अफसर बने अंजान, हरदोई में 18-दिनों में मिड्डे-मिल का सीन बीआरसी पर डालने वाली प्रधानाध्यापिका। Indiatwoday.

हरदोई के ब्लॉक भरावन स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल छावन में मिड डे मील की व्यवस्था में भारी लापरवाही देखने को मिली है। अक्टूबर माह में बच्चों को 12 दिनों तक भोजन नहीं मिला, जिससे छात्रों को बिना मिड डे मील के भूखा रहना पड़ा। प्रधानाध्यापिका शैलजा ने कई बार खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) को लिखित में सूचित किया, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। स्कूल में मिड डे मील योजना की दुर्व्यवस्था को लेकर यह मामला गंभीर हो गया है। जानकारी के अनुसार, 18 दिनों में सिर्फ 6 दिन ही बच्चों को भोजन मिला, जबकि 12 दिन मिड डे मील नहीं परोसा गया। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि ग्राम प्रधान मिड डे मील की सामग्री स्वयं भेजते हैं, लेकिन जब सामग्री नहीं भेजी गई तो भोजन नहीं बन पाया। इस स्थिति के बारे में बीईओ ब्रजेश त्रिपाठी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके सीयूजी नंबर पर फोन स्विच ऑफ मिला और पर्सनल नंबर पर भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इससे विभाग की अनदेखी और लापरवाही साफ झलकती है। शिक्षा विभाग भरावन में पहले भी बर्तन खरीदारी और अन्य घोटालों के मामले सामने आए हैं, और अब मिड डे मील में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। सरकार द्वारा विद्यालयों में बच्चों के पोषण और बौद्धिक विकास के लिए मिड डे मील की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस प्रकार की लापरवाही बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग की जा रही है।

Oct 20, 2024 - 13:15
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अफसर बने अंजान, हरदोई में 18-दिनों में मिड्डे-मिल का सीन बीआरसी पर डालने वाली प्रधानाध्यापिका। Indiatwoday.
हरदोई के ब्लॉक भरावन स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल छावन में मिड डे मील की व्यवस्था में भारी लापरवाही देखने को मिली है। अक्टूबर माह में बच्चों को 12 दिनों तक भोजन नहीं मिला, जिससे छात्रों को बिना मिड डे मील के भूखा रहना पड़ा। प्रधानाध्यापिका शैलजा ने कई बार खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) को लिखित में सूचित किया, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। स्कूल में मिड डे मील योजना की दुर्व्यवस्था को लेकर यह मामला गंभीर हो गया है। जानकारी के अनुसार, 18 दिनों में सिर्फ 6 दिन ही बच्चों को भोजन मिला, जबकि 12 दिन मिड डे मील नहीं परोसा गया। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि ग्राम प्रधान मिड डे मील की सामग्री स्वयं भेजते हैं, लेकिन जब सामग्री नहीं भेजी गई तो भोजन नहीं बन पाया। इस स्थिति के बारे में बीईओ ब्रजेश त्रिपाठी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके सीयूजी नंबर पर फोन स्विच ऑफ मिला और पर्सनल नंबर पर भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इससे विभाग की अनदेखी और लापरवाही साफ झलकती है। शिक्षा विभाग भरावन में पहले भी बर्तन खरीदारी और अन्य घोटालों के मामले सामने आए हैं, और अब मिड डे मील में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। सरकार द्वारा विद्यालयों में बच्चों के पोषण और बौद्धिक विकास के लिए मिड डे मील की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस प्रकार की लापरवाही बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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