्षा जैसी कई लाख लड़कियां आई हुई हैं। अगर उसे मेरी बात का बुरा लगा तो लग जाए। हम बस उसे सही समझा रहे थे। यह बात स्वामी आनंद स्वरूप ने कही। दैनिक भास्कर को दिए गए इंटरव्यू में हर्षा ने कहा, "आनंद स्वरूप को पाप लगेगा।" इसका जवाब देते हुए उन्होंने अपना वीडियो जारी किया। चलिए जानते हैं आनंद स्वरूप ने क्या कहा... सबसे पहले हर्षा का बयान हर्षा ने कहा- 'मैं न कोई मॉडल हूं और न ही कोई संत...मैं सिर्फ एक एंकर और एक्ट्रेस थी। संतों ने महिला होने के बावजूद मेरा अपमान किया। आनंद स्वरूप को पाप लगेगा।' यह कहकर हर्षा रिछारिया रो पड़ती हैं। हर्षा ने कहा- अब मुझे डर लग रहा है। मेरे ऊपर लग रहे आरोपों से मैं त्रस्त हूं, परेशान हूं। अब मैं महाकुंभ मेला छोड़कर चली जाऊंगी। मैं पूरे महाकुंभ में रहने के लिए यहां आई थी। मैं सिर्फ महाराज जी की भक्त हूं। कैलाश आनंद के विचारों से प्रभावित होकर उनके साथ आई थी। मैं संत नहीं हूं। संत अपने आप में बहुत बड़ी पदवी होती है, इसका टैग मुझे नहीं दिया जाए। मैं कभी भी मॉडल नहीं रही हूं। इसलिए मैं यह टैग भी एक्सेप्ट नहीं कर सकती। मैं सिर्फ एक साधारण सी शिष्या हूं, जो अपने गुरुदेव के सानिध्य में महाकुंभ को जानने, महसूस करने और समझने के लिए तीर्थराज प्रयागराज में आई है। अब पढ़िए बाबा आनंद स्वरूप ने क्या कहा... शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने कहा- महाकुंभ सनातन धर्मियों का सबसे बड़ा समागम है। यहां धर्म और आध्यात्म पर चर्चा होनी चाहिए। महिला मॉडल और बीफ खाने वाली विदेशी महिला लॉरेन पॉवेल का शुद्धिकरण कराए बिना उसे दीक्षा देना और सनातनी नाम दे देना सिर्फ मजाक और प्रचार है। महाकुंभ में इस तरह के काम सिर्फ मार्केटिंग इवेंट है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। इसे लेकर धर्माचार्यों से चर्चा कर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा, क्योंकि यह सीधे तौर पर महापाप है। उन्होंने कहा- हर्षा जैसी कई लाख लड़कियां आई हुई हैं। मैने किसी को कुछ नहीं कहा। तुम आचार्य के रथ पर सवार होकर बाइट दे रही थी कि मैं दो साल इस जीवन में हूं। दो साल से साध्वी हूं। जब मैंने असलियत को जाना तो उनको रोकना मेरा कर्तव्य है। और तुमसे मेरा कोई मतभेद नहीं है। जैसा मेरा सभी बहनों से लगाव वैसे तुमसे हैं। तुमको मैने इसमें रास्ता दिखाया है। इसमें बुरा मानने वाला कुछ नहीं है। फिर भी तुमको बुरा लगा तो लगने दो। मैं अगर ऐसे काम कोई और करेगा, उसके साथ भी वहीं करुंगा। क्योंकि मेरा कर्तव्य ही है, मैंने इसलिए काली सेना बनाई है कि धर्म के खिलाफ चलने वाले लोगों को रोकना और टोकना। तुम गलत रास्ते पर जा रही थी। इसलिए मैंने तुमको रोका, तुम्हारी सारी असलियत बाहर आ गई। तुम्हारी मां कर रही है कि तुम्हारी अगले महीने शादी है। मेरा उसमें कुछ नहीं है। लेकिन इस बात अलग भगवा वस्त्र का, तिलक का, माला का, सनातन धर्म का मजाक बनाना क्या मैं बर्दाश्त कर सकता हूं। ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं। एक सामान्य लड़की की तरह कुंभ में रहो मुझे कोई दिक्कत नहीं। ये सब करोगी तो मैं फिर से टोकुंगा, फिर रोकुंगा। इस तरीके बिना संन्यास ग्रहण किए, किसी की शिष्या बताना गलत है। हर्षा ने एक-एक कर हमारे सवालों के जवाब दिए, पढ़िए पूरा इंटरव्यू... सवाल: आप मॉडल, संत या सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर...क्या हैं? जवाब: मैं संत नहीं हूं। संत अपने आप में बहुत बड़ी पदवी होती है, इसका टैग मुझे नहीं दिया जाए। मैं कभी भी मॉडल नहीं रही हूं। इसलिए मैं यह टैग भी एक्सेप्ट नहीं कर सकती। मैं सिर्फ एक साधारण सी शिष्या हूं, जो अपने गुरुदेव के सानिध्य में महाकुंभ को जानने, महसूस करने और समझने के लिए तीर्थराज प्रयागराज में आई है। सवाल: आप महामंडलेश्वर के रथ में सवार हुईं, संतों ने इसका विरोध किया, क्या कहेंगी? जवाब: मुझे जो पर्सनली फील होता है, वो यह है कि अगर कोई भी इंसान वेस्टर्न कल्चर को छोड़कर, सनातन धर्म की संस्कृति से जुड़ना चाहता है, समझना चाहता है, उसमें समाना चाहता है, उसमें रम जाना चाहता है। तो मुझे लगता है कि हिंदू होने के नाते, सनातनी होने के नाते हमें खुशी से उसे परिवार में, धर्म में शामिल करना चाहिए, न कि उसका विरोध करना चाहिए। उसे बच्चे की तरह ट्रीट करना चाहिए। उसका विरोध करना बहुत गलत बात है। सवाल : कैलाशानंद गिरी महाराज के संपर्क में कैसे आईं और कैसे धर्म अध्यात्म समझा? जवाब : परम पूज्य गुरुदेव की बात है, तो मैंने उनसे कुछ समय पहले ही शिक्षा-दीक्षा ली। मंत्र दीक्षा ली है। उनके जो लाखों शिष्य हैं, बच्चे हैं। उन बच्चों में से मैं उनकी एक बेटी हूं, शिष्या हूं। मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे उनका सानिध्य मिला। वह सिद्ध पुरुष हैं। विश्व में उनकी ख्याति है। पूरी दुनिया के लोग उनसे जुड़ना चाहते हैं। सवाल: आपके संगम में शाही स्नान को लेकर विवाद हुआ, क्या कहेंगी? जवाब : हर कोई संगम या अमृत स्नान के लिए तड़पता है। हर कोई चाहता है कि साधु-संतों के सानिध्य में, उनकी छत्र-छाया में हमको यह अमृत स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हो। रही बात मेरी शाही सवारी में बैठने की, जिसके लिए विवाद हो रहा है, तो बता दूं- वो विवाद का मुद्दा नहीं था। उसमें सिर्फ मैं नहीं बैठी थी। सिर्फ मैंने भगवा शॉल नहीं ओढ़ा था। सबसे बड़ी बात अगर हिंदू होने के नाते, सनातनी होने के नाते अगर मैंने भगवा शॉल ओढ़ा तो यह गर्व की बात होनी चाहिए थी। लोगों को गर्व होना चाहिए था कि आज युवा सनातन धर्म में रम रहा है। यह तो पूरे सनातन धर्म के लिए गर्व की बात है। मैं प्रयासरत हूं कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रेरित कर सकूं, लेकिन अगर मैं ही ऐसा नहीं कर पाऊंगी, तो दूसरों को क्या जागरूक कर पाऊंगी। मीडिया ने मुझे टारगेट किया शाही सवारी में उस वक्त मेरे अलावा बहुत से गृहस्थ लोग भी बैठे हुए थे। जिनका अपना परिवार है, बच्चे हैं, मां-बाप हैं, लेकिन मुझे लगता है कि मीडिया ने मुझे टारगेट किया हुआ था। सिर्फ हमारे निरंजनी अखाड़े में गृहस्थ लोग नहीं थे। अलग-अलग अखाड़ों की शा

