चीनी नागरिकों को चेतावनी- भारत-नेपाल बॉर्डर पर यात्रा से बचें:नेपाल के चीनी दूतावास ने कहा- भारत अवैध एंट्री करने वालों को अरेस्ट कर रहा
नेपाल स्थित चीनी दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए भारत-नेपाल बॉर्डर के पास ट्रैवल से बचने की चेतावनी जारी की है। यह चेतावनी भारत की तरफ से पिछले कुछ महीने में अवैध बॉर्डर पार करने वालों पर कार्रवाई के बाद दी गई है। शुक्रवार को जारी एक बयान में चीनी दूतावास ने कहा कि बार-बार चेतावनी के बावजूद कुछ चीनी ट्रैवलर्स बॉर्डर इलाके में जा रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें भारत में अवैध एंट्री के आरोप में हिरासत में लिया जा रहा है। अवैध रूप से भारत में एंट्री पर 2 से 8 जेल की सजा दूतावास ने बताया कि नेपाल और भारत के नागरिक अपने आइडेंटिटी कार्ड के साथ दोनों देशों की बॉर्डर में आ जा सकते सकते हैं, लेकिन यह नियम विदेशी नागरिकों पर लागू नहीं होता। विदेशियों को नेपाल के रास्ते भारत में एंट्री के लिए वीजा जरूरी है। दूतावास ने कहा कि जानबूझकर या अनजाने में अवैध तरीके से भारत में बॉर्डर पार करने पर गिरफ्तारी या मुकदमा हो सकता है। इसके लिए 2 से 8 साल जेल या जुर्माना हो सकता है, और जमानत का कोई विकल्प नहीं है। गुरुवार को दो चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया गुरुवार को बिहार में दो चीनी नागरिकों को भारत-नेपाल बॉर्डर पर वीडियो बनाने और सेल्फी लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया था कि उनके पास लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं थे। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में, चार चीनी नागरिकों को बिहार के रक्सौल में नेपाल बॉर्डर के रास्ते भारत में एंट्री करने की कोशिश करने पर हिरासत में लिया गया था। इनके पास भी भारत में एंट्री के लिए जरूरी दस्तावेज नहीं थे। पहलगाम हमले के बाद भारत ने बॉर्डर पर कड़ी निगरानी शुरू की पिछले हफ्ते भारत और नेपाल ने संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर तलाशी अभियान और गश्त की। यह कार्रवाई तब हुई जब नई दिल्ली को खुफिया जानकारी मिली कि पाकिस्तान से आए संदिग्ध आतंकवादी नेपाल में मौजूद हैं। भारत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से अपनी बॉर्डर को लेकर बहुत सतर्क है, जिसमें आतंकवादियों ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। नेपाल और भारत में लंबे वक्त सीमा विवाद नेपाल तीन दिशाओं से भारत से घिरा है। पूरब, पश्चिम और दक्षिण। भारत-नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी बॉर्डर है। भारत-नेपाल के बीच सीमा को लेकर सालों से विवाद भारत और नेपाल के सीमाओं को लेकर सालों से विवाद है। आजादी के बाद 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद भी नेपाल ने लिपुलेख पर दावा ठोंका था। 1981 में दोनों देशों की सीमाएं तय करने के लिए एक संयुक्त दल बना था, जिसने 98% सीमा तय भी कर ली थी। सन् 2000 में नेपाल के प्रधानमंत्री गिरिजाप्रसाद कोइराला ने भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से इस विवाद को बातचीत से सुलझाने का आग्रह भी किया था। 2015 में जब भारत ने चीन के साथ लिपुलेख रास्ते से व्यापार मार्ग का समझौता किया था, तब भी नेपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इस समझौते को करने से पहले भारत और चीन को उससे भी पूछना चाहिए था। ---------------------------------------- यह खबर भी पढ़ें... चीन ने अंतरराष्ट्रीय विवाद सुलझाने के लिए नया संगठन बनाया:इंटरनेशनल कोर्ट का विकल्प माना जा रहा; PAK-क्यूबा समेत 33 देश मेंबर बने चीन ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय विवाद सुलझाने के लिए एक नया संगठन बनाया है। इसका नाम इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर मीडिएशन (IOMed) है। इसे इंटरनेशनल कोर्ट (ICJ) और परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन जैसे संस्थानों के विकल्प के तौर पर पेश किया गया है। यहां पढ़ें पूरी खबर...

