बलूचिस्तान में विद्रोहियों का दबदबा, पाक सेना की पकड़ सिमटी:महरंग बलूच की गिरफ्तारी के विरोध में 10 हजार महिलाएं सड़कों पर उतरीं

पाकिस्तान के लिए उसका सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान गले की फांस बनता जा रहा है। कभी इस्लामाबाद के हुक्मरानों की जमींदारी समझा जाने वाला इस प्रांत में अब बलूच विद्रोहियों का दबदबा है। जमीनी हकीकत ये है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की पकड़ अब राजधानी क्वेटा के इर्दगिर्द ही सिमट कर रह गई है। बलूचिस्तान की सड़कों पर अब फबलूच लड़ाकों का सिक्का चल रहा है। हालात ये है कि अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस को अब इस इलाके में कदम रखने के लिए बलूच लड़ाकों से मंजूरी लेनी पड़ती है। सीपैक में काम कर रहे चीनी श्रमिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। उन्हें कहा गया है कि वे ग्वादर से बाहर न निकलें। यह दूसरी बार है जब पाकिस्तान को अपने किसी प्रांत में इतनी बड़ी बगावत झेलनी पड़ रही है। इससे पहले 2000-10 के बीच खैबर पख्तूनख्वा के कबायली इलाकों में देखने को मिली थी, जब TTP ने कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था। इस बीच बलूचिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलूच की गिरफ्तारी के विरोध में 10 हजार महिलाएं सड़कों पर उतरीं पंजाब प्रांत के 6 बस यात्रियों की गोली मार हत्या, क्वेटा में ब्लास्ट से दो पुलिसवाले मरे ग्वादर में सशस्त्र विद्रोहियों ने बुधवार को बस यात्रियों को उतारकर गोली मार दी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई। यह हमला ओरमारा हाईवे पर हुआ। बस कराची जा रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, सभी मृतकों का संबंध पंजाब प्रांत से था। उधर, क्वेटा में विद्रोहियों ने आईईडी से पुलिस वैन को निशाना बनाया। इससे दो पुलिसवालों समेत 3 की मौत हो गई जबकि 21 घायल हाे गए। चीन ने 60 निजी सुरक्षा बलों को पाकिस्तान में तैनात किया बलूच विद्रोहियों के हमलों के बढ़ते खतरे को देखते हुए चीन ने पहली बार अपने निजी सुरक्षा बलों को पाकिस्तान में तैनात किया है। सूत्रों के अनुसार, चीन ने अपने इंजीनियरों और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए तीन निजी सुरक्षा कंपनियों- दवे सिक्योरिटी फ्रंटियर सर्विस ग्रुप, चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप और हुआक्सिन झोंगशान सिक्योरिटी सर्विस को नियुक्त किया है। पहले चरण में 60 चीनी सुरक्षा कर्मियों को सिंध प्रांत में स्थित दो सीपैक पावर प्रोजेक्ट्स पर तैनात किया गया है। ये पाक सेना के साथ मिलकर काम करेंगे। महरंग की गिरफ्तारी के खिलाफ क्वेटा में महिलाएं सड़कों पर बलूच विद्रोहियों के अलावा बलूचिस्तान प्रांत में मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलूच पाक सेना व सरकार को चुनौती दे रही हैं। इसके चलते बीते हफ्ते पाक सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। पाकिस्तानी एजेंसियों ने महरंग को कैद कर यह सोचा था कि चुनौती खत्म हो जाएगी, लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ 10 हजार से ज्यादा महिलाएं सड़कें पर हैं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने आंदोलन को समर्थन दिया है। इसके साथ ही अब बीएलए को आम जनता का समर्थन भी मिल रहा है। इससे स्थिति और गंभीर हो गई है। आंदोलन ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस आंदोलन ने युवा-महिलाओं के संगठित कर दिया है। इसके अलावा पाक सेना और सरकार की कठोर प्रतिक्रिया से बलूचिस्तान में हालात संभलने के बजाए बिगड़ते दिख रहे हैं।

Mar 28, 2025 - 10:00
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बलूचिस्तान में विद्रोहियों का दबदबा, पाक सेना की पकड़ सिमटी:महरंग बलूच की गिरफ्तारी के विरोध में 10 हजार महिलाएं सड़कों पर उतरीं
पाकिस्तान के लिए उसका सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान गले की फांस बनता जा रहा है। कभी इस्लामाबाद के ह

बलूचिस्तान में विद्रोहियों का दबदबा, पाक सेना की पकड़ सिमटी

बलूचिस्तान स्थित विद्रोहियों की गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है, जिससे पाकिस्तान सेना की पकड़ दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है। हाल ही में महरंग बलूच की गिरफ्तारी ने क्षेत्र में जबरदस्त प्रदर्शन उत्पन्न किए हैं। इस घटना के विरोध में 10 हजार से अधिक महिलाएं सड़कों पर उतरीं, जिनका मुख्य उद्देश्य अपने नेता का समर्थन करना और अपनी आवाज़ उठाना है।

प्रतिरोध की महिलाओं की ताकत

महिलाओं का यह आंदोलन बलूचिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। यह न केवल महरंग बलूच की गिरफ्तारी के विरोध में हो रहा है, बल्कि यह बलूच समाज की व्यापक समस्याओं और उनके अधिकारों के लिए एक सशक्त आवाज है।

पाक सेना की स्थिती

पाकिस्तान सेना की पकड़ लगातार कमजोर होती जा रही है, जिसमें विद्रोहियों की ताकत बढ़ रही है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में विद्रोही गतिविधियों में भी इजाफा हुआ है, जिससे सूबे की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। सरकार को अपनी नीतियों पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है।

भविष्य की संभावनाएं

इस स्थिति में संविधानिक और मानवीय दृष्टिकोण से समाधान निकालने की आवश्यकता है। बलूचिस्तान के नागरिकों की बेहतर स्थिति के लिए संवाद और समझौता एकमात्र उपाय हो सकता है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए, सरकार को सशक्त संचार नीति को अपनाना होगा।

यह आंदोलन पाठ्यक्रम की पुनरावृत्ति का संकेत है, जिसमें समाधानों की ओर अग्रसर होने की आवश्यकता है और यह बलूचिस्तान में स्थायी शांति की दिशा में एक कदम हो सकता है।

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