अमेरिका का बड़ा कदम: रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव, भारत पर पड़ सकता है असर
वॉशिंगटन/नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन युद्ध के तीसरे साल में प्रवेश के साथ अमेरिका ने रूस से व्यापार करने वाले देशों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया है। अमेरिकी सीनेट में एक ऐसा विधेयक पेश किया गया है, जो रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500 फीसदी तक का टैरिफ (शुल्क) लगाने की …

अमेरिका का बड़ा कदम: रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव, भारत पर पड़ सकता है असर
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वॉशिंगटन/नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन युद्ध के तीसरे साल में प्रवेश के साथ अमेरिका ने रूस से व्यापार करने वाले देशों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया है। अमेरिकी सीनेट में एक ऐसा विधेयक पेश किया गया है, जो रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500 फीसदी तक का टैरिफ (शुल्क) लगाने की सिफारिश करता है। इस कदम से भारत जैसे देशों के लिए चिंता की लकीरें खिंच गई हैं, जो रूस से बड़े पैमाने पर सस्ता कच्चा तेल खरीद रहे हैं।
सीनेटर ग्राहम ने पेश किया विधेयक
यह विधेयक अमेरिका के प्रभावशाली सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा प्रस्तुत किया गया है। ग्राहम ने बताया कि इस प्रस्ताव को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन भी मिल चुका है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने विधेयक को जुलाई की छुट्टियों के बाद वोटिंग के लिए लाने की हरी झंडी दे दी है। यह विधेयक अमेरिका की रूस के प्रति सख्त नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रूस की आर्थिक ताकत को कमजोर करना और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन मसले पर बातचीत की मेज तक लाना है।
बिल में क्या है?
इस प्रस्तावित विधेयक के तहत रूस से तेल व अन्य वस्तुएं खरीदने वाले देशों पर उच्च आयात शुल्क लगाने की बात कही गई है। विशेष रूप से भारत और चीन को निशाने पर रखा गया है, जो ग्राहक के रूस के लगभग 70% तेल आयात के लिए जिम्मेदार हैं। बिल में यह भी उल्लेख है कि अंतिम निर्णय राष्ट्रपति ट्रंप (यदि वे पुनः निर्वाचित होते हैं) के पास रहेगा वे चाहें तो इस कानून को लागू करें या वीटो कर दें।
भारत पर क्या होगा असर?
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के आरंभिक चरण से ही रूस से सस्ती दरों पर तेल खरीदना शुरू कर दिया था। भारत और रूस के बीच डॉलर की बजाय रूपया-रूबल प्रणाली में लेन-देन होने लगा। इसके चलते, भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1% से बढ़कर 40-44% तक पहुंच गई। हाल ही में भारत ने 2–2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल रूस से आयात करने की योजना बनाई है, जो अब तक का सबसे अधिक है।
ऐसे में अगर अमेरिकी सीनेट का यह विधेयक पारित होता है और 500% टैरिफ लागू किया जाता है, तो भारत के लिए अमेरिका में निर्यात करना महंगा और कठिन हो जाएगा। इससे भारत के आर्थिक व व्यापारिक हितों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच एक संभावित व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, जो टैरिफ को कम करने में सहायक हो सकता है, लेकिन वर्तमान स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
रूस की तीखी प्रतिक्रिया
रूस ने इस प्रस्ताव को लेकर तीखी आपत्ति जताई है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि “सीनेटर ग्राहम रूस-विरोधी मानसिकता के झंडाबरदार हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर उनकी मर्जी चलती, तो अब तक ऐसे तमाम प्रतिबंध पहले ही लागू हो चुके होते। पेसकोव ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध वाकई में यूक्रेन संकट के समाधान में मददगार साबित होंगे, या फिर ये केवल भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ाएंगे।”
इस विधेयक का पारित होना भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जो रूसी कच्चे तेल पर बहुत निर्भर है। आने वाले दिनों में इस स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी, विशेषकर भारत के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से।
यह महत्वपूर्ण समाचार भारत की अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति और अमेरिका के साथ संबंधों के संदर्भ में कई सवाल खड़े करता है। आगे की स्थिति को लेकर सभी की नज़रें अमेरिकी सीनेट की कार्रवाई पर रहेंगी।
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