चीनी नागरिकों को चेतावनी- भारत-नेपाल बॉर्डर पर यात्रा से बचें: नेपाल के चीनी दूतावास ने कहा- भारत अवैध एंट्री करने वालों को अरेस्ट कर रहा
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नेपाल स्थित चीनी दूतावास ने अपने नागरिकों को भारत-नेपाल बॉर्डर के आसपास यात्रा से बचने की चेतावनी दी है। यह चेतावनी उस समय दी गई है जब भारत ने पिछले कुछ महीनों में अवैध बॉर्डर पार करने वाले नागरिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। दूतावास ने यह बयान शुक्रवार को जारी किया, जिसमें उल्लेख किया गया कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद कुछ चीनी ट्रैवलर्स बॉर्डर इलाके में जा रहे हैं, जिससे वे भारत में अवैध एंट्री के आरोप में हिरासत में लिए जा रहे हैं।
अवैध एंट्री पर गंभीर चेतावनी
चीनी दूतावास ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि नेपाल और भारत के नागरिक अपने राष्ट्रीय पहचान पत्र के माध्यम से बॉर्डर पार कर सकते हैं, लेकिन यह प्रावधान विदेशी नागरिकों पर लागू नहीं होता। जिन विदेशियों को भारत में प्रवेश करना है, उन्हें नेपाल के रास्ते वीजा की आवश्यकता होती है। दूतावास ने चेतावनी दी है कि जानबूझकर या अनजाने में अवैध तरीके से भारत की सीमा पार करने पर गिरफ्तारी, मुकदमा, और 2 से 8 वर्ष तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, उनके लिए जमानत का कोई विकल्प भी नहीं है।
हालिया गिरफ्तारी की घटनाएं
गुरुवार को बिहार में दो चीनी नागरिकों को भारत-नेपाल बॉर्डर पर बिना वैध दस्तावेजों के वीडियो बनाने और सेल्फी लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इससे पहले, इस महीने की शुरुआत में, चार अन्य चीनी नागरिकों को रक्सौल में अवैध प्रवेश के प्रयास के दौरान हिरासत में लिया गया था। इन घटनाओं के बाद भारत ने सीमा पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है।
भारत-नेपाल बॉर्डर के संदर्भ में सुरक्षा बढ़ाई गई
बिहार में गिरफ्तार किए गए चीनी नागरिकों की घटनाओं के बाद, भारत ने इस क्षेत्र में जमीनी सुरक्षा को और कड़ा करने का निर्णय लिया है। पहलगाम हमले के बाद, जिसमें कई नागरिकों की जान गई थी, भारत ने बॉर्डर पर अपने सुरक्षा इंतजामों को सख्त कर दिया है। हाल ही में, भारत और नेपाल ने संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर तलाशी अभियान और गश्त शुरू की है, इसके पीछे पाकिस्तान से संभावित आतंकवादियों के नेपाल में मौजूद होने की खुफिया जानकारी है।
भारत-नेपाल सीमा विवाद
भारत-नेपाल सीमा पर लंबा विवाद चला आ रहा है। नेपाल तीन दिशाओं से भारत से घिरा है, जहां भारत-नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी सीमा है। यह विवाद ने 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद भी तूल पकड़ लिया था। भारत ने चीन के साथ लिपुलेख मार्ग से व्यापार समझौता किया था, इस पर नेपाल ने भी किया था, जहां अन्य देशों को भी इसमें शामिल करने की आवश्यकता बताई गई थी।
इन हालातों में जहां सुरक्षा और नियंत्रण को बढ़ावा दिया जा रहा है, चीनी नागरिकों को स्पष्ट रूप से अपनी यात्रा योजनाओं की समीक्षा करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
भारत-नेपाल बॉर्डर पर यात्रा करने वाले चीन के नागरिकों के लिए यह चेतावनी महत्वपूर्ण है। यह न सिर्फ भारत में अवैध प्रवेश की समस्याओं से जुड़ा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में एक नागरिक के रूप में, हर कोई अपने अधिकारों और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ही यात्रा योजना बनाना चाहिए। कानून का पालन कर भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सकता है।
यह सुनिश्चित करते हुए, हम सभी को चाहिए कि हम नहीं जानते हुए भी कानून का उल्लंघन न करें। भारत-नेपाल सीमा और संबंधित मुद्दों पर निरंतर चेता रहना जरूरी है।
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