अमेरिका शराब-कृषि उत्पाद सस्ते कराने पर अड़ा:भारत का बीच का रास्ता निकालने पर जोर, दोनों देशों में टैरिफ को लेकर हुई बातचीत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2 अप्रैल से भारत पर रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैक्स लगाने का ऐलान कर चुके हैं। टैक्स की दर किस उत्पाद पर कितनी होगी, यह तय करने के लिए अमेरिका के सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच की टीम इन दिनों नई दिल्ली में केंद्र सरकार से बात कर रही है। अमेरिकी टीम 29 मार्च तक रहेगी। सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को पहले दिन दोनों टीमों में राजनीतिक-व्यापारिक रूप से अहम मुद्दों पर टैरिफ को लेकर जोरदार मोलभाव हुआ। लिंच ने अमेरिकी शराब, कृषि उत्पादों पर भारत द्वारा लगाए जा रहे आयात टैरिफ में बड़ी कटौती करने को कहा। जबकि भारत ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन अपनी प्राथमिकताएं बताए, ताकि बीच का रास्ता निकाल सकें। अमेरिका को 4 लाख करोड़ रु. का व्यापार घाटा खटक रहा बातचीत में सबसे पेचीदा मुद्दा अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पादों की भारत में एंट्री का रहा। अमेरिकी निर्यात में 10% से ज्यादा हिस्सा कृषि उत्पादों का है। भारत हर साल अमेरिका को 43 हजार करोड़ तो अमेरिका, भारत में 13,760 करोड़ रु. के कृषि उत्पाद बेच रहा है। दिक्कत ये है कि अमेरिका कृषि उत्पादों के लिए अपने किसानों को भारी सब्सिडी देता है, क्योंकि वहां यह कमाई का जरिया है, लेकिन भारत में कृषि 70 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी का सवाल है। अगर भारत टैरिफ घटाता है तो भारतीय मार्केट में अमेरिकी सस्ते कृषि उत्पाद पकड़ बना लेंगे। इससे देसी किसान बाजार को भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए भारत बीच का रास्ता निकालने को कहा है। दोनों देशों में सालाना व्यापार 17 लाख करोड़ रु. से ज्यादा का है। इसमें भारत कर निर्यात 9 लाख करोड़ से ज्यादा का है। इस पर अमेरिका 2.2% औसत टैरिफ लगाता है। जबकि अमेरिकी उत्पादों पर भारत औसत 12% टैरिफ लगाता है। इससे व्यापार घाटा 4 लाख करोड़ रु. से ज्यादा का है। अमेरिका ने टैरिफ लगाया तो भारत को 60 हजार करोड़ का नुकसान दोनों देश एक व्यापक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। एक-दूसरे के उत्पादों को समान पहुंच देने और प्रतिबंध हटाने पर बातचीत हो रही है। अमेरिका का फोकस अपनी शराब, ऑटोमोबाइल, कृषि और डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क घटवाने पर है। अभी यह शराब पर 150%, कारों पर 100 से 165%, और खेती उत्पादों पर 120% है। भारत ऐसा नहीं करता है तो उसकी धातुओं, रसायन, आभूषणों, फार्मा और ऑटोमोबाइल पर अमेरिका भारी टैक्स लगाएगा। इससे भारत को सालाना 60 हजार करोड़ रु. का नुकसान हो सकता है। भारत ने शराब, ऑटोमोबाइल में टैरिफ घटाने के संकेत दिए अमेरिका को भारतीय मानक ब्यूरो और क्वालिटी कंट्रोल भी खटक रहे हैं। उसके इलेक्ट्रॉनिक और आईटी उत्पाद इन मानकों पर नहीं टिक पाते। इसलिए भारत चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर लगे प्रतिबंध हटाने की दिशा में भी सोच रहा है। बैठक के पहले दिन भारत ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिकी मोटर साइकिल और व्हिस्की से टैरिफ घटा सकता है। मोती, खनिज ईंधन, मशीनरी, बॉयलर और विद्युत उपकरण जैसे प्रमुख निर्यातों पर टैरिफ 6 से 10% बढ़ सकता है। जबकि मांस, मक्का, गेहूं और डेयरी उत्पादों पर टैरिफ जो अभी 30 से 60% तक है, जो कि बरकरार रहेगा। अमेरिकी उत्पादों पर 1.97 लाख करोड़ रु. का टैरिफ घटा सकता है भारत भारत ने अपने ऑटोमोटिव टैरिफ में चरणबद्ध कटौती करने के भी संकेत दिए हैं, जो वर्तमान में 100% से अधिक है। केंद्र के सूत्रों की मानें तो यदि रेसिप्रोकल टैरिफ लगता है तो भारत का 5.66 लाख करोड़ रु. का निर्यात दांव पर होगा। इससे बचने के लिए भारत अमेरिकी उत्पादों पर 1.97 लाख करोड़ रु. का टैरिफ घटा सकता है। अभी आयातित अमेरिकी उत्पादों पर 5 से 30% टैरिफ भारत ले रहा है।

