ट्रम्प फिलिस्तीनी लोगों को गाजा से शिफ्ट करना चाहते हैं:कहा- उन्हें अरब देशों में बसाना चाहिए; हमास बोला- हमें मंजूर नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को गाजा से फिलिस्तीनी लोगों को शिफ्ट करके मिस्र, जॉर्डन और अरब देशों में बसाने का प्रस्ताव दिया। रॉयटर्स के मुताबिक ट्रम्प ने कहा कि गाजा में लगभग सब कुछ बर्बाद हो चुका है और लोग वहां मर रहे हैं। इसलिए मैं कुछ अरब देशों के साथ मिलकर गाजा के लोगों को किसी और जगह पर बसाना चाहता हूं, जहां वो शांति से रह सकें। ट्रम्प ने बताया कि इसे लेकर उन्होंने जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला से इसे लेकर फोन पर बात की है। इसके साथ ही रविवार को मिस्र के राष्ट्रपति से भी इसे लेकर अपील करेंगे। ट्रम्प ने इसके बारे में और ज्यादा डिटेल जानकारी नहीं दी फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन हमास ने ट्रम्प के बयान पर कहा हम इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे। इसके पीछे जो भी इरादा हो। अगर वो सोचते हैं कि फिलिस्तीनी लोगों को यहां से जबरन हटा देंगे तो यह नामुमकिन है। 23 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा इजराइली वित्त मंत्री बेजेलेल स्मोट्रिच ने ट्रम्प के प्रस्ताव का स्वागत किया। उन्होंने कहा गाजा के लोगों को एक बेहतर जीवन शुरू करने के लिए अन्य जगह खोजने में मदद करना एक बढ़िया विचार है। लीक से हटकर सोचने से ही शांति और सुरक्षा का समाधान निकलेगा गाजा में 15 महीने से इजराइल और हमास के बीच जारी लड़ाई की वजह से 23 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा। जबकि लगभग 60% इमारतें तबाह हो गई हैं। इन्हें फिर से बनाने में कई दशक लग सकते हैं। गाजा पट्टी में हमारे लोगों बिना अपनी जमीन छोड़े 15 महीने तक मौत और विनाश को सहन किया। वे किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे। हमारे लोगों ने जैसे दशकों से किसी और जगह बसाने की योजनाओं को नाकाम किया है वो आगे भी यही करेंगे। जॉर्डन में 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी शरणार्थी इससे पहले जो बाइडेन के राष्ट्रपति रहते तत्कालीन विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका गाजा से फिलिस्तीनियों के बलपूर्वक विस्थापन का विरोध करता है। उन पर गाजा छोड़ने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता, न ही डाला जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक जॉर्डन में 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी शरणार्थी रहते हैं। इनमें से ज्यादातर को जॉर्डन की परमानेंट नागरिकता दे दी गई है। वहीं, 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से हजारों फिलिस्तीनी मिस्र भाग गए हैं, लेकिन उन्हें वहां शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। हमास ने अब तक 7 इजराइली बंधकों को रिहा किया 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजराइल में घुसकर 1200 लोगों को मार डाला और 251 को बंधक बना लिया था। हमास ने अपने इस ऑपरेशन को 'अल-अक्सा फ्लड' नाम दिया था। इसके जवाब में इजराइल ने कुछ घंटे बाद ही हमास के खिलाफ गाजा में मिलिट्री ऑपरेशन शुरू किया था। इजराइल की सेना ने हमास के खिलाफ 'सोर्ड्स ऑफ आयरन' ऑपरेशन नाम दिया था। 15 महीने तक चले संघर्ष के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले यानी 19 जनवरी को दोनों पक्षों में समझौता हो गया था। जिसके बाद से हमास ने अब तक 7 इजराइली बंधकों को रिहा कर दिया है। -------------------------------------- यह खबर भी पढ़ें...बो इजराइल को मिलेंगे 900KG के अमेरिकी बम:ट्रम्प ने सप्लाई से रोक हटाई; बाइडेन ने पिछले साल बैन लगाया था अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल को 900 किलो (2000 पाउंड) वाले भारी बमों की सप्लाई पर लगी रोक को हटा दिया है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइल-हमास जंग में मरने वाले लोगों की संख्या को कम करने के मकसद से इन बमों की सप्लाई पर रोक लगाई थी। यहां पढ़ें पूरी खबर...

ट्रम्प का फिलिस्तीनी लोगों को गाजा से शिफ्ट करने का प्रस्ताव
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि फिलिस्तीनी समुदाय को गाजा से स्थानांतरित करके अरब देशों में बसाना चाहिए। यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब इजरायल और गाजा में तनाव बढ़ा हुआ है। ट्रम्प का मानना है कि इस प्रकार के स्थानांतरण से क्षेत्र में शांति स्थापन में मदद मिल सकती है।
पलटे हालात पर दृष्टि
गाजा में वर्तमान स्थिति बहुत नाजुक है और इस प्रकार की टिप्पणियों से स्थिति और भी खराब हो सकती है। ट्रम्प के इस सुझाव पर फिलिस्तीनी समूह हमास ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हमास ने कहा है कि यह उनकी मूलभूत मानव حقوق का उल्लंघन है और ऐसे प्रस्ताव को किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
यदि ट्रम्प के इस प्रस्ताव को लागू किया गया, तो इसका गहरा आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पड़ सकता है। अरब देशों में फिलिस्तीनियों को बसाने के लिए कई चुनौतियाँ मौजूद हैं, जैसे कि आवास, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान। ऐसे में यह देखना होगा कि क्या यह प्रपोजल वास्तव में किसी समाधान का हिस्सा है या फिर केवल राजनीतिक बयानबाजी।
भविष्य के लिए संकेत
ट्रम्प के इस बयान ने एक बार फिर इस मुद्दे को दुनिया के सामने उजागर किया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मामले पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी प्रकार का निर्णय अमानवीय न हो। क्योंकि गाजा में रहने वाले नागरिकों के लिए यह एक गंभीर मुद्दा है।
इस सभी के बीच, फिलिस्तीनी लोगों का आत्मनिर्णय का अधिकार भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है। कोई भी समाधान तभी प्रभावी हो सकता है जब सभी पक्षों की बुनियादी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए।
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