क्रिकेटर के कोच ने हड़पे 8.10 लाख रुपए हड़पे:अडंर 19 खिलवाने को लिए थे रुपए, सलेक्शन नहीं हुआ, रुपए वापस मांगने पर धमकाया
कानपुर में एक टेलेंटेड क्रिकेटर के परिवार से देहरादून के कोच और एम्पायर ने अंडर 19 खिलाने के नाम पर 8.10 लाख रुपए हड़प लिए। पीड़ित परिवार ने जब एफआईआर दर्ज कराने का प्रयास किया तो पुलिस ने सुना नहीं। इतना ही नहीं आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायती प्रार्थना पत्र देने पर दरोगा ने परिवार को भ्रमित कर निस्तारण की रिपोर्ट लगा दी। इसके बाद जब एडीसीपी साउथ के संज्ञान में मामला आया तब हनुमंत विहार थाने में आरोपी कोच के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस के मुताबिक मामले में जांचकर कार्रवाई की जाएगी। योगेन्द्र विहार निवासी अंशु तिवारी सेल्समैन हैं। उनका बेटा क्षितिज देहरादून में रामराज अकादमी में तीन साल से रहकर क्रिकेट खेलता था। उसी अकादमी में मुजफ्फरनगर बुढ़ाना जिला के हरिया खेड़ा गांव निवासी आदित्य सिंह कोच कर रहा है। क्षितिज की मां सरस तिवारी के मुताबिक कोच ने बेटे से कहा था कि 8.10 लाख रुपए अपने घर से दिला दो तो अंडर 19 क्रिकेट में खिलवा देंगे। सरस के मुताबिक इसके बाद क्रिकेट खेलते समय उनके बेटे के पसलियों में चोट आ गई। जिसके कारण उसे घर वापस लौटना पड़ा। यहां रहकर वो इलाज कराने लगा। इसी दौरान उसके कोच ने फोन करके 8.10 लाख रुपए का प्रस्ताव रखा और इस बार कहा कि रुपए दे दो तो क्षितिज को एमपी अंडर 19 से खिलवा देंगे। कोच ने परिवार को यह भी समझाया कि एक बार अंडर 19 में खेलने के बाद स्पोर्ट्स कोटे में उसकी सरकारी नौकरी लग जाएगी। उसके झांसे में आकर 6 जून से 14 अगस्त के बीच में परिवार ने 8.10 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। ये रुपये कोच ने अपने अलावा साथी देव सिंह, शिवम सिंह और अभय राज सिंह के खातों में मंगाए थे। कुछ दिन बाद एमपी टीम की सूची जारी हो गई लेकिन बेटे का नाम नहीं आया तो रुपये वापस मांगे लेकिन शातिरों ने देने से इन्कार कर धमकाना शुरु कर दिया। दरोगा ने भ्रमित कर निस्तारण रिपोर्ट में ले लिए हस्ताक्षर सरस का आरोप है कि उसने कोच व अन्य के खिलाफ 19 जनवरी को हनुमंत विहार थाने में प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। आईजीआरएस पर शिकायत की तो हनुमंत विहार चौकी प्रभारी शिवबीर सिंह ने 8 मार्च को धोखे से लिखवा लिया कि वह कोई कार्रवाई नहीं चाहती हैं। उसके बाद उन्होंने कई कोशिश की लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई। तब जाकर रिपोर्ट दर्ज हुई। एडीसीपी महेश कुमार ने बताया कि आरोपों की जांच की जा रही है। रिपोर्ट दर्ज करने में क्यों लापरवाही हुई। इसकी भी जांच कराई जाएगी।

क्रिकेटर के कोच ने हड़पे 8.10 लाख रुपए: अंडर 19 खिलवाने को लिए थे रुपए, सलेक्शन नहीं हुआ, रुपए वापस मांगने पर धमकाया
हाल ही में खेल जगत में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक क्रिकेट कोच पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अंडर 19 की टीम में चयन करवाने के नाम पर युवाओं से 8.10 लाख रुपए हड़पे हैं। यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब कोच ने पैसा वापस मांगने पर खिलाड़ियों को धमकाना शुरू कर दिया। यह घटना न केवल खेल की दुनिया में चर्चा का विषय बनी है, बल्कि यह उन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है जो अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं।
कोच की धोखाधड़ी की कहानी
इस मामले में युवा खिलाड़ियों को कोच ने लगभग 8.10 लाख रुपए का भुगतान करने के लिए कहा था, ताकि उन्हें अंडर 19 के लिए चयनित किया जा सके। लेकिन जब वह चयनित नहीं हुए, तो उन्होंने कोच से पैसे वापस मांगने का फैसला किया। कोच की प्रतिक्रिया बेहद नकारात्मक रही। उन्होंने खिलाड़ियों को धमकाते हुए कहा कि अगर उन्होंने पैसे वापस माँगे, तो उनकी करियर की संभावनाएँ समाप्त कर दी जाएंगी। यह ऐसे उपाय हैं जो ना केवल अनैतिक हैं बल्कि खेल के नियमों के खिलाफ भी हैं।
क्या कहती है युवा क्रिकेट बिरादरी?
यह घटना केवल एक निजी समस्या नहीं है, बल्कि यह खेल जगत में एक बड़े मुद्दे की ओर इशारा करती है। ऐसे मामलों में खिलाड़ियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है। क्रिकेट प्रशासन को भी इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो। खिलाड़ी यदि ऐसे कोचों के खिलाफ सामने आएँगे, तो यह समस्या कम हो सकती है।
खिलाड़ियों की सुरक्षा का महत्वपूर्ण मुद्दा
वैसे, यह घटना खिलाड़ियों की सुरक्षा और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। जब युवा खिलाड़ी ऐसे निर्णय लेते हैं, तो उनके मन में भय और चिंता का माहौल उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा है कि अपने करियर के लिए गंभीरता से सोचना बेहद जरूरी है और उनके लिए किसी अनजान व्यक्ति पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है।
इस प्रकार की घटनाओं से न केवल खिलाड़ियों की आत्मविश्वास को ठेस पहुँचती है, बल्कि उनसे सम्बंधित संस्थाएँ भी इस पर ध्यान देने में विफल रहती हैं। खिलाड़ियों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और ऐसे आचरण को सहन नहीं करना चाहिए।
आइए इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करें और युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करें कि वे इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएँ।
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