Mar 26, 2025 - 08:59
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अमेरिका शराब-कृषि उत्पाद सस्ते कराने पर अड़ा:भारत का बीच का रास्ता निकालने पर जोर, दोनों देशों में टैरिफ को लेकर हुई बातचीत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2 अप्रैल से भारत पर रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैक्स लगाने का ऐल

अमेरिका शराब-कृषि उत्पाद सस्ते कराने पर अड़ा: भारत का बीच का रास्ता निकालने पर जोर

हाल ही में अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर महत्वपूर्ण बातचीत हुई है। अमेरिका अपने शराब और कृषि उत्पादों की कीमतें कम करने पर जोर दे रहा है, जिससे भारत की चिंता बढ़ गई है। News by indiatwoday.com इस मामले में भारत सरकार ने एक बीच का रास्ता निकालने पर ध्यान केंद्रित किया है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए यह बातचीत आवश्यक है।

अमेरिका की मांगें

अमेरिकी प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया है कि वे अपने उत्पादों पर कम टैरिफ चाहते हैं। इसका उद्देश्य न केवल घरेलू उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाना है, बल्कि भारतीय बाजार में अमेरिकी उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ाना भी है। यदि अमेरिका का यह दबाव जारी रहता है, तो यह भारतीय किसानों और उत्पादकों के लिए चुनौती बन सकता है।

भारत का रुख

भारत ने इस मुद्दे पर सावधानी से विचार किया है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। भारत ने सुझाव दिया है कि वह आपसी सहयोग और बातचीत को बढ़ावा देने के लिए तैयार है, जिससे दोनों देशों को लाभ हो सके। इस दिशा में भारत ने अमेरिका के साथ कई बैठकें की हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए टैरिफ मुद्दा महत्वपूर्ण है। यदि दोनों देशों के बीच सकारात्मक बातचीत जारी रहती है, तो इससे न केवल व्यापार का विस्तार होगा, बल्कि दोनों देशों के बीच दोस्ती भी मजबूत होगी। इस मामले में समाचार अपडेट के लिए आप ध्यान दे सकते हैं indiatwoday.com पर।

समापन विचार

अमेरिका की शराब और कृषि उत्पादों के टैरिफ में कमी की मांग के चलते भारत सरकार एक मध्य रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। यह बातचीत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यापार के संभावित विकास और मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को समर्थन दे सकती है। Keywords: अमेरिका शराब कृषि उत्पाद, भारत अमेरिका टैरिफ बातचीत, विश्व व्यापार संबंध, भारतीय कृषि उद्योग, अमेरिका भारत आर्थिक सहयोग, शराब उत्पाद शुल्क, व्यापार संतुलन भारत अमेरिका, अमेरिका भारत मध्य रास्ता, कृषि टैरिफ बैठक, व्यापार वृद्धि रणनीतियाँ

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