देहरादून: केबल डालने के विवाद ने तूल पकड़ा, पुलिसकर्मियों पर महिला,उसकी बेटी से मारपीट का आरोप, महिला आयोग ने लिया संज्ञान
रैबार डेस्क: देहरादून में फौजी की पत्नी संतोष रावत उनकी बेटी की पुलिस से झड़प... The post देहरादून: केबल डालने के विवाद ने तूल पकड़ा, पुलिसकर्मियों पर महिला,उसकी बेटी से मारपीट का आरोप, महिला आयोग ने लिया संज्ञान appeared first on Uttarakhand Raibar.
देहरादून: केबल डालने के विवाद ने तूल पकड़ा, पुलिसकर्मियों पर महिला, उसकी बेटी से मारपीट का आरोप, महिला आयोग ने लिया संज्ञान
रैबार डेस्क: देहरादून में एक विवाद ने तूल पकड़ लिया है, जिसमें फौजी की पत्नी, संतोष रावत और उनकी बेटी के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा कथित मारपीट का मामला सामने आया है। रेसकोर्स क्षेत्र में महिला की पुलिस से झड़प का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस मामले में काफी उथल-पुथल मच गई है, और अब सीओ डालनवाला को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया है और दोनों पक्षों को सोमवार को पेश होने के लिए बुलाया गया है।
मारपीट का आरोप
संतोष रावत का आरोप है कि नेहरू कालोनी थाना पुलिस ने उन्हें और उनकी 18 वर्षीय बेटी को बुरी तरह से पीटा। महिला पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने संतोष के साथ न केवल मारपीट की, बल्कि उन्हें धमकी भी दी। संतोष का कहना है कि उन्होंने पुलिस के खिलाफ कुछ शिकायतें की थीं, जिसने पुलिसकर्मियों को भड़का दिया। इस घटना के बाद, महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया है।
पुलिस का पक्ष
इस घटना के संदर्भ में महिला पुलिसकर्मियों की ओर से एक बयान आया है। उनका कहना है कि संतोष रावत और उनकी बेटी ने महिला दरोगा पर अभद्रता की और हाथापाई करने का प्रयास किया। पुलिस क्षेत्राधिकारियों का कहना है कि इस घटना के दौरान उनकी वर्दी फटी और उन्हें गला पकड़कर धक्का दिया गया। पुलिस का पक्ष मजबूत दिखता है, लेकिन संतोष रावत का बयान भी मामले की गंभीरता को दर्शाता है।
पड़ोसियों का विवाद
जानकारी के अनुसार, संतोष रावत ने अपने पड़ोसी मंजीत सिंह द्वारा उनके घर की दीवारों से घसकर केबल डालने का विरोध किया। संतोष ने इस मामले में सीएम पोर्टल पर भी शिकायत की थी, जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर केबल डालने की कोशिश की। संतोष ने इस कार्रवाई का विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के बीच गतिरोध उत्पन्न हुआ। अपने विवाद के चलते, यह मामला अब महिला आयोग के सामने भी आ चुका है।
महिला आयोग और आगे की कार्रवाई
महिला आयोग ने मामले के प्रति अत्यधिक गंभीरता दिखाई है और अब जांच शुरू कर दी है। आयोग ने दोनों पक्षों को पेश होने के लिए नोटिस भेजा है। यह घटना केवल एक महिला और उसकी बेटी के संघर्ष की कहानी नहीं है, बल्कि यह सामाजिक मुद्दों को भी उजागर करती है, जैसे कि पितृसत्तात्मकता, कानून व्यवस्था में सुधार, और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा।
निष्कर्ष
इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य के सभी क्षेत्रों में चर्चा को जन्म दिया है। महिलाएं अक्सर ऐसे मामलों में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ती हैं, लेकिन इस बार यह मामला पुलिस के खिलाफ एक बड़े सवाल का रूप ले चुका है। मामले की जांच और महिला आयोग की सुनवाई के बाद यह जानना दिलचस्प होगा कि न्याय की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है। महिलाएं इस घटना के माध्यम से एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा कर रही हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है।
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