शुभांशु शुक्ला 8 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे:पहले 29 मई को एक्सिओम मिशन 4 लॉन्च होना था; ISS जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे

इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन 4 के तहत अब 8 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जाएंगे। यह मिशन पहले 29 मई को होना था लेकिन अब लॉन्च शेड्यूल में बदलाव हुआ है। NASA ने 'X' पर बताया- स्पेस स्टेशन की फ्लाइट शेड्यूल के रिव्यू के बाद कई मिशन के लॉन्च तारीखों में बदलाव हुआ है। एक्सिओम मिशन 4 फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से 8 जून शाम 6:41 बजे (भारतीय समयानुसार) लॉन्च होगा। एक्सिओम मिशन 4 में चार देशों के चार एस्ट्रोनॉट 14 दिन के लिए स्पेस स्टेशन जाने वाले हैं। नासा और इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया है। शुभांशु के साथ तीन और एस्ट्रोनॉट जाएंगे एक्सिओम 4 मिशन के चालक दल में भारत, पोलैंड और हंगरी के मेंबर शामिल हैं। स्लावोज़ उज़्नान्स्की 1978 के बाद स्पेस में जाने वाले पोलैंड के दूसरे एस्ट्रोनॉट होंगे। टिबोर कापू 1980 के बाद स्पेस में जाने वाले हंगरी के दूसरे एस्ट्रोनॉट होंगे। अमेरिकी की पैगी व्हिटसन का यह दूसरा कॉमर्शियल ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन है। शुभांशु शुक्ला: NDA क्लियर करके IAF पायलट बने शुभांशु शुक्ला मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। इनकी की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई अलीगंज, लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पूरी हुई। 12वीं के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर किया और यहीं से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। NDA भारत में सशस्त्र बलों (थल सेना, नौसेना और वायुसेना) के लिए ऑफिसर कैडेट्स को प्रशिक्षण देने वाली एक प्रमुख संस्था है। ये ट्रेनिंग के साथ-साथ एकेडमिक डिग्री भी देती है, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से एफिलिएटेड होती है। 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग एक्सपीरियंस शुभांशु को 17 जून, 2006 को भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में शामिल किया गया। वे एक अनुभवी फाइटर और टेस्ट पायलट हैं। उनके पास 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग एक्सपीरियंस है। उन्होंने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाया है। अब जानिए मिशन के बारे में... ड्रैगन कैप्सूल में चारों एस्ट्रोनॉट उड़ान भरेंगे इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में ये एस्ट्रोनॉट उड़ान भरेंगे। इस मिशन को फाल्कन-9 रॉकेट से फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्च की तारीख फाइनल अप्रूवल और मिशन की तैयारियों के अनुसार घोषित होगी। मिशन का उद्देश्य Ax-4 का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन करना है। यह मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को प्रोत्साहित करने और भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (Axiom Station) स्थापित करने की दिशा में एक्सिओम स्पेस की योजना का हिस्सा है। प्राइवेट स्पेस मिशन है एक्सिओम 4 एक्सिओम मिशन 4 एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है। अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस और नासा के कोलेबोरेशन में यह मिशन हो रहा है। एक्सिओम स्पेस का यह चौथा मिशन है। 17-दिवसीय मिशन एक्सिओम 1 अप्रैल 2022 में लॉन्च हुआ था। एक्सिओम का दूसरा मिशन 2 मई 2023 में लॉन्च हुआ था। इस मिशन में चार एस्ट्रोनॉट्स ने आठ दिन स्पेस में बिताए थे। वहीं तीसरा मिशन 3 जनवरी 2024 में लॉन्च किया गया, जिसमें चालक दल ने स्पेस स्टेशन पर 18 दिन बिताए। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है? इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रैविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था। ----------------------------------- ये खबर भी पढ़ें भास्कर से बोलीं सुनीता विलियम्स-भारतीय स्पेस प्रोग्राम से जुड़ना चाहूंगी:जल्द भारत आऊंगी; अंतरिक्ष से हिमालय देखना शानदार भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने स्पेस से लौटने के बाद मंगलवार को पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुनीता ने अपने साथी एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर और निक हेग के साथ टेक्सास के जॉनसन स्पेस सेंटर में मीडिया से बात की। दैनिक भास्कर इकलौता भारतीय न्यूज संस्थान रहा, जिसे सुनीता विलियम्स से सवाल पूछने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि भारत स्पेस प्रोग्राम में अपनी जगह बना रहा है। वह इसका हिस्सा बनना चाहेंगी। पूरी खबर पढ़ें

