छिबरामऊ तहसील में एसडीएम और वकीलों में विवाद:एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज, वकीलों ने किया कार्य बहिष्कार

कन्नौज जिले की छिबरामऊ तहसील में एसडीएम अविनाश कुमार गौतम और वकीलों के बीच गंभीर विवाद सामने आया है। एसडीएम ने छिबरामऊ बार एसोसिएशन महासचिव ललित प्रताप सिंह और शिवम शुक्ला समेत कई अधिवक्ताओं के खिलाफ कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई है। एसडीएम ने अपनी शिकायत में कहा कि वकीलों ने उनके साथ अभद्रता की। उन्होंने आरोप लगाया कि वकीलों ने उनका हाथ पकड़कर पत्रावलियां छीनने का प्रयास किया। साथ ही गर्दन और बाल पकड़कर गिराने की कोशिश की। एसडीएम ने वकीलों पर जातिसूचक गालियां देने का भी आरोप लगाया है। पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। इस कार्रवाई के विरोध में शुक्रवार को छिबरामऊ तहसील के वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर दिया। वकीलों ने एसडीएम के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वकीलों की मांग है कि एसडीएम द्वारा लगाए गए कथित झूठे आरोपों के आधार पर दर्ज एफआईआर वापस ली जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो वे धरना-प्रदर्शन और अनशन करने को मजबूर होंगे। इस विवाद से वादकारी परेशान हैं।

Mar 28, 2025 - 17:59
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छिबरामऊ तहसील में एसडीएम और वकीलों में विवाद:एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज, वकीलों ने किया कार्य बहिष्कार
कन्नौज जिले की छिबरामऊ तहसील में एसडीएम अविनाश कुमार गौतम और वकीलों के बीच गंभीर विवाद सामने आया

छिबरामऊ तहसील में एसडीएम और वकीलों में विवाद

छिबरामऊ तहसील में हाल ही में स्थानीय एसडीएम और वकीलों के बीच एक गंभीर विवाद उत्पन्न हुआ है। यह विवाद एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज की गई एक एफआईआर के कारण हुआ है। इस मामले ने न केवल कानूनी प्रणाली को प्रभावित किया है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और वकील समुदाय के बीच तनाव भी बढ़ा दिया है।

विवाद का विवरण

विवाद की शुरुआत तब हुई जब एसडीएम ने कुछ वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की, जिससे वकीलों में नाराजगी फैल गई। वकीलों ने एसडीएम पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। इसके बाद, वकीलों ने कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया, जिससे न्यायिक कार्यों में ठहराव आ गया। इस स्थिति में, स्थानीय नागरिक भी प्रभावित हुए हैं और न्याय के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं।

सरकारी प्रतिक्रिया

राज्य सरकार ने इस विवाद को गंभीरता से लिया है और उच्च अधिकारियों की एक टीम मामले की जांच के लिए भेजी गई है। अधिकारियों का कहना है कि वे स्थिति का सही आकलन करेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे। इस दौरान, वकीलों का कार्य बहिष्कार जारी है और वे मामले की निष्पक्षता की मांग कर रहे हैं।

एससी-एसटी एक्ट का महत्व

भारत में एससी-एसटी एक्ट का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को सुनिश्चित करना है। यह एक्ट उन समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है जो ऐतिहासिक रूप से पिछड़े रहे हैं। इसलिए, इस तरह के विवाद इस एक्ट के कार्यान्वयन को प्रभावित कर सकते हैं, जिसका समाज पर व्यापक असर पड़ता है।

स्थानीय लोगों की राय

स्थानीय नागरिकों का मानना है कि इस विवाद का समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए। वे चाहते हैं कि प्रशासन और वकीलों के बीच संवाद स्थापित किया जाए ताकि न्यायपालिका में पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, वे समझते हैं कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

समर्थन या विरोध में कई समूह सोशल मीडिया पर अपनी आवाज उठा रहे हैं। इस विवाद ने मानवाधिकारों और कानूनी प्रणाली के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाई है।

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