कोहली के टेस्ट संन्यास का सच:पूर्व क्रिकेटर मोहम्म्द कैफ का दावा-टेस्ट जारी रखना चाहते थे विराट; चयन समिति ने नहीं दिया साथ
मोहम्मद कैफ का मानना है कि विराट कोहली इंग्लैंड सीरीज के लिए पूरी तरह तैयार थे, लेकिन अजित अगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति का समर्थन उन्हें नहीं मिला। कोहली ने 12 मई को इंस्टाग्राम पोस्ट पर टेस्ट से संन्यास का ऐलान किया था, हालांकि उन्होंने टेस्ट से रिटायरमेंट को लेकर कोई वजह नहीं बताई थी। रणजी खेलकर इस फॉर्मेट को जारी रखने के दिए थे संकेत कैफ ने एक इंटरव्यू में कहा कि मुझे लगता है कि वह इस फॉर्मेट में खेलना जारी रखना चाहते थे। इसको लेकर उनकी BCCI अधिकारियों और चयनकर्ताओं से बातचीत भी हुई होगी। चयनकर्ताओं ने पिछले 5-6 सालों में उनके प्रदर्शन का हवाला दिया होगा और उन्हें बताया होगा कि टीम में उनकी जगह अब नहीं हो सकती। उन्होंने आगे कहा कि ऑस्ट्रेलिया दौरे से लौटने के बाद रणजी ट्रॉफी खेलने से यह साफ था कि वह आगामी टेस्ट में वापसी करना चाहते थे। उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें BCCI और चयनकर्ताओं से भी समर्थन मिलेगा, पर उन्हें नहीं मिला। पिछले पांच सालों में टेस्ट में 3 शतक ही जड़े कोहली के अगर पिछले सालों के प्रदर्शन को देखें तो पता चला कि उनके प्रदर्शन में गिरावट आई है। उन्होंने इस बीच खेले 68 पारियों में केवल 2028 रन बनाए और तीन शतक ही जड़ा। इस दौरान उनका करियर औसत घटकर 46 तक आ गया। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पर्थ में शानदार शतक के साथ वापसी के संकेत दिखे, लेकिन बाकी दौरे में वह केवल 90 रन ही बना पाए और भारत 1-3 से सीरीज हार गया। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में दिखा कि इस फॉर्मेट से ऊब गए हैं कैफ का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में कोहली का जो एप्रोज दिखा उससे लगा कि वह इस फॉर्मेट से ऊब चुके हैं। वह जल्दी रन बनाने की कोशिश में दिखे। टेस्ट क्रिकेट में आपको घंटों क्रीज पर टिके रहना पड़ता है, जो उन्होंने पहले किया है, लेकिन बाहर जाती गेंद पर ड्राइव करने की कोशिश में लगातार एज लेना, इससे लगा कि उनका धैर्य कम हो गया था। _______________ स्पोर्ट्स की यह खबर भी पढ़ें... कोहली के जल्दबाजी में संन्यास की 5 वजहें:युवाओं को मौका देने की सोच, कोच गंभीर के सख्त नियम; 10,000 रन नहीं बना सके 36 साल के विराट कोहली ने 12 मई को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। वे अगर 1-2 साल और खेलते तो 10 हजार रन बनाकर इस फॉर्मेट में भारत के तीसरे टॉप स्कोरर बन जाते, लेकिन विराट ने रिकॉर्ड की परवाह नहीं की। पूरी खबर

कोहली के टेस्ट संन्यास का सच: पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ का दावा
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मोहम्मद कैफ का मानना है कि विराट कोहली इंग्लैंड सीरीज के लिए पूरी तरह तैयार थे, लेकिन अजित अगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति का समर्थन उन्हें नहीं मिला। कोहली ने 12 मई को इंस्टाग्राम पोस्ट पर टेस्ट से संन्यास का ऐलान किया था, हालांकि उन्होंने टेस्ट से रिटायरमेंट को लेकर कोई वजह नहीं बताई थी।
टेस्ट क्रिकेट में कोहली की स्थिति
कैफ ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्हें लगता है कि विराट कोहली टेस्ट क्रिकेट को जारी रखना चाहते थे। बीसीसीआई अधिकारियों और चयनकर्ताओं के साथ उनकी बातचीत यह दर्शाने के लिए थी कि कोहली ने इस फॉर्मेट में खेलना चाहते थे। हालांकि, चयन समिति ने उनके पिछले 5-6 सालों के प्रदर्शन का हवाला देकर उन्हें समर्थन नहीं दिया।
कोहली की रणजी ट्रॉफी में वापसी
ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद, कोहली ने रणजी ट्रॉफी खेलकर अपने टेस्ट क्रिकेट में वापसी के संकेत दिए। हालांकि, उन्हें आशा थी कि बीसीसीआई और चयनकर्ताओं से उनका समर्थन मिलेगा जो कि नहीं मिला। कैफ ने यह भी बताया कि कोहली के पिछले पांच सालों के प्रदर्शन में गिरावट आई है, जहां उन्होंने केवल 2028 रन बनाए और सिर्फ तीन शतक ही जड़े।
कोहली का प्रदर्शन और चुनौतियाँ
यदि हम कोहली के प्रदर्शन को देखें, तो उनके औसत में गिरावट आई है। पर्थ में शानदार शतक के बाद, उन्होंने केवल 90 रन बनाए जिस कारण भारत को सीरीज में 1-3 की हार का सामना करना पड़ा। खिलाड़ी के तौर पर, यह देखा गया है कि वह जल्दी रन बनाने की कोशिश कर रहे थे, जिससे यह आभास हुआ कि वह इस फॉर्मेट से ऊब चुके हैं।
क्या थी कोहली के संन्यास की मुख्य वजहें?
कोहली के अचानक संन्यास लेने की कई वजहें हो सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यदि वह 1-2 साल और खेलते, तो उनके रिकॉर्ड में 10,000 रन बनाकर भारत के तीसरे ट्रॉप स्कोरर बनने की संभावना थी। लेकिन विराट कोहली ने अपने संन्यास में किसी भी रिकॉर्ड की परवाह नहीं की।
निष्कर्ष
विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेना न केवल उनके प्रशंसकों के लिए बल्कि क्रिकेट प्रेमियों के लिए भी एक बड़ा झटका है। मोहम्मद कैफ के बयान यह दर्शाते हैं कि शायद कोहली के पास आज भी उस फॉर्मेट में खेलने की क्षमताएँ थीं, लेकिन चयन समिती के हस्तक्षेप ने परेशान किया। इस स्थिति ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या चयन समिती को खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर उनके पिछले रिकॉर्ड के आधार पर निर्णय लेना चाहिए या उन्हें उनके वर्तमान फॉर्म और अनुभव के आधार पर भी देखना चाहिए।
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