नोएडा के गांव में किया जा रहा सैटेलाइट इमेज सर्वे:3 गांवों में सर्वे का काम लगभग पूरा, किसान लगातार कर रहे थे मांग

किसानों की मांग के अनुसार नोएडा प्राधिकरण ने गांवों में आबादी निपटारा के लिए सर्वे शुरू कर दी है। नोएडा के याकूबपुर व बादौली गांव में सर्वे की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। गेझा गांव पहले भी सर्वे हो चुका है, एक बार फिर किया जा रहा है। गांवों में प्राधिकरण के भू-लेख विभाग की टीम सर्वे कर रही है। गांव में जिन भी किसानों के नाम पर अतिक्रमण की आपत्ति दर्ज है उनकी उस जगह को देखा जा रहा है। अतिक्रमण होने पर नहीं मिलता मुआवजा किसानों सालों से आबादी निपटारा करने की मांग प्राधिकरण से करते आ रहे हैं। अतिक्रमण होने के कारण प्राधिकरण किसानों को दिए जाने वाले 5 प्रतिशत भूखंड व मुआवजे की प्रक्रिया को रोक देता है। वहीं किसानों का तर्क होता है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं कर रखा है। प्राधिकरण जिसे अतिक्रमण बता रहा है वह उनकी सालों पुरानी आबादी है। प्राधिकरण आबादी की जमीन परिवार में प्रति नाबालिग के लिए प्रति 450 वर्ग मीटर छोड़ता है। साल 2021 में यह नियम भी बना था। सैटेलाइट इमेज से किया जा रहा सर्वे अगर अविवाहित बेटी घर में है तो उसके नाम पर भी 450 वर्ग मीटर जमीन प्राधिकरण छोड़ेगा। इन मानक के आधार पर किसान के कब्जे की जमीन देखी जाएगी और फिर निपटारा होगा। प्राधिकरण 30 जून 2011 को डेडलाइन मानकर गांवों में आबादी की जमीन छोड़ रहा है। उस समय की सैटेलाइट की तस्वीरें प्राधिकरण के पास मौजूद हैं। नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में शामिल 81 गांव में अधिकतर गांव के किसानों के नाम पर अतिक्रमण दर्ज है।

Nov 25, 2024 - 10:10
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नोएडा के गांव में किया जा रहा सैटेलाइट इमेज सर्वे:3 गांवों में सर्वे का काम लगभग पूरा, किसान लगातार कर रहे थे मांग
किसानों की मांग के अनुसार नोएडा प्राधिकरण ने गांवों में आबादी निपटारा के लिए सर्वे शुरू कर दी है। नोएडा के याकूबपुर व बादौली गांव में सर्वे की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। गेझा गांव पहले भी सर्वे हो चुका है, एक बार फिर किया जा रहा है। गांवों में प्राधिकरण के भू-लेख विभाग की टीम सर्वे कर रही है। गांव में जिन भी किसानों के नाम पर अतिक्रमण की आपत्ति दर्ज है उनकी उस जगह को देखा जा रहा है। अतिक्रमण होने पर नहीं मिलता मुआवजा किसानों सालों से आबादी निपटारा करने की मांग प्राधिकरण से करते आ रहे हैं। अतिक्रमण होने के कारण प्राधिकरण किसानों को दिए जाने वाले 5 प्रतिशत भूखंड व मुआवजे की प्रक्रिया को रोक देता है। वहीं किसानों का तर्क होता है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं कर रखा है। प्राधिकरण जिसे अतिक्रमण बता रहा है वह उनकी सालों पुरानी आबादी है। प्राधिकरण आबादी की जमीन परिवार में प्रति नाबालिग के लिए प्रति 450 वर्ग मीटर छोड़ता है। साल 2021 में यह नियम भी बना था। सैटेलाइट इमेज से किया जा रहा सर्वे अगर अविवाहित बेटी घर में है तो उसके नाम पर भी 450 वर्ग मीटर जमीन प्राधिकरण छोड़ेगा। इन मानक के आधार पर किसान के कब्जे की जमीन देखी जाएगी और फिर निपटारा होगा। प्राधिकरण 30 जून 2011 को डेडलाइन मानकर गांवों में आबादी की जमीन छोड़ रहा है। उस समय की सैटेलाइट की तस्वीरें प्राधिकरण के पास मौजूद हैं। नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में शामिल 81 गांव में अधिकतर गांव के किसानों के नाम पर अतिक्रमण दर्ज है।

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