किसानों ने कौशाम्बी में निकाला विरोध मार्च:कृषि कानूनों की गारंटी समेत कई मांगों को लेकर एडीएम को सौंपा ज्ञापन
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) ने कौशाम्बी में कृषि कानूनों की गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन किया। शुक्रवार दोपहर को मंझनपुर जिला पंचायत परिसर में किसानों की बैठक हुई। जिलाध्यक्ष चंदू तिवारी और मोहम्मद शाहिद की अध्यक्षता में हुई बैठक में किसान हितों पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक के बाद किसानों ने नारेबाजी के साथ कलेक्ट्रेट तक मार्च निकाला। किसानों ने जिलाधिकारी मधुसूदन हुल्गी से मुलाकात कर अपना विरोध दर्ज कराया। इसके बाद अतिरिक्त मजिस्ट्रेट प्रबुद्ध सिंह को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में किसान हित से जुड़े विभिन्न मुद्दों को शामिल किया गया।

किसानों ने कौशाम्बी में निकाला विरोध मार्च
कौशाम्बी में किसानों ने हाल ही में एक विशाल विरोध मार्च निकाला, जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों की गारंटी सहित कई महत्वपूर्ण मांगों को लेकर एडीएम को ज्ञापन सौंपा। यह मार्च किसानों के अधिकारों और उनकी मेहनत की सुरक्षा के लिए आयोजित किया गया था। किसानों का दावा है कि नए कृषि कानूनों के कारण उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की आवाज
विरोध मार्च में शामिल किसानों ने एकजुटता दिखाई और अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि कानूनों के निरसन की मांग की जा रही है और इसके साथ ही कई अन्य मुद्दों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। उनका मानना है कि बिना उनकी सहमति के ऐसे कानून लागू करना न सिर्फ गलत है, बल्कि यह उनकी आजीविका पर भी संकट बना सकता है।
ज्ञापन में शामिल मांगें
एडीएम को सौंपे गए ज्ञापन में किसानों ने निम्नलिखित मांगें रखी:
- कृषि कानूनों की गारंटी और संशोधन की मांग।
- किसानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना।
- किसानों को ऋण और अन्य वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना।
किसानों का कहना है कि अगर उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया, तो वे आगे भी विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। यह आंदोलन एक सशक्त संदेश है कि किसान अपने हक के लिए कभी पीछे नहीं हटेंगे।
समर्थन का दायरा
किसान संगठनों ने इस विरोध को समर्थन देने के लिए विभिन्न सामाजिक न्याय संगठनों और राजनीतिक दलों का भी सहयोग लिया। इस समर्थन से किसानों को अपने आंदोलन की मजबूती का एहसास हुआ। यह एक बड़ा संकेत है कि यदि किसानों की आवाज को अनसुना किया गया, तो इसका असर न केवल कृषि क्षेत्र, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
यह प्रदर्शन कौशाम्बी के किसानों की सामूहिक शक्ति और एकता का प्रतीक है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि उनकी मांगों का ध्यान रखा जाए और उचित कदम उठाए जाएं। ऐसे आंदोलनों से यह स्पष्ट होता है कि किसान अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए तत्पर हैं।
इस प्रकार का विरोध प्रदर्शन न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि यह किसानों की जिंदगी को प्रभावित करने वाला एक सामाजिक मुद्दा भी है। ध्यान देने योग्य है कि किसान देश की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा हैं और उनके साथ अगर अन्याय होता है, तो उसके दुष्परिणाम समाज पर भी पड़ सकते हैं।
किसानों की यह एकजुटता दर्शाती है कि जब तक उनकी मांगों का समाधान नहीं किया जाएगा, तब तक वे अपने हक के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।
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