साल का पहला सूर्यग्रहण खत्म:अमेरिका और यूरोप में आया नजर, भारत पर कोई असर नहीं

आज यानी शनिवार को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण था। पूर्ण सूर्यग्रहण के उलट आंशिक ग्रहण में सूरज का एक हिस्सा दिखाई देता है और आकाश में अर्धचंद्राकार आकृति बनती है। सूर्य ग्रहण नॉर्थ-वेस्ट अफ्रीका, नार्थ अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, नॉर्थ रूस, नॉर्थ पोल, आर्कटिक महासागर और अटलांटिक महासागर में दिखाई दिया। ग्रहण भारतीय समय अनुसार दोपहर 2.21 बजे शुरू होकर शाम 6.14 बजे खत्म हो गया। ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया, इस वजह से यहां सूतक नहीं है। तस्वीरों में देखिए सूर्यग्रहण... दोहरे सूर्योदय का नजारा दिखेगा इस आंशिक सूर्यग्रहण की वजह से दोहरा सूर्योदय भी होगा, जो एक दुर्लभ नजारा है। जिसमें सूरज दो बार उगता हुआ नजर आता है। ऐसा तब होता है जब ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेता है। ऐसा नजारा सबसे ज्यादा तब दिखाई देता है जब ग्रहण सूर्योदय के समय होता है। बादल या लाइट रिफ्लेक्शन (प्रकाश अपवर्तन) जैसी मौसम की स्थितियां इस भ्रम को और भी नाटकीय बना सकती हैं। सूर्य ग्रहण के पीछे का साइंस पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्र आता है, तब सूर्य ग्रहण होता है। पृथ्वी अपने चंद्र के साथ सूर्य का चक्कर लगाती है। चंद्र पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के साथ चलता है। जब ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, चंद्र पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, तब पृथ्वी के जिस हिस्से पर चंद्र की छाया पड़ती है, वहां सूर्य दिखना बंद हो जाता है, इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। चंद्रमा से 400 गुना बड़ा सूरज है चंद्रमा की तुलना में सूरज का आकार 400 गुना ज्यादा बड़ा है, लेकिन पृथ्वी से सूरज की दूरी भी चंद्रमा के मुकाबले 400 गुना ज्यादा है। इसी से अलग-अलग आकार होने के बावजूद सूरज और चांद दोनों पृथ्वी से एक साइज के दिखाई देते हैं। चक्कर लगाते समय चंद्रमा जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है तो सूर्य को पूरी तरह से ढंक लेता है। सूर्यग्रहण देखते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए? मानव आंख के रेटिना के अंदर पाई जाने वाली कोशिकाएं बेहद सेंसिटिव होती हैं। अगर ये सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आ जाती हैं तो इनके खराब होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। सूर्य के छोटे से छोटा हिस्सा भी इतना इफेक्टिव होता है कि वो कुछ ही मिनटों में रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। ये नुकसान कुछ समय के लिए भी हो सकता है और लंबे समय के लिए भी। ऐसे में सूर्यग्रहण को देखते समय सोलर चश्मे या दूरबीन का प्रयोग जरूर करना चाहिए। सूर्य को नंगी आंखों से देखने से, आंखों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? आमतौर पर सूर्य को 100 से ज्यादा सेकेंड्स तक नंगी आंखों से देखने से धुंधलापन, विजन में कालापन या धुंधलापन या आंखों की रोशनी खो जाने का खतरा रहता है। सूर्य की सीधी रोशनी से आंखों के रेटिना पर असर पड़ता है। सूर्य का छोटा सा हिस्सा भी रेटिना को कमजोर कर सकता है। चूंकि सूर्य तेज ताप उत्सर्जित करता है तो चश्मे या अन्य सुरक्षा उपायों की मदद से सूर्य को ज्यादा देर तक देखना भी आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे सूर्य को लगातार देखने की बजाय कुछ समय अंतराल में देखना चाहिए। सबसे लंबा सूर्य ग्रहण 7 मिनट 31 सेकेंड का हो सकता है खगोलीय वैज्ञानिक जीन मीयस के मुताबिक, पूर्ण सूर्यग्रहण अधिकतम 7 मिनट और 31 सेकेंड का हो सकता है। हालांकि अभी तक इतना लंबा सूर्यग्रहण नहीं दिखा है। अब तक का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण 15 जून 743 ईसा पूर्व में हिंद महासागर के तट, केन्या और सोमालिया में देखा गया था, जो 7 मिनट 28 सेकेंड का था। वहीं अब तक का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण 16 जुलाई 2186 को पड़ेगा, जो 7 मिनट 29 सेकेंड का होगा। ------------------------------------ यह खबर भी पढ़ें... आज सूर्य ग्रहण, लेकिन नहीं रहेगा सूतक:चैत्र अमावस्या पर करें पितरों के लिए श्राद्ध, शनि को चढ़ाएं सरसों का तेल और करें हनुमान चालीसा का पाठ आज (शनिवार, 29 मार्च) चैत्र मास की अमावस्या है और आज सूर्य ग्रहण भी हो रहा है, लेकिन ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इस वजह से यहां सूतक नहीं है। सूतक न होने से पूरे दिन चैत्र अमावस्या से जुड़े सभी धर्म-कर्म कर सकते हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर...

