गडकरी बोले- राजनीति में यूज एंड थ्रो चलता है:नेताओं की वफादारी उस पार्टी से होती है, जो सत्ता में; विचारों का खालीपन बड़ी समस्या

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीति पर उनकी राय अच्छी नहीं है। यहां 'यूज एंड थ्रो' चलता है। गडकरी ने उन लोगों पर सवाल खड़ा किया जो सत्ता में आने वाली पार्टी में शामिल हो जाते हैं। उन्होंने कहा- कई लोग सत्ता में आने वाली पार्टी की ओर दौड़ पड़ते हैं। ऐसे में विचार और वफादारी आखिर कहां जाती है? हमारे देश में विचारधारा कोई समस्या नहीं है, विचारों का खालीपन समस्या है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर देश को आगे बढ़ना है तो पहले फैमिली यूनिट का विकास करना होगा। गडकरी शनिवार को पुणे में पहुंचे थे। वे यहां मराठा सेवा संघ के आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। गडकरी ने सुनाया किस्सा एक व्यक्ति मेरे पास आया और कहा कि वो देश के लिए अपनी जान देना चाहता है। उस समय उस व्यक्ति का व्यापार फेल चल रहा था, वो दिवालिया हो रहा था। उनके परिवार में पत्नी और बच्चे भी थे। मैंने उससे कहा कि पहले घर का ख्याल रखो और फिर देश का। 3 दिसंबर 2024: गडकरी ने कहा था- राजनीति अतृप्त आत्माओं का महासागर 3 दिसंबर 2024 को गडकरी ने कहा था कि राजनीति अतृप्त आत्माओं का एक सागर है, जहां हर व्यक्ति उदास है और अपनी मौजूदा पोजिशन से ऊंची पोस्ट की उम्मीद लगाए बैठा है। उन्होंने कहा था कि जिंदगी समझौतों, मजबूरियों, सीमाओं और विरोधाभासों का खेल है। इंसान चाहे परिवार के बीच हो, समाज में हो, राजनीति में या कॉर्पोरेट जीवन में, जिंदगी चुनौतियों और परेशानियों से भरी रहती है। व्यक्ति को इनका सामना करने के लिए ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ सीखना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें... राजनीति को लेकर नितिन गडकरी के पिछले बयान पढ़ें... 1. भाजपा के पास अच्छी पैदावार देने वाली फसलें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच 10 नवंबर 2024 को नितिन गडकरी ने कहा कि भाजपा का तेजी से विस्तार हो रहा है। जैसे-जैसे फसल बढ़ती है, उसके साथ बीमारियां भी बढ़ती हैं। भाजपा के पास बहुत सारी फसलें हैं, जो अच्छी पैदावार देती हैं, लेकिन कुछ बीमारियां भी लाती हैं। इसलिए हमें ऐसी बीमार फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करना होगा। 2. प्यार और राजनीति में सब जायज है 10 नवंबर को ही नितिन गडकरी ने कहा था कि प्यार और राजनीति में सब कुछ जायज है। कभी-कभी यह लोगों के लिए कारगर साबित होता है, तो कभी-कभी प्रतिक्रियाएं भी होती हैं। दरअसल, उनसे सवाल पूछा गया था कि शरद पवार की पार्टी तोड़कर अजित महायुति में आए हैं। इसे लेकर गडकरी ने कहा- शरद पवार ने मुख्यमंत्री रहते हुए सभी पार्टियों को तोड़ दिया। उन्होंने शिवसेना को तोड़ दिया और छगन भुजबल और अन्य नेताओं को बाहर निकाल दिया। लेकिन राजनीति में यह काफी आम बात है। यह सही है या गलत, यह अलग बात है। एक कहावत है- प्यार और राजनीति में सब कुछ जायज है। 3. सरकार विषकन्या जैसी होती है, जिसके साथ जाती है उसे डुबो देती है नितिन गडकरी ने 1 अक्टूबर 2024 को महाराष्‍ट्र के विदर्भ में निवेश की कमी पर बात करते हुए कहा, 'सब सरकार के भरोसे नहीं होना चाहिए। मेरा तो मत है किसी भी पार्टी की सरकार हो, सरकार को दूर रखो... सरकार विषकन्या होती है... जिसके साथ जाती है, उसको डुबाेती है...' 4. राजा ऐसा हो जो आलोचना झेल सके नितिन गडकरी ने 20 सितंबर को पुणे में MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि राजा (शासक) को ऐसा होना चाहिए कि कोई उसके खिलाफ बात करे, तो उसे बर्दाश्त करे। आलोचनाओं का आत्मचिंतन करे। यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। 5. मुझे विपक्ष ने पीएम पद के लिए समर्थन देने की पेशकश की थी, मैंने मना कर दिया गडकरी ने 14 सितंबर को कहा था कि एक बार एक नेता ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देने की पेशकश की थी। हालांकि गडकरी ने यह ऑफर यह कहकर ठुकरा दिया कि उनकी ऐसी कोई लालसा नहीं है। ............................................... नितिन गडकरी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... गडकरी बोले- जो मोदी से डरते हैं, मेरे कंधे पर बंदूक रखकर चलाते हैं 2 मार्च, 2024 को शाम करीब 6:30 बजे BJP ने लोकसभा चुनाव के लिए 195 कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट जारी की थी। इसमें PM मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत 34 सेंट्रल मिनिस्टर्स के नाम थे। BJP की टॉप लीडरशिप में शामिल रहे नितिन गडकरी का नाम लिस्ट से गायब था। पूरी खबर पढ़ें...

