हिमाचल का आर्मी अफसर जम्मू में शहीद:आतंकवादियों की घुसपैठ नाकाम की, कल पैतृक गांव में अंतिम संस्कार, 2 बच्चों के पिता
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के आर्मी अफसर (JCO) जम्मू के सुंदरबनी सेक्टर के केरी बट्टल इलाके में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए। शुक्रवार देर रात आतंकवादियों की घुसपैठ की सूचना पर वह अन्य जवानों के साथ आपरेशन में शामिल हुए थे। कुलदीप चंद हिमाचल के जिला हमीरपुर के गलोड़ के रहने वाले थे। सेना ने शनिवार को सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा, जीओसी व्हाइट नाइट कोर और सभी रैंक 9 पंजाब के बहादुर कुलदीप चंद के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं। कुलदीप ने 11 अप्रैल की रात सुंदरबनी के केरी बट्टल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ विरोधी अभियान का बहादुरी से नेतृत्व किया। सेना ने कहा, “उनकी टीम की वीरता और कुलदीप के बलिदान ने आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। हम इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवार के साथ खड़े हैं। जैसे ही परिजनों को यह खबर मिली तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। बताया जा रहा है कुलदीप का पार्थिव शरीर कल सुबह पैतृक गांव लाया जाएगा और अंतिम संस्कार किया जाएगा। घर पर पत्नी और बेटा-बेटी शहीद कुलदीप पत्नी, एक बेटा व बेटी को छोड़ गए हैं। शहीद का छोटा भाई विदेश में नौकरी करता है, उसे भी सूचित कर दिया गया है। 1996 में सेना में भर्ती कुलदीप 1996 में सेना में भर्ती हुए थे। वह वर्तमान में 9 पंजाब में सेवारत थे और इन दिनों उनकी यूनिट जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में थी। इस दौरान घुसपैठ कर रहे आतंकियों को रोकने के लिए सेना और आतंकियों के बीच फायरिंग शुरू हो गई। गोली लगने के बाद कुलदीप घायल हो गए, लेकिन घुसपैठ को नाकाम कर प्राण त्याग दिए।

हिमाचल का आर्मी अफसर जम्मू में शहीद: आतंकवादियों की घुसपैठ नाकाम की
हिमाचल प्रदेश के एक बहादुर आर्मी अफसर ने जम्मू में आतंकवादियों की घुसपैठ को नाकाम करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। यह घटना भारतीय सेनाध्यक्षों की दाईं ओर खड़ी स्थिति की पुष्टि करती है, जहां शहीद की चतुराई और बलिदान ने अत्यधिक मूल्यवान जीवन को सुरक्षित रखा।
शहीद का परिचय और उनके योगदान
शहीद अफसर, जो हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गाँव के निवासी थे, अपने परिवार के साथ गाँव लौटने का इंतजार कर रहे थे। उनके साहस और सेवा को सम्मान देने के लिए कल उनके पैतृक गाँव में अंतिम संस्कार रखा जाएगा। यह समाचार न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए एक दुखदायी पहलू है। उन्होंने दो बच्चों के पिता के रूप में अपने परिवार का समर्थन किया और उनके बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।
आतंकवादियों की घुसपैठ की घातक योजना
इस घटना ने हमें यह याद दिलाया कि हमारे देश की सीमाएँ हमेशा खतरे में होती हैं। आतंकवादियों की घुसपैठ की योजना को विफल करने के लिए शहीद अफसर ने अदम्य साहस का परिचय दिया। उनके अद्वितीय निर्णय लेने की क्षमता ने अनेक जानें बचाईं और इससे यह स्पष्ट होता है कि हमारी सैन्य बल भारतीय संरक्षा के प्रति कितने समर्पित हैं।
समाज का समर्थन और श्रद्धांजलि
शहीद की पत्नी, उनके बच्चे और पूरे गाँववासी शोक में हैं। समाज के कई वर्गों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की है और उनकी बहादुरी को सराहा है। शहीद की इस वीरता के चलते, उन सभी लोगों के दिलों में एक नई प्रेरणा जागी है, जो देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।
हम सभी को ऐसे वीरों का सम्मान करना चाहिए जो अपने जीवन की परवाह किए बिना देश की रक्षा के लिए खड़े हैं। इस समाचार पर अधिक जानकारी के लिए, कृपया 'News by indiatwoday.com' पर जाएँ।
अंत में
हमारे देश में ऐसे बहादुर अफसरों की कमी नहीं है। उनका बलिदान और सेवा हमें प्रेरित करती है कि हम अपने देश की सुरक्षा के प्रति संजीदा रहें। आइए हम सभी मिलकर शहीद परिवार का संबल बनें और उनकी बहादुरी को याद रखें। Keywords: हिमाचल का आर्मी अफसर शहीद, जम्मू में आतंकवादियों की घुसपैठ, शहीद का अंतिम संस्कार, शहीद के परिवार की मदद, 2 बच्चों के पिता, भारतीय आर्मी बलिदान, आतंकवाद के खिलाफ जंग, शहीद की वीरता, सैन्य अधिकारियों का सम्मान, शहीद और देशभक्ति
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