Mar 29, 2025 - 18:59
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साल का पहला सूर्यग्रहण खत्म:अमेरिका और यूरोप में आया नजर, भारत पर कोई असर नहीं
आज यानी शनिवार को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण था। पूर्ण सूर्यग्रहण के उलट आ

साल का पहला सूर्यग्रहण खत्म: अमेरिका और यूरोप में आया नजर, भारत पर कोई असर नहीं

आज, साल का पहला सूर्यग्रहण खत्म हुआ है, जो अमेरिका और यूरोप में दिखाई दिया। यह एक अद्वितीय खगोलीय घटना है, जिसने लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया। हालांकि, भारतीय समयानुसार यह सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया और इसका कोई प्रभाव भी नहीं पड़ा। सूरज और चाँद के अद्वितीय संयोग ने इस विशेष दिन को खास बना दिया।

सूर्यग्रहण का महत्व

सूर्यग्रहण का खगोलीय महत्व सिर्फ एक अद्वितीय दृष्टि नहीं है, बल्कि यह हमारे ब्रह्मांड के नियमों को समझने में भी सहायता करता है। सामान्यत: इस प्रकार के ग्रहण हमें खगोल विज्ञान के प्रति हमारी जिज्ञासा को और बढ़ाते हैं।

अमेरिका और यूरोप में दृश्यता

अमेरिका के कई क्षेत्रों में इस सूर्यग्रहण का शानदार दृश्य देखने को मिला। वैज्ञानिकों और खगोल प्रेमियों ने अपने दूरबीनों और कैमरों के माध्यम से इस अद्भुत घटना को कैद किया। यूरोप में भी इसे देखने का अवसर मिला, जिससे वहां की जनसंख्या ने इस क्षण का आनंद लिया।

भारत पर कोई असर नहीं

हालांकि, भारत में यह सूर्यग्रहण नहीं दिखाई दिया और इसका कोई ज्योतिषीय या प्राकृतिक प्रभाव भी नहीं पड़ा। भारतीय नागरिकों के लिए यह एक सामान्य दिन साबित हुआ, जबकि अन्य देशों ने इस घटना का पूरा आनंद लिया।

अंतिम शब्द

यह सूर्यग्रहण एक बार फिर से हमें याद दिलाता है कि हमारे ग्रह पर हमेशा कुछ खास होता रहता है। खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए यह घटना प्रेरणादायक है। पूरी दुनिया ने इसे देखा, लेकिन भारत में इसके लिए कोई इंतजार नहीं करना पड़ा।

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