Jan 4, 2025 - 23:00
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गडकरी बोले- राजनीति में यूज एंड थ्रो चलता है:नेताओं की वफादारी उस पार्टी से होती है, जो सत्ता में; विचारों का खालीपन बड़ी समस्या
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीति पर उनकी राय अच्छी नहीं है। यहां 'यूज एंड थ्रो' चलता ह

गडकरी बोले- राजनीति में यूज एंड थ्रो चलता है

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नेताओं की वफादारी क्या है?

भारत के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में राजनीति में वफादारी के मुद्दे पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आजकल के नेताओं की वफादारी केवल उस पार्टी के प्रति होती है, जो सत्ता में होती है। इससे राजनीतिक वफादारी में कमी आ रही है, और यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है। गडकरी ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक परिदृश्य में 'यूज एंड थ्रो' की सोच प्रचलित हो गई है, जिससे नेताओं के मूल्यों और सिद्धांतों की गिरावट आई है।

विचारों का खालीपन

गडकरी ने यह भी बताया कि विचारों का खालीपन राजनीति की एक बड़ी समस्या बन गया है। आज के नेता न तो अपने विचारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं, न ही वे अपने कार्यों में स्थिरता दिखाते हैं। इस स्थिति का अर्थ यह है कि राजनीतिक विमर्श का स्तर घटता जा रहा है, जिससे आम नागरिकों का राजनीति में विश्वास कम हो रहा है। उन्होंने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि हर नेता को अपने विचारों और सिद्धांतों पर दृढ़ रहना चाहिए, न कि केवल सत्ता के स्वामी बनने के लिए किसी एक विचारधारा का अनुसरण करना चाहिए।

समाज पर प्रभाव

गडकरी के इस बयान ने राजनीतिक समाज में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या वास्तव में आज की राजनीति में विचार और सिद्धांतों का स्थान केवल स्वार्थ के लिए खो गया है? इससे निश्चित रूप से समाज में असंतोष और अविश्वास की भावना पैदा हो रही है। मंत्री गडकरी का कहना है कि नेताओं को अपनी जिम्मेदारी निभाने और जनता के कल्याण के लिए वास्तविक सोच के साथ काम करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

गडकरी के विचार भारतीय राजनीति की वर्तमान स्थिति को दर्शाते हैं, जो कि नेतृत्व की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न उठाते हैं। क्या नेता केवल सत्ता के लिए चुनाव लड़ते हैं, या वे वास्तव में अपने विचारों और सिद्धांतों का पालन करते हैं? यह प्रश्न हर भारतीय नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है। हमें चाहिए कि हम सोच-समझकर और जागरूकता के साथ चुनाव करें, ताकि हमारे नेता हमारे सामूहिक हितों का ध्यान रख सकें।

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