किन्नौर में केमिकल फ्री सेब की खेती:647 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती, 27 किसानों ने अपनाया नया मॉडल

किन्नौर के प्रसिद्ध सेब को पूरी तरह रसायन मुक्त बनाने की दिशा में बड़ी पहल की जा रही है। आत्मा परियोजना के जिला निदेशक डॉ. रितेश गुप्ता ने रिकांगपिओ में बताया कि जिले में 647.60 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती हो रही है। प्राकृतिक खेती खुशाल किसान योजना के तहत 2018 से अब तक 68,029 किसानों को प्रशिक्षित किया गया है। इनमें से 27,065 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। किसानों को जागरूक करने के लिए 214 दो दिवसीय प्रशिक्षण और 31 मास अवेरनेस कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। योजना में देसी गाय को प्राकृतिक खेती का आधार माना गया है। इसके लिए 32 किसानों को देसी गाय खरीदने की सहायता दी गई है। 2024-25 में 12 और किसानों को प्रशिक्षित कर 34 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। किसानों की उपज की बेहतर मार्केटिंग के लिए पूह, कल्पा और निचार उपमंडल में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए जाएंगे। प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों के प्रमाणीकरण के लिए सितारा पोर्टल पर अब तक 57 किसान पंजीकृत हैं। हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती में पूरे देश के लिए मॉडल बन कर उभरा है।

Feb 22, 2025 - 21:59
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किन्नौर में केमिकल फ्री सेब की खेती:647 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती, 27 किसानों ने अपनाया नया मॉडल
किन्नौर के प्रसिद्ध सेब को पूरी तरह रसायन मुक्त बनाने की दिशा में बड़ी पहल की जा रही है। आत्मा परि

किन्नौर में केमिकल फ्री सेब की खेती: 647 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती, 27 किसानों ने अपनाया नया मॉडल

किन्नौर जिले में केमिकल फ्री सेब की खेती का नया मॉडल तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इस क्षेत्र में 647 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की गई है, जिसमे 27 किसानों ने इस नये मॉडल को अपनाया है। यह पहल केवल किसानों के लिए फायदेमंद नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति भी एक सकारात्मक कदम है।

प्राकृतिक खेती का महत्व

प्राकृतिक खेती एक ऐसा कृषि पद्धति है, जिसका मंतव्य किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त करना है। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है बल्कि खाद्य सुरक्षा भी बढ़ती है। किन्नौर जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में यह पद्धति विशेष फायदेमंद है क्योंकि यहाँ की भूमि उर्वर और जैविक है।

किन्नौर में खेती में बदलाव

किसानों ने इस नए मॉडल को अपनाने के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया, जिसमें उन्हें प्राकृतिक खेती के लाभ और विधियों के बारे में बताया गया। इस खेती की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें पर्यावरण अनुकूलता को प्राथमिकता दी जाती है, और इससे किसानों को अधिक प्राकृतिक और स्वस्थ फसलें प्राप्त होती हैं।

किसानों की सफलता की कहानी

इन 27 किसानों ने अपने अनुशासन और मेहनत के साथ साबित किया है कि जब सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो सफलता अवश्य मिलती है। उनका अनुभव यह दर्शाता है कि केमिकल फ्री तकनीक अपनाने से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि उनके फसलों में भी गुणवत्ता वृद्धि हुई है।

भविष्य की संभावनाएँ

यह नई पहल न केवल किन्नौर के किसानों के लिए एक नई दिशा है, बल्कि इसके साथ युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करने का कार्य कर रही है। अगर यह मॉडल सफल रहता है, तो अन्य क्षेत्रों में भी इसे अपनाया जा सकता है।

सारांश में, किन्नौर में केमिकल फ्री सेब की खेती एक सफलता की कहानी है जो पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के जीवन में बदलाव लाने वाली है। इसके परिणाम आने वाले समय में कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

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