भारत ट्रेनिंग के लिए नहीं आएंगे 50 बांग्लादेशी जज:युनूस सरकार ने रद्द किया कार्यक्रम; भारत की राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में होनी थी ट्रेनिंग
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ट्रेनिंग के लिए भारत आने वाले 50 जजों के कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स ने ये जानकारी आज बांग्लादेशी कानून मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से दी है। ये सभी जज और न्यायिक अधिकारी 10 फरवरी से ट्रेनिंग के लिए भारत आने वाले थे। न्यूज आउटलेट डेली स्टार के मुताबिक बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद युनूस सरकार सरकार ने इस प्रोग्राम को कैंसिल कर दिया। एक दिन पहले युनूस सरकार की ओर से बांग्लादेश संगबाद संस्था ने रिपोर्ट जारी कर कहा था कि लोअर कोर्ट के 50 जज मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य न्यायिक अकादमी में एक दिन की ट्रेनिंग में हिस्सा लेंगे। ट्रेनिंग कार्यक्रम का पूरा खर्चा भारत सरकार की ओर से उठाया जाना था। प्रोग्राम के तहत चुने ट्रेनी जज जिला और सत्र जज या इसके समकक्ष अधिकारी, अतिरिक्त जिला और सत्र जज, संयुक्त जिला जज, वरिष्ठ सहायक जज और सहायक जज थे। 5 अगस्त 2024 से दोनों देशों के संबंध बिगड़े इससे पहले 27 दिसंबर को भारत ने बांग्लादेश को 27 हजार टन चावल की खेप पहुंची। भारत और बांग्लादेश के बीच 5 अगस्त 2024 के बाद से संबंध तनावपूर्ण रहा है। जब शेख हसीना वहां की प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत आ गईं थी। इसके बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंदूओं के खिलाफ हमले हुए। इसके अलावा अल्पसंख्यकों से जुड़े धार्मिक स्थलों को लगातार निशाना बनाया गया। वहां कई हिंदू नेताओं को धमकियां मिल चुकी हैं। इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर से पुलिस हिरासत में हैं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को फासीवादी बता चुकी हैं। उन्होंने 15 दिसंबर को बांग्लादेश विजय दिवस से एक दिन पहले जारी बयान में कहा था कि मोहम्मद यूनुस एक फासीवादी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। ये सरकार आजादी विरोधी और कट्टरपंथियों की समर्थक है। दूसरी ओर बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के सलाहकार महफूज आलम ने 16 दिसंबर को विवादित पोस्ट किया था। इसमें भारत के बंगाल, त्रिपुरा और असम के कुछ हिस्से को बांग्लादेश में दिखाया था।इस मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा- हमें पता चला है कि उस पोस्ट को हटा दिया गया, लेकिन हम फिर भी उन्हें याद दिलाना चाहते हैं कि वे पब्लिक कमेंट्स को लेकर सचेत रहें। ऐसी टिप्पणियां जाहिर करती हैं कि सार्वजनिक टिप्पणी करते समय आपको और जिम्मेदार होने की जरूरत है। ------------------------

भारत ट्रेनिंग के लिए नहीं आएंगे 50 बांग्लादेशी जज
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रद्द किया गया कार्यक्रम
हाल ही में, युनूस सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए 50 बांग्लादेशी जजों की भारत यात्रा को रद्द करने की घोषणा की। इन जजों को भारत की राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह कार्यक्रम बांग्लादेश-भारत संबंधों में एक महत्वपूर्ण पहल था, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के न्यायिक तंत्र के बीच सहयोग को बढ़ाना था।
बांग्लादेशी जजों का प्रशिक्षण
इन 50 जजों को भारत लाकर विभिन्न कानूनी विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाने वाला था, जिसमें न्यायिक प्रक्रियाओं की जानकारी और विधिक मुद्दों पर बातचीत शामिल थी। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन वर्षों से जारी है और यह दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने का कार्य करते हैं। लेकिन, इस बार के कार्यक्रम के रद्द होने से नीति कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों में चिंता पैदा हो गई है।
युनूस सरकार का निर्णय
युनूस सरकार के इस निर्णय के पीछे कुछ राजनीतिक कारण हो सकते हैं। बहुत से विश्लेषक यह मानते हैं कि यह निर्णय बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति से जुड़ा हो सकता है। हालांकि, इस फैसले के असर का मूल्यांकन अभी करना बाकी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस स्थिति से दोनों देशों के बीच न्यायिक सहयोग को हानि पहुंचेगी।
भविष्य की संभावनाएँ
भारत और बांग्लादेश के बीच न्यायिक सहयोग को फिर से सक्रिय करने के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। आशा है कि भविष्य में दोनों देश मिलकर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे, जो आपसी समझ और संबंधों को और मजबूत करें।
निष्कर्ष
बांग्लादेशी जजों का भारत आने का कार्यक्रम रद्द होना एक संजीदा मुद्दा है, जो दोनों देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। कानूनी सहयोग और ज्ञान का आदान-प्रदान दोनों देशों के लिए फायदेमंद होता है, और हमें उम्मीद है कि यह स्थिति जल्द ही सुलझेगी।
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