Jan 17, 2025 - 06:40
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सनातन धर्म का मजाक मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता:आनंद स्वरूप ने कहा- हर्षा गलत रास्ते पर जा रही थी, इसलिए मैंने रोका
हर्षा जैसी कई लाख लड़कियां आई हुई हैं। अगर उसे मेरी बात का बुरा लगा तो लग जाए। हम बस उसे सही समझा रह

सनातन धर्म का मजाक मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता: आनंद स्वरूप ने कहा- हर्षा गलत रास्ते पर जा रही थी, इसलिए मैंने रोका

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आनंद स्वरूप का बयान

सनातन धर्म से जुड़ी चर्चाओं के बीच, आनंद स्वरूप ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वे सनातन धर्म का मजाक सहन नहीं कर सकते। उनके अनुसार, हर्षा, जो कि चर्चित विषय का हिस्सा हैं, गलत रास्ते पर जा रही थी, इसलिए उन्होंने उसे रोकने का निर्णय लिया। यह बयान समाज में धार्मिक भावनाओं को सम्मान देने के संदर्भ में उठाए गए कई सवालों पर प्रकाश डालता है।

धर्म पर हर्षा का दृष्टिकोण

आनंद स्वरूप ने कहा कि किसी भी धार्मिक विश्वास का मजाक उड़ाना उचित नहीं है। उनके अनुसार, हर्षा का दृष्टिकोण संतुलित नहीं था और इस वजह से उन्होंने हस्तक्षेप किया। यह घटना इस बात को उजागर करती है कि किस प्रकार धार्मिक मुद्दे पर संवेदनशीलता की आवश्यकता है।

समाज में बहस की स्थिति

इस बयान ने समाज में विभिन्न प्रतिक्रिया उत्पन्न की हैं। कुछ लोग आनंद स्वरूप के समर्थन में हैं, जबकि अन्य इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश लगाने के रूप में देख रहे हैं। ऐसे मामलों पर सलाह और चर्चाएँ जारी रहनी चाहिए, ताकि सभी समुदायों में आपसी समझ और सहिष्णुता बनी रहे।

निष्कर्ष

आनंद स्वरूप का यह बयान हिंदू धर्म की गरिमा को बनाए रखने के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह भी आवश्यक है कि हम अपने विचारों को साझा करने का एक स्वस्थ और सबको सम्मान देने वाला तरीका अपनाएं।

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