May 15, 2025 - 09:27
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शुभांशु शुक्ला 8 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे:पहले 29 मई को एक्सिओम मिशन 4 लॉन्च होना था; ISS जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे
इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन 4 के तहत अब 8 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जाएंग

शुभांशु शुक्ला 8 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे

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इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन 4 के तहत अब 8 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) जाने के लिए तैयार हैं। पहले यह मिशन 29 मई को लॉन्च होने वाला था, लेकिन अब लॉन्च शेड्यूल में बदलाव किया गया है। NASA ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि स्पेस स्टेशन की फ्लाइट शेड्यूल में कई बदलाव किए गए हैं। यह 8 जून को शाम 6:41 बजे (भारतीय समयानुसार) कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च होगा, जिसमें शुभांशु शुक्ला के साथ अन्य तीन एस्ट्रोनॉट भी जाएंगे।

मिशन का महत्व

यह एक्सिओम मिशन 4 भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय बन जाएंगे। इस मिशन के जरिए ना केवल अंतरिक्ष में अनुसंधान और विज्ञान के अध्ययन का उद्देश्य है, बल्कि यह मिशन भविष्य के कॉमर्शियल स्पेस स्टेशनों की स्थापना की दिशा में भी एक कदम है। यह मिशन चार देशों के एस्ट्रोनॉट्स के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोग का प्रतीक है।

शुभांशु शुक्ला का परिचय

शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ के निवासी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अलीगंज के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से हुई। इसके बाद, उन्होंने NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) में दाखिला लिया और वहां से ग्रेजुएशन की। 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद, उन्हें 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग अनुभव प्राप्त हुआ। उनके पास सुखोई-30 MKI और मिग-21 जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाने का अनुभव है।

मिशन की तैयारी

यह मिशन स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से उड़ान भरेगा, और इसे Falcon 9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा। अंतरिक्ष यात्रा का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान करना और नई तकनीकों का प्रदर्शन करना है। एक्सिओम मिशन 4 के अंतर्गत, चार एस्ट्रोनॉट्स 14 दिनों के लिए ISS में रहेंगे। इस बार चालक दल में भारत, पोलैंड और हंगरी के एस्ट्रोनॉट शामिल हैं। पोलैंड के एस्ट्रोनॉट स्लावोज़ उज़्नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी अंतरिक्ष में जाएंगे।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बारे में

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पृथ्वी के चारों ओर एक कॉमर्शियल यान है, जो एस्ट्रोनॉट्स के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह नेटवर्क वैज्ञानिक प्रयोगों और अन्वेषण के लिए मंच प्रदान करता है, और यह पृथ्वी के चारों ओर हर 90 मिनट में परिक्रमा करता है। ISS का निर्माण विभिन्न देशों के सहयोग से हुआ है, जिसमें एक लंबे समय से चले आ रहे अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रयास शामिल हैं।

निष्कर्ष

शुभांशु शुक्ला का यह मिशन न केवल भारतीय अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा, बल्कि यह युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का भी काम करेगा कि वे विज्ञान, अनुसंधान और अंतरिक्ष में अपनी संभावनाओं को तलाशें। हम सभी शुभांशु शुक्ला के सफल मिशन की कामना करते हैं।

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