गोरखपुर में फर्जी डॉक्टर- दलालों का गैंग पकड़ाया:मरीजों को जबरन भर्ती कर वसूली करते थे पैसे, आरोपी अस्पताल संचालक समेत कई गिरफ्तार
गोरखपुर में देवरिया के सलेमपुर से इलाज कराने आए परिजनों को धमकी देने और मरीजों को जबरन भर्ती कराने के मामले में अर्पित हॉस्पिटल के संचालक डॉ. प्रवीण सिंह को गुलरिहा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी पर इलाज के नाम पर परिजनों से जबरन पैसे वसूलने और भुगतान में देरी करने पर बच्चे को गलत इंजेक्शन देकर जान से मारने की धमकी देने का आरोप है। पुलिस ने मोबाइल से मरीजों की खरीद-फरोख्त के साक्ष्य भी बरामद किए हैं। आरोपी को सहजनवां के डोहरिया कला से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। फर्जी डिग्री पर चला रहा था अस्पताल थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक, देवरिया के बरहज के बेलदार गांव निवासी प्रवीण सिंह ने पांच साल पहले मेडिकल कॉलेज के पास चिलुआताल क्षेत्र में अर्पित हॉस्पिटल खोला था। उसने बिहार के एक डॉक्टर की डिग्री पर अस्पताल का पंजीकरण कराया था। हॉस्पिटल का मैनेजर तुषार टेकड़ीवाल सरकारी अस्पतालों के मरीजों को दलालों के जरिए अपने अस्पताल में भर्ती कराता था। एंबुलेंस चालक और दलाल मिलकर करते थे खेल 17 जनवरी को देवरिया की लक्ष्मी देवी अपने देवरानी के बीमार बच्चे को 108 एंबुलेंस से बीआरडी मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंची थीं। वहां बाल रोग सेवा संस्थान के कर्मचारियों ने वेंटिलेटर न होने की बात कही। जैसे ही वे बाहर निकलीं, दलाल अमन गुप्ता ने एंबुलेंस चालक से सांठगांठ कर मरीज को अर्पित हॉस्पिटल भिजवा दिया। बाद में जब बच्चे की हालत नहीं सुधरी और परिजनों ने रेफर करने की बात कही, तो स्टाफ ने गलत इंजेक्शन लगाकर जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में परिजनों ने गुलरिहा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। गिरोह का खुलासा, कई गिरफ्तार जांच में सामने आया कि हॉस्पिटल के संचालक प्रवीण सिंह ने रूस से डॉक्टरी की पढ़ाई की थी, लेकिन भारत में मान्यता प्राप्त परीक्षा पास नहीं की, जिससे उसकी डिग्री अवैध थी। इसके बावजूद उसने बिहार के डॉक्टर साकेत सलीम के नाम पर हॉस्पिटल का पंजीकरण कराया और गैरकानूनी रूप से मरीजों का इलाज कर रहा था। पुलिस इस मामले में 108 एंबुलेंस चालक, ईएमटी, दलाल अमन गुप्ता और हॉस्पिटल के मैनेजर तुषार टेकड़ीवाल को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। संचालक के खिलाफ ठोस सबूत मिलने के बाद उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया। मरीजों की खरीद-फरोख्त से वसूलता था मोटी रकम जांच में यह भी सामने आया कि अर्पित हॉस्पिटल का संचालन पूरी तरह से अवैध तरीके से हो रहा था। मरीजों की ओपीडी न चलने से खर्च बढ़ने लगा, तो संचालक ने दलालों से संपर्क कर लिया। मेडिकल कॉलेज से मरीजों को बहला-फुसलाकर लाया जाता था और अस्पताल में भर्ती करने के बाद उनके परिजनों से इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी। संचालक ने 30 लाख रुपये का बैंक लोन भी लिया है। पुलिस अब इस खेल में शामिल अन्य निजी एंबुलेंस चालकों और दलालों की तलाश कर रही है। जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
गोरखपुर में फर्जी डॉक्टरों का खुलासा
हाल ही में गोरखपुर शहर में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति बढ़ती चिंताओं के बीच एक बड़ा स्कैंडल सामने आया है। पुलिस ने फर्जी डॉक्टरों और दलालों के एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो मरीजों को जबरन भर्ती कर उनसे बड़े पैमाने पर पैसे वसूलते थे। इस गिरोह में कई आरोपी शामिल हैं, जिनमें अस्पताल संचालक भी शामिल हैं।
क्या था गिरोह का modus operandi?
आरोपियों ने मरीजों को सख्ती से भर्ती करने और उन्हें अनावश्यक चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने का मंत्री बनाया। यह गिरोह गंभीर बीमारियों का बहाना बनाकर उन मरीजों से पैसे वसूलता था, जिन्हें वास्तविक चिकित्सा की आवश्यकता नहीं थी। ऐसी गतिविधियों ने कई निर्दोष मरीजों को मानसिक और आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
गिरफ्तारी और कार्रवाई
पुलिस ने कई दिन तक गुप्त रूप से जांच की और फिर इस गिरोह के सदस्यों को रंगे हाथों पकड़ लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में प्रमुख अस्पताल संचालक शामिल हैं, जो इस नेटवर्क को चलाने के लिए जिम्मेदार थे। इस कार्रवाई के बाद से स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की स्थिति ठीक करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
समुदाय की सुरक्षा
स्थानीय समुदाय ने पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों की कार्रवाई की सराहना की है। रोगियों को सुरक्षित और योग्य उपचार प्रदान करना स्वास्थ्य सेवाओं का मूल सिद्धांत है, और इस तरह के फर्जीवाड़े को लेकर जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। यह घटना इन फर्जी डॉक्टरों और दलालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए एक संकेत है।
भविष्य में सावधानी बरतने की आवश्यकता
इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए समुदाय को सतर्क रहना चाहिए। लोगों को यह समझना चाहिए कि किसी भी स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी जानकारी की सत्यता की पुष्टि करनी चाहिए। समाज में जागरूकता बढ़ाने और सही जानकारी साझा करने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य संगठनों का समर्थन आवश्यक है। Keywords: गोरखपुर, फर्जी डॉक्टर, दलालों का गैंग, अस्पताल संचालक, मरीजों की भर्ती, पैसे वसूली, स्वास्थ्य सेवा, पुलिस कार्रवाई, संगठित गिरोह, स्वास्थ्य विभाग, जागरूकता, फर्जीवाड़ा, समुदाय की सुरक्षा, रोगियों का इलाज, स्थानीय पुलिस रिपोर्ट, मानसिक स्वास्थ्य, चिकित्सा सेवाएं. For more updates, visit indiatwoday.com.
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